Followers

Monday, September 30, 2024

ओफ्फोह दादू हाइकु संवाद पोएम 2

दादा और पोते का प्यारा सा रिश्ता, जो हर पल खास होता है। इस वीडियो में देखें कैसे एक पोता अपने दादा की हर छोटी-छोटी ज़रूरत का ख्याल रखता है और अपनी सेवा और शरारतों से दादा का दिल जीतता है। o दादा-पोते के रिश्ते की मासूमियत को महसूस करें o बचपन की यादें ताजा करें o परिवार के प्यार का अनुभव करें o एक मर्मस्पर्शी कहानी का आनंद लें o दादा और पोते के बीच प्यारे संवाद o पोते का दादा का ख़याल रखने का अनोखा अंदाज़ o पोते की शरारतें और दादा की प्रतिक्रिया o परिवार के साथ बिताए हुए खूबसूरत पल

साधना वैद 


Thursday, September 26, 2024

बच्चों में अनुशासन की कमी – कारण और निदान

 



बच्चों में अनुशासन की कमी – कारण और निदान

आजकल के बच्चों में मुख्य रूप से किशोर वय के बच्चों में अनुशासनहीनता एवं निरंकुशता के दर्शन कुछ अधिक ही हो रहे हैं ! उसका मुख्य कारण भी घर परिवार का वातावरण है और इसका निदान भी घर में ही है ! संयुक्त परिवारों का टूटना इसका सबसे बड़ा कारण है ! जहाँ माता पिता दोनों ही काम करने वाले होते हैं वहाँ बच्चों की अच्छी परवरिश की समस्या आ जाती है ! लेकिन उन परिवारों में जहाँ घर में और भी कई सदस्य रहते हैं इसका निदान आसानी से हो जाता है क्योंकि परिवार के वे सभी सदस्य बच्चों का बहुत अच्छी तरह से ध्यान रखते हैं उनमें अच्छे संस्कारों का बीजारोपण करते हैं और बच्चे भी उनका कहना मानते हैं उनका आदर करते हैं ! लेकिन जहाँ संयुक्त परिवार टूट गए हैं घर के बड़े बुजुर्गों का स्थान अल्प शिक्षित नौकरों, आया व नैनीज़ वगैरह ने ले लिया है जिनका एक मात्र सरोकार सिर्फ अपने वेतन से होता है बच्चों की परवरिश से नहीं ! अक्सर इनमें से अधिकाँश नौकर स्वयं बुरी आदतों के शिकार होते हैं, जैसे झूठ बोलना, चोरी करना, बहाने बनाना आदि और बच्चों को भी वे ही यही बातें सिखाते हैं ! माता पिता अपने बच्चों पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दे पाते इस अपराध बोध से मुक्ति पाने के लिए वे बच्चों की हर सही गलत माँग को पूरा करने के लिए बाध्य रहते हैं और बच्चे इस मौके का फ़ायदा उठाते हैं ! घर में बच्चों पर कोई अंकुश नहीं होता तो वे अपने फोन पर या टी वी पर अनर्गल कार्यक्रम देख कर अपना मनोरंजन करते हैं जिसका उनके मन मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है ! आजकल बच्चों में स्वेच्छाचारिता व् एकान्तप्रियता की भावना भी प्रबल रूप से घर करती जा रही है ! वे अपने पसंद के लोगों के अलावा अन्य किसीसे से बात करना मिलना जुलना बिलकुल पसंद नहीं करते ! कोई घर आ जाए तो कमरे से भी बाहर नहीं आते ! उन्हें मँहगे मँहगे वीडियो गेम्स और बाहर दोस्तों के साथ सैर सपाटा करने में ही आनंद आता है जो बिलकुल गलत है ! वे किसीसे आदरपूर्वक बात नहीं करते !
इन समस्याओं के निदान माता पिता के हाथ में ही हैं ! सबसे पहले वे अपना आचरण सुधारें ! बच्चों की पहली पाठशाला घर में ही होती है ! बच्चों को घर के सभी सदस्यों का आदर करने की और उनकी बात मानने की शिक्षा दें ! बच्चों के दोस्तों पर भी सतर्क नज़र रखें एवं उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में भी जानें ! अक्सर टूटे परिवारों के बच्चे अस्वस्थ मानसिकता के शिकार हो जाते हैं और ऐसे बच्चों का साथ आपके बच्चे पर भी बुरा प्रभाव डाल सकता है ! घर में कुछ अच्छी परम्पराओं का प्रतिपादन करें और स्वयं भी उनका पालन करें ! शाम का समय सब साथ बैठ कर खाना खाएं ! खाने के समय टेलीफोन का प्रयोग बिलकुल वर्जित कर दें ! बच्चों के हाथों से घर के अन्य सदस्यों को खाना परसवायें ! बुज़ुर्ग अगर घर में हैं तो प्रतिदिन उनके पास कुछ समय बैठने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करें ! इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बच्चे उनका अनादर न करें ! बच्चों को उनके कर्तव्यों का भान अवश्य कराते रहें ताकि उनमें अच्छे संस्कारों की नींव पड़े और वे अच्छे इंसान बनें ! उन्हें जो भी समझाएं प्यार से समझाएं ताकि वे उसे मन से आत्मसात करें चिढ़ कर नहीं ! क्योंकि जिन बातों को मन से नहीं किया जाता उनका असर भी अस्थाई ही होता है ! स्वयं भी बच्चों के सामने नियंत्रित रहें और किसीसे अपमानजनक भाषा में बात न करें ! आजकल असभ्यता और बदतमीजी को आधुनिकता और बोल्डनेस का पर्याय समझा जाने लगा है !


