श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की सभी को हार्दिक बधाई
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Sunday, August 29, 2021
जन्मे कन्हैया
Friday, August 27, 2021
गोल्डन चांस
हमारे देश की कई दुखी आत्माओं के लिए अत्यंत हर्ष का विषय है ! दुनिया में इसी ज़मीन पर एक और जन्नत का अवतरण हुआ है ! एक और नितांत पाक साफ़ देश अस्तित्व में आ गया है जहाँ सारे कायदे क़ानून शरीया के लागू होते हैं, तीन तलाक पर कोई पाबंदी नहीं है, चार चार निकाह को जायज़ माना जाता है ! न परिवार नियोजन का कोई झंझट है न उदारवादिता के नाम पर खातूनों को फ़िज़ूल की आज़ादी दी जाती है ! समाज बिलकुल पाक साफ़ रहे और उसमें कोई अनुशासनहीनता न आने पाए इसके लिए को - एजूकेशन पर ही पाबंदी लगा दी गयी है ! जीवन भी तो देखिये कितना आसान और सस्ता है ! पेट्रोल सिर्फ पचास रुपये लीटर है, बीफ खाने पर भी कोई रोक नहीं है, फल फ्रूट मेवों के बाग़ ही बाग़ हैं ! जन्नत और किसे कहते हैं ! और फिर ऐसा सुअवसर और कब मिलेगा ! इन दिनों रोज़ खाली जहाज़ इस जन्नत में जा रहे हैं और वहाँ से भर भर कर भारतीय मूल के लोगों को वापिस स्वदेश ला रहे हैं ! मेरी गुज़ारिश उन सभी भाई बहनों से है जो इस मुल्क में खुद को असुरक्षित और असहज मानते हैं, जिन्हें लगता है उनके धार्मिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है और उन्हें उनके धर्म के अनुसार नहीं रहने दिया जा रहा है वे इस गोल्डन चांस का फ़ायदा ज़रूर उठायें क्योंकि जीवन में ऐसे शानदार मौके बार बार नहीं आते !
साधना वैद
Friday, August 20, 2021
आतंकी राज
चीखती रूहें
खौफनाक मंज़र
भागते लोग
शर्मिंदा खुदा
ग़मज़दा आयतें
धर्म का सोग
इंसानियत
हो गई शर्मसार
बहरा खुदा
अपने बंदे
भटकें इंसाफ को
सबसे जुदा
पर्दों के पीछे
धकेली गई स्त्री
कैसा इंसाफ
आधी आबादी
कर जग रौशन
हुई बर्बाद
आतंकी आका
खौफजदा जनता
ज़िंदगी जेल
बचा ले मौला
तेरे ही तो बंदे हैं
रोक ये खेल
साधना वैद
Monday, August 16, 2021
स्वतन्त्रता दिवस
Saturday, August 14, 2021
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
Sunday, August 8, 2021
यादें
कुछ यादे हैं जो गुदगुदाया करती हैं
कभी अधरों पर बन मुस्कुराहट
तो कभी आँखों में बन बदली
छा जाया करती हैं,
हमें तो जीने का हुनर
सिखाया है इन यादों ने ही
कभी दोधारी तलवार पर
चला देती हैं
तो कभी आसमान में परिंदों सी
उड़ा जाया करती हैं !
मन के किसी कोने में
दबी छुपी ये यादें ही कभी
आज की ठहरी हुई ज़िंदगी को
रवानी दे जाया करती हैं
तो कभी उम्रदराज़ होती
दिल की थकी हुई
लस्त तमन्नाओं को
नयी जवानी और नया जोश देकर
फिर से जी उठने का
नायाब सलीका
सिखा जाया करती हैं !
साधना वैद
Wednesday, August 4, 2021
मेरी फितरत
मैं तो चल पडी थी
सपनों की डोर थामे
दूर फलक की राह पर
लेकिन मेरा यह सुख भी
तुझे कहाँ बर्दाश्त हुआ नियति
फोड़ ही दिया ना तूने
मेरी ख्वाहिशों का गुब्बारा
लेकिन देख मेरी चाल
और देख मेरा हौसला
कभी नहीं तोड़ पायेगी तू
मेरा विश्वास और
मेरी जिजीविषा
क्योंकि जीतना ही
मेरी फितरत है !
साधना वैद