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Saturday, March 26, 2016

आया बसंत छाया बसंत




जता देते हैं 
भ्रमर के सुगीत 
आया बसंत ! 

जागी प्रकृति 
खिल गयीं कलियाँ 
पंछी चहके ! 

अल्पना सजी 
घर आँगन द्वारे 
साँझ सकारे ! 

रंगों का खेल 
खेल रही प्रकृति 
फूलों के संग ! 

गाते झरने 
झूमते खलिहान 
मुग्ध वसुधा ! 

आम का बौर 
सुरभित पवन 
कूके कोकिला ! 

प्रेम का राग 
मन में अनुराग 
झुकी पलकें ! 

तुम न आये 
बैरी चाँद सताए 
कुछ न भाये ! 

सुबह हुई 
हमसफ़र चाँद 
घर को चला ! 

प्रिया उदास 
है फीका मधुमास 
पिया न पास ! 


साधना वैद

Wednesday, March 23, 2016

होली की हार्दिक शुभकामनायें




रंग गुलाल 
अम्बर हुआ लाल 
मचा धमाल ! 

पिया साँवरे 
रंग दो चुनरिया 
धानी रंग में ! 

होली का पर्व 
प्रेम भरे रंगों से 
खेलें सगर्व ! 

रंग रंगीला 
प्यार मोहब्बत का 
त्यौहार आया ! 

जीने का ढंग 
सिखाती है सबको 
रंगीली होली ! 

होली के रंग 
हृदय में उमंग
साजन संग ! 

आ जा रे कान्हा 
खेलूँ तेरे संग मैं 
जी भर होली ! 

मनमोहना 
रंगो अपने रंग 
राह तकूँ मैं ! 

होली का पर्व 
काले पीले चेहरे 
भाँग का नशा ! 

बच्चे हुलसे 
मचाएं हुड़दंग 
साथियों संग ! 

माँ की रसोई 
व्यंजनों की सुगंध 
भूख बढ़ाए ! 

जला दें आज 
दुश्मनी बैर भाव 
होली की आग !


साधना वैद
 

Sunday, March 20, 2016

दर्द ने कुछ यूँ निभाई दोस्ती





दर्द ने कुछ यूँ निभाई दोस्ती
झटक कर दामन खुशी रुखसत हुई
मोतियों की थी हमें चाहत बड़ी
आँसुओं की बाढ़ में बरकत हुई !

साधना वैद

Friday, March 18, 2016

हाँ ! वो सच्चे वीर थे




हाँ ! वो सच्चे वीर थे
भारत की पावन माटी के
वो रक्षक रणवीर थे !
सबल सशक्त शत्रु के आगे 
झुके नहीं नत मस्तक हो !
कमर तोड़ने को शत्रु की
लड़ते रहे समर्पित हो !
हँसते-हँसते झूल गये वो
फाँसी के फंदे को चूम !
थी उनमें कुछ बात अनोखी  
रहते थे मस्ती में झूम !
सीमित साधन और निर्धनता
कभी न आड़े आ पाई !
बड़े–बड़े उनके करतब से
दुश्मन पर भी बन आई !
जाने कितने फौत हो गये
जालियाँवाला बाग में
जाने कितने लटकाए पेड़ों पर
वन और बाग में !
भगत सिंह, सुख देव, राजगुरु
अशफाकुल्ला और आज़ाद
जान लुटा दी सबने अपनी
करने को भारत आज़ाद !
और न जाने कितने ही
दीवानों का लिखा है नाम
भारत माता की रक्षा में
हँस कर दे दी अपनी जान !
काश आज के भारत वासी
याद रखें उनका बलिदान
जात पात और ऊँच नीच को
भूल करें उनका सम्मान !
चलें दिखाए उनके पथ पर
करें देश पर वो अभिमान
अपने सत्कर्मों से रौशन
करें विश्व में अपना नाम !

साधना वैद  

Thursday, March 17, 2016

हिसाब बराबर



 हिसाब बराबर
ज़िंदगी मुझ पर तेरा अब क़र्ज़ कुछ बाकी नहीं
पूरी शिद्दत से निभाए फ़र्ज़ कुछ बाकी नहीं
भूल से जो रह गये दो चार देने से कभी
बदले में तूने दिए जो दर्द कुछ बाकी नहीं !


साधना वैद

Saturday, March 12, 2016

है भारत का बेटा




प्रिये सोचता था जब आयेगी होली

रंगूंगा तबीयत से प्रिया अपनी भोली ! 


छकाऊँगा जी भर तुम्हें कुमकुमों से

सताऊँगा मल-मल के चेहरा रंगों से !


मनाउँगा होली सभी दोस्तों संग

पिलाउँगा भोले का शरबत मिला भंग !


खिलाउँगा पकवान माँ के बनाये  
न जाउँगा घर से किसीके बुलाये !
 
कहाँ सोचा था ऐसी आयेगी होली

कि जाउँगा मैं लाम पर छोड़ खोली !


हूँ फ़ौजी हुकुम मानना ही पड़ेगा

कहीं भी हो ड्यूटी तो जाना पड़ेगा !


कोई डर नहीं और आयेंगी होली

मनायेंगे सब मिल के खुशियों में घोली !


अभी तो छुड़ाने हैं दुश्मन के छक्के

न आये दोबारा कभी फिर से मुड़ के ! 


प्रिये सबसे होगी अनोखी ये होली

चलेंगी इस होली पे सचमुच की गोली !


रंगेंगे एक दूजे को निज रक्त से हम

चलेंगे दनादन हैंड ग्रेनेड और बम ! 


धरा होगी रंगीन खूँ से हमारे

क्या पता हम बचें या कि हों प्रभु को प्यारे !


जो न आऊँ मैं वापिस तो मत शोक करना 

यूँ मरना वतन पे है फौजी का गहना ! 


न रोना, कलपना, न आँसू बहाना

न मेरी शहादत को बौना बनाना ! 


ये कहना तिरंगे में जो वीर लेटा

है अभिमान मेरा, है भारत का बेटा !





साधना वैद