चित्र - गूगल से साभार 


साधना वैद


Wednesday, September 18, 2024

यह घर भी तुम्हारा ही है

 


रिंगटोन से ही पहचान गयी सविता ! यह सुपर्ण का ही फोन है ! मन उदास था कि इस बार क्रिसमस वेकेशंस में वह होस्टल से घर नहीं आ रहा था ! अपने दोस्त के साथ उसने यूरोप के कुछ बहुत खूबसूरत स्थान देखने का प्रोग्राम बना लिया था ! सविता को फ़िक्र थी यूरोप में बहुत सर्दी होगी ! सुपर्ण के पास तो पर्याप्त गरम कपड़े होंगे भी नहीं ! मुम्बई में सर्दी पड़ती ही कहाँ है ! उसे कह दूँगी न हो तो वहीं से कुछ खरीद ले या यहीं से कुछ बढ़िया वाले कपड़े खरीद कर भेज देती हूँ ! इसी उधेड़बुन में उलझा था सविता का दिमाग ! अच्छा हुआ सुपर्ण का फोन आ गया ! उसने जल्दी से दौड़ कर फोन उठाया !

“हाँ बेटा बोलो ! तुम्हारे एयर टिकिट्स बुक हो गए ? किस तारीख के हुए हैं ? मैं सोच रही थी पापा का नीला वाला ओवरकोट और कुछ नए एक्स्ट्रीम ठण्ड में पहनने वाले गरम कपड़े तुम्हारे पास भेज दूँ ! वहाँ तो उन दिनों गज़ब की ठण्ड होगी ना |”

“रुको ना मम्मी ! इस सबकी कोई ज़रुरत नहीं है हम कहीं नहीं जा रहे !” सविता हतप्रभ थी ! 

“क्यों क्या हुआ ? अभी तक तो तुम बहुत उत्साह में थे ! पैसे कम पड़ रहे हैं क्या ? मैं भेज दूँगी न और ! क्या बात है सब ठीक तो है ?”

“नहीं मम्मी ! फरहान के साथ यूक्रेन की राजधानी कीव जाने का प्लान था हम तीन दोस्तों का ! बहुत ही खूबसूरत शहर था वो ! सारी दुनिया से लोग पढ़ने आते हैं वहाँ ! लेकिन पिछले शुक्रवार के हमले में कीव के उस इलाके में बमबारी हुई जहाँ फरहान का सारा परिवार रहता था ! सुना है वह हिस्सा बिलकुल तबाह हो गया है ! मम्मी फरहान का चार पाँच मंजिला शानदार घर भी तहस नहस हो गया और उसके माता पिता चाचा चाची, भाई बहन सब इस हमले में मारे गए ! अब उसके पास न घर रहा जाने के लिए न परिवार !” सुपर्ण का गला भर आया था !
“मम्मी इसीलिये मैं भी इस बार घर नहीं आउँगा ! हम तीन चार दोस्त यही रहेंगे फरहान के साथ मुम्बई में ताकि वह अकेला न हो जाये !”
“नहीं बेटा ! तुम घर ज़रूर आओगे और अकेले नहीं आओगे फरहान को साथ लेकर आओगे ! उससे कहना यह घर भी तुम्हारा ही है और यह परिवार भी !” सविता की आवाज़ में दृढ़ता भी थी और अकथनीय प्यार भी !   

 

साधना वैद  


Sunday, September 15, 2024

"ओफ्फोह दादू"- हाइकु संवाद पोएम 1

 



एक प्यारा पोता अपने दादू के लिए अपनी भावनाओं को इस खूबसूरत हाइकु कविता के माध्यम से बयां करता है। दादू की चिंताओं को दूर करने और उन्हें खुश करने के लिए वह तरह-तरह के प्यारे काम करने की बात करता है। इस वीडियो में आप देखेंगे कि कैसे एक पोते का प्यार अपने दादू के लिए कितना मायने रखता है। कविता के प्रत्येक पंक्ति के साथ आप दादू और पोते के बीच के भावुक पलों को दिखा सकते हैं। जैसे दादू की चिंता, पोते का दादू को ढांढस बंधाना, साथ में शतरंज खेलना, और अंत में दादू को सोने के लिए कहना।


साधना वैद

Sunday, September 1, 2024

बिकाऊ

 



आज दुनिया में हर चीज़ बिकाऊ हो चुकी है
हवा से लेकर पानी तक
खुशबू से लेकर मुस्कान तक
चितवन से लेकर चाल तक
लेकिन अभी भी बहुत कुछ बाकी है
जो अनमोल होते हुए भी 
बिलकुल बिकाऊ नहीं है
जो संसार में
सबसे कीमती होते हुए भी
नितांत नि:शुल्क है
लेकिन जिसकी कद्र करना
आज का इंसान भूल गया है
जिसे एक कोने में उपेक्षा से डाल कर
इंसान ने उससे नज़रें फेर ली हैं
वह है माता पिता का प्यार
माता पिता का आशीर्वाद
माता पिता का सान्निध्य !
कब समझेगा यह मूरख इंसान
यह वह अनमोल वरदान है
जो कभी बिकाऊ नहीं हो सकता
जिसका मोल इस संसार में
कभी कोई लगा ही नहीं सकता

क्योंकि उसे बिलकुल मुफ्त
अबाध मात्रा में पाया तो जा सकता है
लेकिन उसका अल्पांश भी
खरीदने की औकात
किसी में नहीं है !   

 

साधना वैद