हमारे शरीर को अपने पूरे जीवन काल में अनेक कारणों से इलाज की सहायता की आवश्यकता पड़ती है ! वो कारण हैं मामूली बुखार खाँसी जैसी बीमारियाँ अथवा मलेरिया, टायफाइड या कोरोना जैसी गंभीर बीमारियाँ ! रोज़ के जीवन में अनेक प्रकार की दुर्घटनाओं के कारण घायल हो जाने पर भी इलाज की ज़रुरत होती है ! यह चोट छोटी मोटी भी हो सकती है और किसी बड़ी दुर्घटना के कारण हड्डी टूटने जैसी या अंग भंग जैसी गंभीर भी हो सकती है !
मनुष्य ने प्राचीन समय से ही जो भी वस्तुएं व साधन उपलब्ध होते थे उन्हीं से अपना इलाज शुरू किया ! तरह तरह की पत्तियों, फूलों और उनके बीजों को खाकर उसने यह समझना शुरू कर दिया कि कौन सी वनस्पति किस रोग में लाभकारी होती है ! चोट लग जाने पर इन्हीं पत्तियों आदि को पीस कर जख्म पर लगाने से और उसके ऊपर पट्टी बाँधने से मनुष्य ने आरंभिक ( फर्स्ट एड ) चिकित्सा करना सीखा ! हड्डी टूट जाने पर बाँस के टुकड़े के साथ पट्टी बाँध देना इसी तरह का इलाज होता था !
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ! जल्दी ही समूह में रहना उसे अच्छा लगने लगा ! अपने समूह में रहने वाले उस व्यक्ति, जिसको इस प्रकार इलाज करना अधिक अच्छा आता था, वह धीरे धीरे उस समय का डॉक्टर बन गया !
आधुनिक समय में तो यह इलाज की कला पूरी तरह से विज्ञान बन चुकी है और उसको विश्व विद्यालयों में अनेक कोर्स बना कर पढ़ाया भी जाने लगा है ! सबसे छोटा चिकित्सालय वह होता है जिसमें एक डॉक्टर और एक सहायक अथवा नर्स होती है ! वहाँ पर साधारण बीमारियों की दवाएं भी उपलब्ध होती हैं ! इन्हें बोलचाल की भाषा में डॉक्टर साहेब की दूकान कहा जाता है ! यह एक तरह के वाक इन अस्पताल होते हैं जिनमें कोई भी मरीज़ जा सकता है और डॉक्टर की सलाह से अपना इलाज करवा सकता है !
ख़ास तरह के रोगों के लिए यहाँ से मरीजों को विशेषज्ञों द्वारा चलाये जाने वाले चिकित्सालयों में भेज दिया जाता है जहाँ पर अनेक प्रकार के उपकरण व टेस्टिंग की सुविधाएं भी होती हैं ! इन्हें क्लीनिक कहा जाता है ! ये भी बहुत उपयोगी होते हैं !
चौबीस घंटे इलाज की सुविधा देने वाले बड़े क्लीनिकों को अस्पताल कहा जाता है ! यहाँ पर मरीज़ के रहने की भी सुविधा होती है ! एक्स रे की मशीन आदि अन्य उपकरण भी लगे होते हैं ! डॉक्टर्स भी अनेक होते हैं जो बारी बारी आकर चौबीस घंटे इलाज की सुविधा देते हैं ! ज़रुरत पड़ने पर बाहर से दूसरे विशेषज्ञ आकर भी चिकित्सा कर सकते हैं ! ऑपरेशन की सुविधा भी यहाँ उपलब्ध होती हैं ! इसी प्रकार के और भी बड़े अस्पताल भी होते हैं जिनमें एक साथ अनेकों रोगियों का इलाज किया जा सकता है !
ऐसे बड़े अस्पताल भी होते हैं जिनमें मरीजों के इलाज के साथ साथ डॉक्टर्स और नर्सों की शिक्षा और प्रशिक्षण का प्रबंध भी होता है ! इन्हें मेडिकल कॉलेज वाले अस्पताल कहा जाता है ! यहाँ के डॉक्टर्स बहुत अनुभवी होते हैं व लाइब्रेरी, प्रयोगशाला व शोध आदि करने की सुविधाएं भी होती हैं !
