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Tuesday, October 17, 2023

युद्ध की विभीषिका

 



शुभ कदम

पावन हुआ घर

देवी जी आईं

 

आओ पधारो

सब मंगल करो

माँ वरदाई  

 

हिंसा का नाच

युद्ध की विभीषिका

शमन करो

 

आतंकवादी

जो बिगाड़ें माहौल

दमन करो

 

पोंछ दो आँसू

रख दो मरहम

मिटा दो दर्द

 

रिसते ज़ख्म

क्षत विक्षत अंग

चहरे ज़र्द

 

विघ्न नाशिनी

हे करुणामयी माँ

कल्याण करो

 

रोई ममता

सहमी मानवता

निर्वाण करो !

 

 

साधना वैद


Sunday, October 8, 2023

शुक्रिया दोस्त

 



 

वादा तो किया था तुमने

ताउम्र साथ चलने का

प्यार की बारिश में

साथ-साथ भीगने का 

दर्द के सहरा में

साथ-साथ जलने का !

कोई बात नहीं तुम भूल गए तो

आज भी मेरे हमराह

कुछ तो है तुम्हारा दिया

जो लम्हा दर लम्हा

कदम दर कदम

मेरे साथ-साथ चलता है

न जाने क्यों

जैसे तुम साथ हो मेरे

इस मीठे से भरम से

ज़िंदगी का हर पल

मुझे रात दिन छलता है !

एक शिद्दत भरा एहसास

तुम्हारी चुभती बेवफाई का

मेरी चीरती रुसवाई का

जान खींचती तुम्हारी खामोशी का

दम घोंटती मेरी तन्हाई का

मेरे दिल ओ दिमाग में पलता है !

क्या हुआ जो तुम नहीं हो साथ

हर पल लहूलुहान करतीं

तुम्हारी यादें तो हैं मेरे हमराह !

मंज़िले मक़सूद तक

पहुँचने के लिए

इतने हमसफ़र काफी हैं !

शुक्रिया दोस्त

तुम्हारे इस करम के लिए !

 

साधना वैद   

 


Monday, October 2, 2023

सावनी कतौता

 




नभ में घन 

धरा माँ का आँचल 

न मिला तो रो पड़े ! 


भीनी फुहार 

भिगो गई बदन 

सुलगा गई मन !


हैरान रवि 

छिपा बादल ओट

कहीं भीग न जाऊँ !


लाये सावन 

मधुरिम पलों की 

स्मृतियाँ बारम्बार ! 


नर्म दूब पे 

पाँव थकने तक 

चलना सुख देता ! 


झूलों की पींगें 

सखियों की ठिठोली 

सावन की सौगात !


मीठी मल्हारें
गायें सारी सखियाँ
भेजें पी को पतियाँ !


साधना वैद 

🙏🌹🌹🌹🌹🌹🙏