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Friday, April 30, 2021

पहाड़ी नदी




स्वर्ग से नीचे
धरा पर उतरी
पहाड़ी नदी

करने आई
उद्धार जगत का
कल्याणी नदी

बहती जाती 
अथक अहर्निश
युगों युगों से 

करती रही 
धरा अभिसिंचित 
ये सदियों से 

जीवन यह 
है अर्पित तुमको 
हे रत्नाकर 

उमड़ चली 
मिलने को तुमसे 
मेरे सागर 

सूर्य रश्मि से 
 पिघली हिमनद  
सकुचाई सी 

 हँसती गाती  
छल छल बहती 
इठलाई सी 

उथली धारा
बहती कल कल
प्रेम की धनी

उच्च चोटी से 
झर झर झरती 
झरना बनी 

नीचे आकर 
बन गयी नदिया 
मिल धारा से 

उन्मुक्त हुई
निर्बंध बह चली 
हिम कारा से

बहे वेग से 
भूमि पर आकर 
मंथर धारा 

मुग्ध हिया में 
उल्लास जगत का 
समाया सारा 

एक ही साध
हो जाऊँ समाहित
पिया अंग मैं

रंग जाऊँगी 
इक लय होकर 
पिया रंग मैं 

मेरा सागर 
मधुर या कड़वा 
मेरा आलय 

सुख या दुःख 
अमृत या हो विष
है देवालय 

चाहत बस 
पर्याय प्रणय की
मैं बन जाऊँ

मिसाल बनूँ
साजन के रंग में 
मैं रंग जाऊं 



साधना वैद     

Sunday, April 25, 2021

यह कौन सी नस्ल है

 


 

सुनते हैं

लड़कियों की शिक्षा के मामले में

हमारा देश में खूब विकास हुआ है !

लडकियाँ हवाई जहाज उड़ा रही हैं,

लडकियाँ फ़ौज में भर्ती हो रही हैं,  

लड़कियाँ स्पेस में जा रही हैं,

डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक बन रही हैं,

नाटक, नृत्य, गायन, वादन, लेखन

सभी कलाओं में पारंगत होकर

अपना परचम लहरा रही हैं !

फिर यह कौन सी नस्ल है लड़कियों की

जिनका आये दिन बलात्कार होता है ?

जिनके चेहरों पर एसिड डाल

उन्हें जीवन भर का अभिशाप झेलने के लिए

विवश कर दिया जाता है ?

जो कम दहेज़ लाने पर आज भी

हमारे विकसित देश में सूखी लकड़ी की तरह

ज़िंदा जला दी जाती हैं ?

जो कम उम्र में ही ब्याह दी जाती हैं

और जिनके हाथों में किताब कॉपी छीन

कलछी, चिमटा, चकला, बेलन थमा दिया जाता है ?

जो बारम्बार मातृत्व का भार ढोकर 

पच्चीस बरस की होने से पहले ही बुढ़ा जाती हैं ?

हाँ हमारे सैकड़ों योजनाओं वाले देश में

लड़कियों की एक नस्ल ऐसी भी है

जिनके बेनूर, बेरंग, बेआस जीवन में 

जीने का अर्थ सिर्फ समलय में

साँसों का चलते रहना ही होता है

बस, इसके सिवा कुछ और नहीं !

 

साधना वैद 

 


Saturday, April 10, 2021

इंद्रजाल

 



रोज़ रात को आँखें मूँदे

अपने सिरहाने तले

ढूँढती हूँ तुम्हारे उस दिव्य अंश को

जो बड़ी ममता से मेरे माथे पर

थपकियाँ दे मुझे सुलाने आ जाता है,

मेरी उलझी अलकों को अपनी तराशी हुई

उँगलियों से रोज़ सुलझा जाता है,

अपने मुलायम आँचल से

मेरे स्वेद बिन्दुओं को पोंछ

मुझ पर शीतल हवा कर देता है !

खो जाती हूँ मैं अनोखे आनंदलोक में

सुनते सुनते उन अलौकिक स्वरों को

जिनमें स्वरबद्ध कर तुम धीमे धीमे

मुझे लोरी सुना जाती हो !