भारत में उपचार के लिए एलोपैथी और आयुर्वेद दोनों पद्धतियों का प्रयोग होता है ! एलोपैथिक एक आधुनिक चिकित्सा पद्धति है जिसमें दवाओं और सर्जरी द्वारा छोटी बड़ी बीमारियों का इलाज किया जाता है ! इसकी दवाएं अनेक तरह के रसायनों को मिला कर आधुनिक प्रयोगशालाओं में बनाई जाती हैं और गोली, इंजेक्शन व सीरप के रूप में इन दवाओं का उत्पादन किया जाता है ! एलोपैथी से इलाज की शिक्षा मेडीकल कॉलेज में दी जाती है ! सबसे पहली डिग्री को एम बी बी एस कहते हैं ! इसके ऊपर एम एस और एम डी डिग्रियाँ विशेषज्ञों के लिए होती हैं ! सर्जरी के लिए तरह तरह के यंत्र और मशीनों की सहायता ली जाती है ! एलोपैथी तत्काल आराम और लम्बे इलाज दोनों के लिए लाभकारी है ! इसकी दवाओं को डॉक्टर्स की सलाह से ही प्रयोग में लाना चाहिए ! पूरी दुनिया में इस पद्धति का प्रयोग बीमारी का इलाज और उसकी रोक थाम दोनों के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है !
आयुर्वेदिक पद्धति भी इलाज की एक बहुत प्राचीन पद्धति है ! जिसका अविष्कार भारत में प्राचीन काल में हुआ था ! आयुर्वेद में दवाएं प्राकृतिक पदार्थों जैसे जड़ी बूटियाँ, पत्तियाँ व बीज और लवण आदि का प्रयोग कर निर्मित की जाती हैं और इनसे बीमारियों का इलाज किया जाता है ! इस पद्धति में डॉक्टर को वैद्य जी कहा जाता है जो आयुर्वेदिक विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करते हैं और इस पद्धति में इलाज करने की डिग्री प्राप्त करते हैं ! आयुर्वेद की दवाओं का मानव शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है इसलिए इस पद्धति से किये जाने इलाज को सुरक्षित माना जाता है ! इसका इलाज एलोपैथी की तुलना में कुछ समय तो अधिक लेता है किन्तु रोग को जड़ से दूर कर देता है ऐसा माना जाता है ! सर्जरी इस पद्धति में भी होती है और आजकल आधुनिक यंत्रों का प्रयोग भी किया जाने लगा है ! भारत में इन दोनों पद्धतियों का प्रयोग सफलतापूर्वक किया जा रहा है ! कभी कभी तो एक ही मरीज़ अपनी दो बीमारियों में किसी एक बीमारी का इलाज आयुर्वेदिक पद्धति से करते हैं और दूसरी का इलाज एलोपैथी पद्धति से करना पसंद करते हैं ! इसकी दवाएं अधिकतर चूर्ण के रूप में एवं काढा या आसव इत्यादि के रूप में बनती हैं जिन्हें आजकल गोलियों व कैप्सूल के रूप में भी बनाया जा रहा है !
उपचार की इन दोनों पद्धतियों से अलग लेकिन बहुत असरकारी एक और पद्धति है जिसे योग कहते हैं ! योग वास्तव में व्यायाम करने का एक वैज्ञानिक तरीका है जिसे प्रारम्भ में तो हमारे साधू संतों ने स्वयं को स्वस्थ एवं निरोग रखने के लिए विकसित किया जिससे वे दूरस्थ प्रदेशों में बिना किसी चिकित्सकीय सहायता के अपना जीवन सुगमता से बिता सकें ! योग में शरीर के सभी अंगों व मांसपेशियों को व्यायाम के द्वारा इस तरह से संचालित किया जाता है कि बीमार अंग शक्तिशाली होकर बीमारी को बिना दवा के ही दूर भगा देता है ! योग में हर बीमारी व हर अंग के लिए अलग अलग तरह के व्यायाम निर्धारित किये गए हैं जिन्हें आसन कहा जाता है ! योग बच्चे बूढ़े, स्त्री पुरुष और स्वस्थ व बीमार सभी के लिए लाभकारी होता है ! एलोपैथिक व आयुर्वेदिक दोनों पद्धतियों के डॉक्टर्स योग को अपनाने की सलाह देते हैं ! इलाज का यह तरीका पूरी तरह से नि:शुल्क होता है ! प्रसन्नता की बात यह भी है कि भारत में विकसित यह प्रणाली सारे विश्व में प्रसिद्द हो गयी है और २१ जून का दिन विश्व योग दिवस के रूप में सारी दुनिया में मनाया जाने लगा है !
स्वस्थ रहना हमारा अधिकार भी है और उसके लिए तीनों पद्धतियों का उचित उपयोग करना हमारा कर्तव्य भी है ! रोग की गंभीरता को आँकते हुए हमें तीनों पद्धतियों का संतुलन बनाते हुए उपचार करना चाहिए ! योग स्वस्थ जीवन का सबसे सुदृढ़ सूत्र है ! योग को अपना कर हम अपने शरीर को इतना शक्तिशाली बना सकते हैं कि हमें दवाओं की आवश्यकता ही नहीं होगी ! इसलिए प्रतिदिन नियम से व्यायाम करिये और स्वस्थ रहिये !
साधना वैद