रिंगटोन से ही
पहचान गयी सविता ! यह सुपर्ण का ही फोन है ! मन उदास था कि इस बार क्रिसमस वेकेशंस
में वह होस्टल से घर नहीं आ रहा था ! अपने दोस्त के साथ उसने यूरोप के कुछ बहुत
खूबसूरत स्थान देखने का प्रोग्राम बना लिया था ! सविता को फ़िक्र थी यूरोप में बहुत
सर्दी होगी ! सुपर्ण के पास तो पर्याप्त गरम कपड़े होंगे भी नहीं ! मुम्बई में
सर्दी पड़ती ही कहाँ है ! उसे कह दूँगी न हो तो वहीं से कुछ खरीद ले या यहीं से कुछ
बढ़िया वाले कपड़े खरीद कर भेज देती हूँ ! इसी उधेड़बुन में उलझा था सविता का दिमाग !
अच्छा हुआ सुपर्ण का फोन आ गया ! उसने जल्दी से दौड़ कर फोन उठाया !
“हाँ बेटा बोलो
! तुम्हारे एयर टिकिट्स बुक हो गए ? किस तारीख के हुए हैं ? मैं सोच रही थी पापा
का नीला वाला ओवरकोट और कुछ नए एक्स्ट्रीम ठण्ड में पहनने वाले गरम कपड़े तुम्हारे
पास भेज दूँ ! वहाँ तो उन दिनों गज़ब की ठण्ड होगी ना |”
“रुको ना मम्मी
! इस सबकी कोई ज़रुरत नहीं है हम कहीं नहीं जा रहे !” सविता हतप्रभ थी !
“क्यों क्या
हुआ ? अभी तक तो तुम बहुत उत्साह में थे ! पैसे कम पड़ रहे हैं क्या ? मैं भेज
दूँगी न और ! क्या बात है सब ठीक तो है ?”
“नहीं मम्मी !
फरहान के साथ यूक्रेन की राजधानी कीव जाने का प्लान था हम तीन दोस्तों का ! बहुत
ही खूबसूरत शहर था वो ! सारी दुनिया से लोग पढ़ने आते हैं वहाँ ! लेकिन पिछले
शुक्रवार के हमले में कीव के उस इलाके में बमबारी हुई जहाँ फरहान का सारा परिवार
रहता था ! सुना है वह हिस्सा बिलकुल तबाह हो गया है ! मम्मी फरहान का चार पाँच
मंजिला शानदार घर भी तहस नहस हो गया और उसके माता पिता चाचा चाची, भाई बहन सब इस हमले में मारे गए ! अब उसके पास न घर रहा
जाने के लिए न परिवार !” सुपर्ण का गला भर आया था !
“मम्मी इसीलिये मैं भी इस बार घर नहीं आउँगा ! हम तीन चार दोस्त यही रहेंगे फरहान
के साथ मुम्बई में ताकि वह अकेला न हो जाये !”
“नहीं बेटा ! तुम घर ज़रूर आओगे और अकेले नहीं आओगे फरहान को साथ लेकर आओगे ! उससे
कहना यह घर भी तुम्हारा ही है और यह परिवार भी !” सविता की आवाज़ में दृढ़ता भी थी
और अकथनीय प्यार भी !
साधना वैद
शानदार
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! आभार आपका !
Deleteमार्मिक कहानी, इस युद्ध ने न जाने कितने परिवारों को तबाह कर दिया है
ReplyDeleteजी बिलकुल सही कहा आपने अनीता जी ! यह सत्यकथा पर ही आधारित लघुकथा है ! बस पात्रों एवं स्थानों के नाम परिवर्तित हैं ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आलोक जी ! आभार आपका !
Deleteलाजवाब कथा साधना जी। माँ की ममता का आँचल बहुत बड़ा होता है। वह करुणा और मानवीय मूल्यों को अपने भीतर समेटे रखता है 🙏
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