दूर भगा कर तम हर घर को
जगर मगर कर दें !
चलो आज हम सब मिल जुल कर
जगमग जग कर दें !
रहे न कोई घर का कोना
कहीं उपेक्षित, तम आच्छादित
हो जाए मन का हर कोना
हर्षित, गर्वित और आह्लादित
रच कर सुन्दर एक रंगोली
घर पावन कर दें !
चलो आज हम सब मिल जुल कर
जगमग जग कर दें !
गूँथ आम्र पल्लव से सुन्दर
द्वारे वन्दनवार सजाएं
तेल और बाती से रच कर
घर आँगन में दीप जलाएं
माँ लक्ष्मी के स्वागत में हम
घर मंदिर कर दें !
चलो आज हम सब मिल जुल कर
जगमग जग कर दें !
जैसे आज सजाया घर को
मन का भी श्रृंगार करें
ममता, करुणा, दया भाव से
अतिथि का सत्कार करें
द्वेष, ईर्ष्या, क्रोध मिटा कर
मन निर्मल कर दें !
चलो आज हम सब मिल जुल कर
जगमग जग कर दें !