दौज का टीका
भैया के भाल पर
दमके ऐसे
चंदा सूरज
नील गगन पर
चमके जैसे
भैया सा स्नेही
सकल जगत में
दूजा न कोई
सौभाग्य जगा
पाकर तुझे भैया
खुशियाँ बोई
स्नेह की डोर
कस कर थामना
दुलारे भैया
पार उतारो
थाम के पतवार
जीवन नैया
दौज का टीका
दीप्त हो भाल पर
सूर्य सामान
शीतल करे
अन्तर की तपन
चन्द्र सामान
रोली अक्षत
सजे भाल पर ज्यों
सूरज चाँद
स्नेह डोर से
बहना ने लिया है
भैया को बाँध !
साधना वैद
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 7 नवंबर 2024 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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हार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र जी ! आभार आपका ! सादर वन्दे !
Deleteस्नेह डोर मजबूती से बंधी रहे। सुंदर भावों से सजी सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई दीदी।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा जी ! आभार आपका !
Deleteबेहतरीन
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद हरीश जी ! आभार आपका !
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! आभार आपका !
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