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Tuesday, November 5, 2024

दौज का टीका

 



दौज का टीका

भैया के भाल पर

दमके ऐसे

 

चंदा सूरज

नील गगन पर

चमके जैसे 

 

भैया सा स्नेही

सकल जगत में

दूजा न कोई

 

सौभाग्य जगा

पाकर तुझे भैया

खुशियाँ बोई

 

स्नेह की डोर

कस कर थामना

दुलारे भैया

 

पार उतारो

थाम के पतवार

जीवन नैया

 

दौज का टीका

दीप्त हो भाल पर

सूर्य सामान

 

शीतल करे

अन्तर की तपन

चन्द्र सामान   

 

रोली अक्षत

सजे भाल पर ज्यों

सूरज चाँद 


स्नेह डोर से 

बहना ने लिया है 

भैया को बाँध !



साधना वैद 


8 comments :

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 7 नवंबर 2024 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. हार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र जी ! आभार आपका ! सादर वन्दे !

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  2. स्नेह डोर मजबूती से बंधी रहे। सुंदर भावों से सजी सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई दीदी।

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    1. हार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा जी ! आभार आपका !

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  3. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद हरीश जी ! आभार आपका !

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  4. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! आभार आपका !

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