Thursday, January 30, 2020

अभी न होगा मेरा अन्त



काम अनगिनत अभी पड़े हैं
रस्ते में अवरोध खड़े हैं
हैं चिंताएं अभी अनंत
अभी न होगा मेरा अंत !

किसे सौंप दूँ फिक्रें सारी
किस पर लादूँ गठरी भारी
किसे पुकारूँ मेरे कन्त
अभी न होगा मेरा अंत !

जीवन जकड़ा है उलझन में
व्याकुलता उमड़ी है मन में
नैनन नीर बहे बेअंत
अभी न होगा मेरा अंत !

हर कर्तव्य निभाना होगा
हर दायित्व उठाना होगा
पतझड़ हो कि या हो बसंत
अभी न होगा मेरा अंत !

भाग नहीं सकता मैं वन में
नहीं मिलेगी मुक्ति भजन में
ना मैं साधू ना हूँ संत
अभी न होगा मेरा अंत !

बदलूँगा किस्मत की भाषा
पूरी होगी हर प्रत्याशा
मुझमें अभी हौसला बुलंद
अभी न होगा मेरा अंत !

साधना वैद


15 comments:

  1. सुंदर प्रेरक रचना है आदरणीया साधना दीदी

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  2. व्वाहहह..
    सादर नमन..

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    1. हृदय से धन्यवाद दिग्विजय जी ! आभार आपका !

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 03 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. हार्दिक धन्यवाद आपका यशोदा जी ! बहुत बहुत आभार ! सप्रेम वन्दे !

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  5. जनाब मिर्जा गालिब का शेर है कि

    रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज
    मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं

    ऐसी ही आपकी कविता बोलती है।
    कमाल है।
    आपकी लेखनी को नमन।

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    1. हार्दिक धन्यवाद रोहितास जी ! कविता आपको अच्छी लगी जान कर हर्ष हुआ ! दिल से आभार आपका !

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  6. वाह बहुत सुन्दर प्रेरक रचना दी 👏👏

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुधा जी !

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  7. बदलूंगा किस्मत की परिभाषा
    पूरी होगी हर प्रत्याशा
    मुझमें अभी हौसला बुलंद... सकारत्मक प्रेरित करती रचना

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    1. हार्दिक धन्यवाद ऋतु जी ! आभार आपका !

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  8. बहुत खूब ,लाज़बाब सृजन दी ,सादर नमस्कार आपको

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    1. हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! आभार आपका !

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  9. वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब।

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुधा जी ! आभार आपका !

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