Thursday, May 7, 2020

तुम्हारा मौन




नहीं जानती
तुम्हारा यह मौन  
वरदान है या अभिशाप
कवच है या हथियार
आश्रय है या भटकाव
संतुष्टि है या  संशय
सांत्वना है या धिक्कार
आत्म रक्षा है या प्रहार
आश्वासन है या उपहास  
पुरस्कार है या दण्ड
जो भी है
सिर माथे है ,
अवसान की इस बेला में
जब सूरज डूब चुका है ,
रोशनी भी मद्धम है ,
हवा किसी श्रंखला में जकड़ी 
विवश बंदिनी सी कैद है ,
आसपास के तरुवर  
प्रस्तर प्रतिमा की तरह  
कोई भी हरकत किये बिना
निर्जीव से खड़े हैं ,
आसमान में इक्का दुक्का तारे
यहाँ वहाँ सहमते सकुचाते
जुगनू की तरह
टिमटिमा रहे हैं ,
सारी कायनात
जाने किस अनिर्दिष्ट
आतंक से भयभीत हो
एकदम खामोश है 
संजीदगी का तुम्हारा यह 
अनचीन्हा सा बाना 
मेरी समझ से 
नितांत परे है ! 
ऐसे में जाने क्यों जब
साँसें भी बहुत कम  
हो चली हैं ,
दृष्टि भी धुँधला चली है 
और हाथों की पकड़ से 
सब कुछ
छूटता सा लगता है ,  
तुम्हारी हर बेरुखी
तुम्हारा हर अन्याय
मुझे मन प्राण से 
स्वीकार है !




साधना वैद 

चित्र - गूगल से साभार 

19 comments:

  1. अत्यन्त ही सुन्दर रचना है, वास्तव में मौन तो मनुष्य व्यवहार का महत्वपूर्ण आभूषण है यदि मनुष्य उसे धारण करता है तो उसका व्यक्तित्व चमकने लगता है परन्तु मनुष्य उसे धारण न करे तो इसके लाभ से वंचित हो जाता है।

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    1. हार्दिक धन्यवाद मान्यवर ! आभार आपका !

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    1. हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद आपका शास्त्री जी ! हार्दिक धन्यवाद !

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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    1. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  4. मानव-मन कई बार मौन में भी वाचाल होता है .. हम पढ़ नहीं पाते और अगर ना भी हो तो स्वीकार करना ही पड़ता है ... प्रकृति परिवर्त्तनशील जो ठहरी ...

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  5. संजीदगी को संजोती एक बेहतरीन रचना।

    (कृपया - श्रृंखला लिखें )

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार पुरुषोत्तम जी ! स्वागत है !

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  6. संवेदनशील प्रतिक्रिया के लिए आपका हृदय से धन्यवाद सुबोध जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  7. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 11 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी ! हृदय से बहुत बहुत आभार आपका ! सप्रेम वन्दे सखी !

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  8. आपकी रचना में गूँथे गये भाव सहजता से पाठकों से संवाद करते हैं। बेहतरीन सृजन हमेशा की तरह।
    सादर।

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    1. हार्दिक धन्यवाद श्वेता जी ! आभार आपका !

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  9. वाह!साधना जी ,बेहतरीन सृजन ।

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    1. हृदय से धन्यवाद शुभा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  10. बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीया दीदी

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    1. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका अनीता जी ! स्वागत है आपका !

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  11. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वंदे !

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