तुम्हारे प्रेम, तुम्हारे दुलार,

तुम्हारे वात्सल्य, तुम्हारी स्निग्धता,

तुम्हारी ममता, तुम्हारी करुणा,

तुम्हारी कोमलता के इस

इन्द्रधनुषी इंद्रजाल को

अपने बदन के चहुँ ओर लपेट

हर रात बड़े सुकून से सो जाती हूँ मैं

सुबह उठने के लिये !

लेकिन रात का तुम्हारा रचाया

यह इंद्रजाल मुझे पूरी तरह से

तैयार कर देता है इस शुष्क दुनिया के

कटु यथार्थ की बेरहम सच्चाईयों को

झेलने के लिए !

कहो तो, कैसे मानूँ तुम्हारा आभार !   

 

साधना वैद


Thursday, April 1, 2021

मन की आवाज़

 


रेलगाड़ी धड़धड़ाती हुई तेज़ रफ़्तार से गंतव्य की ओर बढ़ रही थी ! नेत्रपाल के मन में बड़ी उथल पुथल हो रही थी ! कश्मीर के बारामूला में भारतीय सेना में कैप्टिन के पद पर उसकी तैनाती थी जहाँ इन दिनों आतंकियों की बड़ी घुसपैठ चल रही थी ! इधर उसके गाँव, बाह, में उसके बड़े भाई की शादी का दिन पास आ गया था ! मोर्चे पर आये दिन कोई न कोई वारदात होती रहती थी ! वह ड्यूटी छोड़ कर जाना तो नहीं चाहता था लेकिन परिवार में पहली शादी थी और विवाह के अवसर पर माता पिता भाई बहन के अलावा सभी नाते रिश्तेदारों से भी भेंट हो जायेगी इसका लालच भी था ! मोर्चे पर तो जान हथेली पर ही रखी रहती है ! इस बहाने एक बार सबसे मिल लेगा ! बमुश्किल आठ दिन की छुट्टी की जुगाड़ कर नेत्रपाल गाँव जाने के लिए रेल में सवार हो गया ! अपने जूनियर तीरथ सिंह को उसने सारी ज़िम्मेदारी और प्लानिंग अच्छी तरह से समझा दी थी ! चलते समय उसकी पीठ थपथपा कर उसका हौसला भी बढ़ाया था, “तू बस आठ दिन सम्हाल लेना तीरथ ! फिर तो मैं आ ही जाउँगा ! फिर हम सब मिल कर दाँत खट्टे करेंगे इन कमीनों के !” और तीरथ सिंह ने मुस्कुरा कर उसे एक जोश भरा सैल्यूट दिया था ! 

रात भर इन्हीं विचारों में डूबा नेत्रपाल ठीक से सो नहीं पाया था ! सुबह आँख खुली तो ट्रेन किसी बड़े स्टेशन पर रुकी हुई थी ! एक अंगड़ाई लेते हुए वह प्लेटफार्म पर उतरा ! सामने ही चाय का स्टाल था ! नेत्रपाल ने एक चाय ली और एक अखबार खरीदा ! मुखपृष्ठ पर बारामूला में दुश्मन के आतंकी हमले की घटना बड़े बड़े अक्षरों में छपी हुई थी ! नेत्रपाल के दिल की धड़कन बढ़ गयी ! बेचैनी से उसने पूरा समाचार पढ़ा ! इस हमले में अदम्य शौर्य और साहस का परिचय देते हुए कैप्टिन तीरथ सिंह और एक जवान करतार सिंह शहीद हो गये और तीन जवान बुरी तरह घायल हो गए ! तीरथ सिंह का मुस्कुराता चेहरा उसकी आँखों के सामने घूम रहा था ! इस समय नेत्रपाल की आँखों से आँसू और चिंगारियाँ दोनों एक साथ निकल रहे थे ! 

प्लेटफार्म की दूसरी तरफ जम्मू जाने वाले गाड़ी खड़ी हुई थी ! नेत्रपाल के मन से आवाज़ आ रही थी उसे इस समय ड्यूटी पर होना चाहिये था ! दुश्मन को सबक सिखाना होगा ! एक पल की देर किये बिना नेत्रपाल ने गाड़ी से अपना सामान उतारा और जम्मू जाने वाली गाड़ी में सवार हो गया ! 


साधना वैद