सारा देश आज खुश है
निर्भया का संघर्ष पूरा हुआ
निर्भया को इन्साफ मिल गया !
लेकिन क्या सच में उसे न्याय मिला है ?
या ढीले ढाले लचर क़ानून की
अनगिनती कमियों का सहारा ले
क़ानून के पहरेदारों ने उसे छला है ?
जीवन की साँसों से भी कहीं लम्बी
इन्साफ की यह लड़ाई हो गयी
और वृद्ध माता पिता की आँखों की
नींदें उड़ाती साल दर साल चलती
अदालतों में केस की सुनवाई हो गयी !
इतनी सुस्त चाल से चलता यह न्याय
कितनों की जान पर भारी हो जाता है
क्या होती है किसीको चिंता ?
कितने ही निरीह न्याय की आस लगाए
कर जाते हैं इस दुनिया से कूच
किसे होती है इसकी दुश्चिन्ता ?
न्याय का देर से मिलना भी
अन्याय का ही दूसरा रूप है
और क्रूर बलात्कारियों को साल दर साल
क़ानून से खिलवाड़ करने के लिए मौक़ा देना
पीड़िता के परिवार को मानसिक रूप से
दण्डित करने का ही दूसरा स्वरुप है !
दुनिया इसे जो भी कहे
मेरी दृष्टि में यह न्याय नहीं
जो वर्षों निर्दोष का संताप बढ़ाए
उससे कठोर दंड अन्य कोई नहीं !
फिर भी खुश हूँ आज न्याय की जीत हो गयी
घुटनों चलते, दौड़ते भागते फिर
ठिठकते लड़खड़ाते, कंधे झुकाए, जर्जर बीमार
न्याय की आज अंतत: जीत हो ही गयी !
साधना वैद
सही कहा आपने इतने समय में तो अपराध भी धुधंला हो गया...सजा का मजा तो तब आता जब तुरंत सजा होती...पर फिर भी देर से ही सही सजा तो मिली ...सोचकर ही खुश हो लेते हैं..।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चिन्तनपरक लेख।
वाकई न्याय की जीत है।
ReplyDeleteदूसरों के ब्लॉग पर भी कमेंट दिया करो।
जी शास्त्री जी ! सादर धन्यवाद एवं आभार आपका !
Deleteविचारोत्तेजक
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार !
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (23-03-2020) को "घोर संक्रमित काल" ( चर्चा अंक -3649) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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आप अपने घर में रहें। शासन के निर्देशों का पालन करें।हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह !बेहतरीन ।
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