हिरन से भी तेज़ दौड़ने वाला हमारा प्यारा पपी स्वीटू आज निढाल पड़ा था ! कल सड़क पर एक लापरवाह स्कूटी वाले ने उसे ज़ोर से टक्कर मार दी और उसके पिछले पैर पर गाड़ी चढ़ा दी ! चीख चीख कर स्वीटू बेहाल हो गया और उससे भी अधिक दुखी मेरे दोनों बच्चे डॉली और बंटी थे ! उन्हें बहुत अफ़सोस हो रहा था कि वे क्यों उसे सड़क पर घुमाने के लिए ले गये ! न वो उसे ले जाते न ये एक्सीडेंट होता ! दोनों का रो रो कर बुरा हाल था ! घर में सबका मन दुखी था ! डॉक्टर साहेब ने चेक कर के बताया था चोट ज़ोर की लगी है ! ठीक होने में वक्त लगेगा ! हो सकता है पीछे वाले पैर में स्थाई लिम्प रह जाये ! वो एक इंजेक्शन लगा कर चले गये थे ! तब से स्वीटू ऐसे ही निढाल पड़ा हुआ था !
जब से स्वीटू इस घर में आया था सबकी आँखों का तारा बना हुआ था ! बेहद प्यारा, बेहद चंचल और बहुत ही समझदार ! उसके बदन में तो जैसे बिजली भरी हुई थी ! पलक झपकते ही वह घर का हर कोना नाप लेता ! डॉली और बंटी को तो जैसे चाबी वाला खिलौना मिल गया था ! सारे सारे दिन उसे नये नये करतब सिखाने में लगे रहते ! स्वीटू को ऐसे निश्चल पड़े हुए देख दोनों बेचैन थे !
दवा का असर धीरे-धीरे स्वीटू पर होने लगा था ! उसकी तंद्रा टूटी और उसने आँखें खोलीं ! बंटी भाग कर बिस्किट ले आया ! डॉली उसके कटोरे में दूध ले आई ! बिस्किट खाकर और थोड़ा सा दूध पीकर स्वीटू फिर से लुढ़क गया ! बंटी ने उठाने की कोशिश की लेकिन वह उठ नहीं पाया ! बंटी और डॉली ने तार थोड़ा नीचा करके उसमें स्वीटू के खिलौने लटका दिए ! यह उसका प्यारा गेम था ! उछल कर उन खिलौनों को तोड़ कर ले आना !
बंटी ने व्हिसिल बजाई, “कम ऑन स्वीटू ! पिक द बॉल !”
स्वीटू उठ कर बैठ गया ! आँखें चमकने लगीं लेकिन खड़ा नहीं हो पाया !
बंटी ने फिर व्हिसिल बजाई, “कम ऑन स्वीटू ! पिक द बॉल !”
इस बार स्वीटू ने पूरी दम लगाई ! उसकी पूँछ बड़ी तेज़ी से हिल रही थी ! पूरी ताकत से वह अपने हौसले को जमा करने की कोशिश कर रहा था ! वह काँपते पैरों से खड़ा हुआ लेकिन उछल नहीं पाया ! बंटी और डॉली की खुशी का ठिकाना नहीं था ! हम सब भी दम साधे यह तमाशा देख रहे थे !
बंटी ने इस बार तीसरी व्हिसिल बजाई, “बक अप स्वीटू ! पिक द बॉल !” बंटी ने हाथ में पकड़ा हुआ बिस्किट का पैकेट लहराया ! और हौसले के एक तेज़ झोंके ने जैसे स्वीटू को हवा में उछाल दिया ! अगले ही पल बॉल स्वीटू के मुँह में थी और बंधी हुई रस्सी ज़मीन पर ! तालियों की गड़गड़ाहट से कमरा गूँज रहा था और हीरो बना हुआ स्वीटू सीना तान के निष्कंप चारों पैरों पर खड़ा हुआ था !
साधना वैद
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (19-1-21) को "जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि"(चर्चा अंक-3951) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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कामिनी सिन्हा
वाह👌👌। शाबास स्वीटू। बहुत भावपूर्ण बाल कथा जिसमें स्वीटू का पराक्रम बेजोड़ है। हार्दिक शुभकामनाएं साधना जी🙏🙏
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद रेणु जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteवाह, बहुत बढ़िया
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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