काम अनगिनत अभी पड़े हैं
रस्ते में अवरोध खड़े हैं
हैं चिंताएं अभी अनंत
अभी न होगा मेरा अंत !
किसे सौंप दूँ फिक्रें सारी
किस पर लादूँ गठरी भारी
किसे पुकारूँ मेरे कन्त
अभी न होगा मेरा अंत !
जीवन जकड़ा है उलझन में
व्याकुलता उमड़ी है मन में
नैनन नीर बहे बेअंत
अभी न होगा मेरा अंत !
हर कर्तव्य निभाना होगा
हर दायित्व उठाना होगा
पतझड़ हो कि या हो बसंत
अभी न होगा मेरा अंत !
भाग नहीं सकता मैं वन में
नहीं मिलेगी मुक्ति भजन में
ना मैं साधू ना हूँ संत
अभी न होगा मेरा अंत !
बदलूँगा किस्मत की भाषा
पूरी होगी हर प्रत्याशा
मुझमें अभी हौसला बुलंद
अभी न होगा मेरा अंत !
साधना वैद