जाने
क्या बात है हर बात पे जी जलता है ,
तेरा
गम दिल की इन पनाहों में ही पलता है !
तेरी
यादें ही थमा जाती हैं जीने की वजह ,
वरना
बेवजह भला कौन जिया करता है !
न
कोई आस, ना उम्मीद, ना कोई वादा ,
बस
एक चिराग है दिन रात जला करता है !
न
कोई हमसफर, न दूर तक कोई मंज़िल ,
बस
एक साया है जो साथ चला करता है !
कहो
सुनाऊँ इसे कब तलक झूठे किस्से ,
सयाना
हो चुका ये दिल कहाँ बहलता है !
कि
गुज़रे लम्हों की हर याद नक्श है दिल पर ,
कि
बीता वक्त तुझे साथ लिये चलता है !
बता दे तू ज़रा कि हम कहाँ रहें जाकर ,
क्या
कोई हम सा तेरे आस-पास रहता है !
हमें
तो चलते ही जाना है दौरे सहरा में ,
तेरे
जहान पर नूरे खुदा बरसता है !
या
खुदा हो चुकी है इन्तहा गुज़ारिश की ,
इन्हें क़बूलने से क्यों भला तू डरता है !
साधना
वैद