सुनाये सिर्फ
मोहब्बत के गीत दुनिया को
हम अपने सीने में
ऐसा सितार रखते हैं !
तुम्हारा प्यार न ले
जाए कहीं जान मेरी
तुम्हीं से मिलने का
बस इंतज़ार रखते हैं !
गए परदेस तो फिर लौट
कर भी आओगे
तुम्हारे वादे पे हम
एतबार रखते हैं !
बचा सकेंगे तुझे ज़ुल्मते
ज़माने से
वफ़ा में अपनी हम इतना
मयार रखते हैं !
जो ख़त लिखे थे कभी
तूने नागवारी में
उनके अल्फ़ाज़ हमें बेक़रार
रखते हैं !
भले ही फूल खिले हों
तमाम गुलशन में
हम अपने हिस्से में
तो सिर्फ खार रखते हैं !
न छू सकेंगी तुझे
तोहमतें जहां भर की
तेरे रसूख से इतना
तो प्यार रखते हैं !
न तुम बुलाओगे न खुद
ही चल के आओगे
खयालो ख़्वाब का हम
इंतज़ार रखते हैं !
न कर सकेगा ज़माना
कभी हमें रुसवा
जुबां में अपनी हम
इतनी तो धार रखते हैं !
जहान भर की नेमतें नसीब
हों तुझको
दुआ मनाने का तो
अख्तियार रखते हैं !
हमें यकीन है मैयत
में आ ही जाओगे
तुम्हारे कौल का हम
एतबार करते हैं !
जनाज़ा उठने से पहले चले
ही आओगे
तेरे कदमों पे जाँ
अपनी निसार करते हैं !
साधना वैद