Saturday, October 5, 2019

बेपर्दा लड़कियाँ



देखी हैं आज की लड़कियाँ
जिस्म की नुमाइश करतीं
छोटे छोटे तंग वस्त्रों में कसी
आज के ज़माने की
गुमराह लड़कियाँ !
चटर पटर बोलतीं
ज़ोर ज़ोर से कहकहे लगातीं
ये अति आधुनिक तथाकथित
पढ़ी लिखी लड़कियाँ !
जिन्होंने बोल्ड और आधुनिक होने की
शायद यही परिभाषा गढ़ ली है
अपने मन में !
कि सदाचार और शिष्टाचार से
कोसों दूर का नाता हो या ना हो 
फैशन और पाश्चात्य संस्कृति का
अनुकरण तो करना ही होगा
क्योंकि सफलता का तिलस्मी द्वार
यही उन्मुक्ताचार खोलेगा
उनके जीवन में ! 
जिनके लिये स्वच्छंद तरीके से
अपनी शर्तों पर जीना ही
प्रथम ध्येय रह गया हो जीवन में
उन्हें कुछ भी समझाना व्यर्थ है,  
घर वाले मान लें तो ठीक
वरना सही हो या गलत
अपनी राह खुद चुन कर
उसी पर चलने में उनके लिये
जीवन का सच्चा और सही अर्थ है !
दुनिया उल्टी राह पर चल पड़ी है  
आजकल मर्द हो गए हैं पर्दानशीन  
और औरत हो गयी है बेपर्दा,  
आधुनिकता के नाम पर
आज की नारी विचरण करती है
हाई प्रोफाइल पार्टीज़ में
लिए हुए हाथों में बीयर,
वाइन, ड्रग्स और ज़र्दा !
कुछ हो जाने पर
बड़ी बेरहमी से वो
मर्दों को कोसती है
और शिक्षिता और ज्ञानी
होने के नाम पर वो
गलत तरीकोंगलत नीतियों
और गलत परम्पराओं को
अपने दिल दिमाग में
बड़ी शिद्दत से पालती पोसती है !  
कोई बतायेगा किस पार्टी में,
किस समारोह में,
किस शादी विवाह में
किस उत्सव में आपने  
आधे अधूरे कपड़े पहने
मर्दों को देखा है ?
लेकिन हर ऐसी
भीड़ वाली जगहों पर
निन्यानवे प्रतिशत महिलाओं को
स्लीवलेस, लो नेक, बैकलेस
मिनी वस्त्रों में शायद
हम सभी ने देखा है !
रम्भाउर्वशीमेनका को मात देती
एक से बढ़ कर एक
भड़काऊ वेशभूषा में ये नारियाँ
दिखाई दे जाती हैं
उन्हें देख कर देवलोक की
अप्सरायें भी शायद
स्वर्ग में लजाती हैं !
सखियों रूढ़िवादिता के नाम पर
बिलकुल भी पर्दा ना करें,
थोडा सा भी घूँघट ना निकालें
लेकिन सभ्यता के लिये,
अपनी सुरक्षा के लिये,
अपनी मर्यादा की रक्षा के लिये
इतना पर्दा ज़रूर करें कि
अपने जिस्म की नुमाइश ना करें
स्वयं को उपभोग की वस्तु
बना कर प्रस्तुत ना करें  
स्वयं को आदरणीय बनायें
पूजनीय बनायें
आने वाली पीढ़ी के लिए
आदर्श बनायें  !




साधना वैद





13 comments:

  1. एक सशक्त हस्तक्षेप करती, अंधी दौड़ पर सवाल उठाती और समस्या निवारण का सुझाव पेश करती सामयिक रचना.
    स्वेच्छारिता स्त्री-स्वतंत्रता का सटीक अर्थ या पर्याय कभी नहीं हो सकती. सामाजिक मूल्यविहीन जीवन कभी अनुकरणीय उदाहरण नहीं बन सकता.
    एक विचारोत्तेजक रचना जो लंबी बहस की गुंजाइश रखती है.
    बधाई एवं शुभकामनाएँ आदरणीय दीदी.

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  2. स्वेच्छारिता=स्वेच्छाचारिता

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  3. हार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र जी ! आभार आपका !

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ७ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  5. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  6. बिलकुल सही और सटीक बात कही हैं दी ,अब बहुत हो चूका हैं ,विचारोत्तेजक सृजन ,सादर

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    1. आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी !

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  7. बहुत सटीक संदेश हर स्त्री के लिए दीदी।

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    1. हार्दिक धन्यवाद मीना जी ! आभार आपका !

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  8. वाह बेहतरीन रचना।सरहनीय और शिक्षाप्रद।

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुजाता जी ! आभार आपका !

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  9. उम्दा लिखा है |लोगों को शिक्षा लेनी चाहिए इससे |

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  10. हार्दिक धन्यवाद जी आपका ! बहुत बहुत आभार !

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