“किन्शुल, और कितनी देर है भई ! बाहर वैन वाला कब
से हॉर्न बजा रहा है ! जल्दी निकलो बाहर ! वो चला जाएगा छोड़ कर !”
“जाने दो वैन को मम्मी मैं श्यामा के साथ साइकिल
से चली जाउँगी !” ब्रेड पर मक्खन लगाते हुए किन्शुल ने किचिन से जवाब दिया !”
बालों को हाथों से समेटते हुए मीता ने हड़बड़ा कर किचिन में प्रवेश किया !
“क्या कहा ? और यहाँ किचिन में तुम क्या कर रही
हो ? श्यामा कहाँ है ? ये दो टिफिन बॉक्स किसके है ?” मीता के चेहरे पर झुँझलाहट
झलक रही थी !
“मम्मी, श्यामा नहाने गयी है ! आज वह भी मेरे साथ
स्कूल जायेगी ! कल मैंने पड़ोस वाली वर्मा आंटी, जो सरकारी स्कूल में प्रिंसीपल
हैं, उनसे बात कर ली है श्यामा के एडमीशन की ! उन्होंने कहा था कि कल उसे स्कूल
भेज देना ! उसका टेस्ट लेकर देख लेंगे कि किस क्लास में उसे दाखिला मिल सकता है !
यह दूसरा टिफिन उसीके लिए बना रही हूँ !”
“अच्छा ! इतनी बड़ी हो गयी हो तुम कि सारे फैसले
खुद करने लगीं ! हमसे पूछने की ज़रुरत भी नहीं समझी !” मीता का गुस्सा सातवें आसमान
पर था !
“रोज़ श्यामा तुम्हारा टिफिन तैयार करती थी अब तुम
उसका टिफिन बनाओगी ? तुम्हारे दिमाग में क्या भूसा भरा हुआ है ?” मीता की आवाज़ तार
सप्तक तक पहुँच गयी थी ! श्यामा बाथरूम से निकल किन्शुल की पुरानी ड्रेस में खड़ी
थर थर काँप रही थी !
“किसने कहा था तुमसे मिसेज़ वर्मा के पास जाने को
? इस श्यामा ने ? पहले हमसे बात करना ज़रूरी नहीं लगा तुम्हें ? ये स्कूल जायेगी तो
घर का काम कौन करेगा ? मैं या तुम ?”
हिकारत से श्यामा को भस्मीभूत करने वाली नज़रों से
देखते हुए मीता किन्शुल पर बरस पडीं ! अप्रत्याशित रूप से मम्मी की डाँट खाकर
किन्शुल घबरा गयी थी ! मिमियाते हुए बोली,
“मम्मी हम आपको प्लेजेंट सरप्राइज़ देना चाहते थे
इसलिए नहीं बताया था !”
“प्लेजेंट सरप्राइज़ ? कैसा सरप्राइज़ ?”
“वो कल टी वी के टॉक शो में आप ही तो कह रही थीं
न कि नारी सशक्तिकरण के लिए लड़कियों का शिक्षित होना बहुत ज़रूरी है ! जब तक हर
लड़की शिक्षित नहीं होगी नारी सशक्तिकरण की बातें करना बेमानी है ! समाज के समृद्ध
वर्ग का दायित्व है कि वो निर्धन वर्ग की बेटियों को पढ़ाने का बीड़ा उठायें ! अपने
घरों में काम करने वाली अशिक्षित महिलाओं और बच्चियों को साक्षर बनाने का संकल्प
लें ! बस इसीलिये !“
किन्शुल का गला रुंध गया था !
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद