Friday, April 30, 2021
पहाड़ी नदी
Sunday, April 25, 2021
यह कौन सी नस्ल है
सुनते हैं
लड़कियों की शिक्षा के मामले में
हमारा देश में खूब विकास हुआ है !
लडकियाँ हवाई जहाज उड़ा रही हैं,
लडकियाँ फ़ौज में भर्ती हो रही हैं,
लड़कियाँ स्पेस में जा रही हैं,
डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक बन रही हैं,
नाटक, नृत्य, गायन, वादन, लेखन
सभी कलाओं में पारंगत होकर
अपना परचम लहरा रही हैं !
फिर यह कौन सी नस्ल है लड़कियों की
जिनका आये दिन बलात्कार होता है ?
जिनके चेहरों पर एसिड डाल
उन्हें जीवन भर का अभिशाप झेलने के लिए
विवश कर दिया जाता है ?
जो कम दहेज़ लाने पर आज भी
हमारे विकसित देश में सूखी लकड़ी की तरह
ज़िंदा जला दी जाती हैं ?
जो कम उम्र में ही ब्याह दी जाती हैं
और जिनके हाथों में किताब कॉपी छीन
कलछी, चिमटा, चकला, बेलन थमा दिया जाता है ?
जो बारम्बार मातृत्व का भार ढोकर
पच्चीस बरस की होने से पहले ही बुढ़ा जाती हैं ?
हाँ हमारे सैकड़ों योजनाओं वाले देश में
लड़कियों की एक नस्ल ऐसी भी है
जिनके बेनूर, बेरंग, बेआस जीवन में
जीने का अर्थ सिर्फ समलय में
साँसों का चलते रहना ही होता है
बस, इसके सिवा कुछ और नहीं !
साधना वैद
Saturday, April 10, 2021
इंद्रजाल
रोज़ रात को आँखें मूँदे
अपने सिरहाने तले
ढूँढती हूँ तुम्हारे उस दिव्य अंश को
जो बड़ी ममता से मेरे माथे पर
थपकियाँ दे मुझे सुलाने आ जाता है,
मेरी उलझी अलकों को अपनी तराशी हुई
उँगलियों से रोज़ सुलझा जाता है,
अपने मुलायम आँचल से
मेरे स्वेद बिन्दुओं को पोंछ
मुझ पर शीतल हवा कर देता है !
खो जाती हूँ मैं अनोखे आनंदलोक में
सुनते सुनते उन अलौकिक स्वरों को
जिनमें स्वरबद्ध कर तुम धीमे धीमे
मुझे लोरी सुना जाती हो !
तुम्हारे प्रेम, तुम्हारे दुलार,
तुम्हारे वात्सल्य, तुम्हारी स्निग्धता,
तुम्हारी ममता, तुम्हारी करुणा,
तुम्हारी कोमलता के इस
इन्द्रधनुषी इंद्रजाल को
अपने बदन के चहुँ ओर लपेट
हर रात बड़े सुकून से सो जाती हूँ मैं
सुबह उठने के लिये !
लेकिन रात का तुम्हारा रचाया
यह इंद्रजाल मुझे पूरी तरह से
तैयार कर देता है इस शुष्क दुनिया के
कटु यथार्थ की बेरहम सच्चाईयों को
झेलने के लिए !
कहो तो, कैसे मानूँ तुम्हारा आभार !
साधना वैद
Thursday, April 1, 2021
मन की आवाज़
रेलगाड़ी धड़धड़ाती हुई तेज़ रफ़्तार से गंतव्य की ओर बढ़ रही थी ! नेत्रपाल के मन में बड़ी उथल पुथल हो रही थी ! कश्मीर के बारामूला में भारतीय सेना में कैप्टिन के पद पर उसकी तैनाती थी जहाँ इन दिनों आतंकियों की बड़ी घुसपैठ चल रही थी ! इधर उसके गाँव, बाह, में उसके बड़े भाई की शादी का दिन पास आ गया था ! मोर्चे पर आये दिन कोई न कोई वारदात होती रहती थी ! वह ड्यूटी छोड़ कर जाना तो नहीं चाहता था लेकिन परिवार में पहली शादी थी और विवाह के अवसर पर माता पिता भाई बहन के अलावा सभी नाते रिश्तेदारों से भी भेंट हो जायेगी इसका लालच भी था ! मोर्चे पर तो जान हथेली पर ही रखी रहती है ! इस बहाने एक बार सबसे मिल लेगा ! बमुश्किल आठ दिन की छुट्टी की जुगाड़ कर नेत्रपाल गाँव जाने के लिए रेल में सवार हो गया ! अपने जूनियर तीरथ सिंह को उसने सारी ज़िम्मेदारी और प्लानिंग अच्छी तरह से समझा दी थी ! चलते समय उसकी पीठ थपथपा कर उसका हौसला भी बढ़ाया था, “तू बस आठ दिन सम्हाल लेना तीरथ ! फिर तो मैं आ ही जाउँगा ! फिर हम सब मिल कर दाँत खट्टे करेंगे इन कमीनों के !” और तीरथ सिंह ने मुस्कुरा कर उसे एक जोश भरा सैल्यूट दिया था !
रात भर इन्हीं विचारों में डूबा नेत्रपाल ठीक से सो नहीं पाया था ! सुबह आँख खुली तो ट्रेन किसी बड़े स्टेशन पर रुकी हुई थी ! एक अंगड़ाई लेते हुए वह प्लेटफार्म पर उतरा ! सामने ही चाय का स्टाल था ! नेत्रपाल ने एक चाय ली और एक अखबार खरीदा ! मुखपृष्ठ पर बारामूला में दुश्मन के आतंकी हमले की घटना बड़े बड़े अक्षरों में छपी हुई थी ! नेत्रपाल के दिल की धड़कन बढ़ गयी ! बेचैनी से उसने पूरा समाचार पढ़ा ! इस हमले में अदम्य शौर्य और साहस का परिचय देते हुए कैप्टिन तीरथ सिंह और एक जवान करतार सिंह शहीद हो गये और तीन जवान बुरी तरह घायल हो गए ! तीरथ सिंह का मुस्कुराता चेहरा उसकी आँखों के सामने घूम रहा था ! इस समय नेत्रपाल की आँखों से आँसू और चिंगारियाँ दोनों एक साथ निकल रहे थे !
प्लेटफार्म की दूसरी तरफ जम्मू जाने वाले गाड़ी खड़ी हुई थी ! नेत्रपाल के मन से आवाज़ आ रही थी उसे इस समय ड्यूटी पर होना चाहिये था ! दुश्मन को सबक सिखाना होगा ! एक पल की देर किये बिना नेत्रपाल ने गाड़ी से अपना सामान उतारा और जम्मू जाने वाली गाड़ी में सवार हो गया !
साधना वैद