रेलगाड़ी धड़धड़ाती हुई तेज़ रफ़्तार से गंतव्य की ओर बढ़ रही थी ! नेत्रपाल के मन में बड़ी उथल पुथल हो रही थी ! कश्मीर के बारामूला में भारतीय सेना में कैप्टिन के पद पर उसकी तैनाती थी जहाँ इन दिनों आतंकियों की बड़ी घुसपैठ चल रही थी ! इधर उसके गाँव, बाह, में उसके बड़े भाई की शादी का दिन पास आ गया था ! मोर्चे पर आये दिन कोई न कोई वारदात होती रहती थी ! वह ड्यूटी छोड़ कर जाना तो नहीं चाहता था लेकिन परिवार में पहली शादी थी और विवाह के अवसर पर माता पिता भाई बहन के अलावा सभी नाते रिश्तेदारों से भी भेंट हो जायेगी इसका लालच भी था ! मोर्चे पर तो जान हथेली पर ही रखी रहती है ! इस बहाने एक बार सबसे मिल लेगा ! बमुश्किल आठ दिन की छुट्टी की जुगाड़ कर नेत्रपाल गाँव जाने के लिए रेल में सवार हो गया ! अपने जूनियर तीरथ सिंह को उसने सारी ज़िम्मेदारी और प्लानिंग अच्छी तरह से समझा दी थी ! चलते समय उसकी पीठ थपथपा कर उसका हौसला भी बढ़ाया था, “तू बस आठ दिन सम्हाल लेना तीरथ ! फिर तो मैं आ ही जाउँगा ! फिर हम सब मिल कर दाँत खट्टे करेंगे इन कमीनों के !” और तीरथ सिंह ने मुस्कुरा कर उसे एक जोश भरा सैल्यूट दिया था !
रात भर इन्हीं विचारों में डूबा नेत्रपाल ठीक से सो नहीं पाया था ! सुबह आँख खुली तो ट्रेन किसी बड़े स्टेशन पर रुकी हुई थी ! एक अंगड़ाई लेते हुए वह प्लेटफार्म पर उतरा ! सामने ही चाय का स्टाल था ! नेत्रपाल ने एक चाय ली और एक अखबार खरीदा ! मुखपृष्ठ पर बारामूला में दुश्मन के आतंकी हमले की घटना बड़े बड़े अक्षरों में छपी हुई थी ! नेत्रपाल के दिल की धड़कन बढ़ गयी ! बेचैनी से उसने पूरा समाचार पढ़ा ! इस हमले में अदम्य शौर्य और साहस का परिचय देते हुए कैप्टिन तीरथ सिंह और एक जवान करतार सिंह शहीद हो गये और तीन जवान बुरी तरह घायल हो गए ! तीरथ सिंह का मुस्कुराता चेहरा उसकी आँखों के सामने घूम रहा था ! इस समय नेत्रपाल की आँखों से आँसू और चिंगारियाँ दोनों एक साथ निकल रहे थे !
प्लेटफार्म की दूसरी तरफ जम्मू जाने वाले गाड़ी खड़ी हुई थी ! नेत्रपाल के मन से आवाज़ आ रही थी उसे इस समय ड्यूटी पर होना चाहिये था ! दुश्मन को सबक सिखाना होगा ! एक पल की देर किये बिना नेत्रपाल ने गाड़ी से अपना सामान उतारा और जम्मू जाने वाली गाड़ी में सवार हो गया !
साधना वैद
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार २ अप्रैल २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
देश के सैनिक देश की रक्षा के लिए परिवार की भी परवाह नहीं करते . सैनकों के प्रति हर नागरिक के मन में सबसे ज्यादा सम्मान होना चाहिए . गर्व है . सुन्दर लघु कथा
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद संगीता जी ! आपको लघुकथा अच्छी लगी मेरा श्रम सार्थक हुआ ! हृदय से आभार आपका !
Deleteबहुत अच्छी लघुकथा...
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद संदीप जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत बहुत सराहनीय रचना |
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आलोक जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteसार्थक लघुकथा।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद शास्त्री जी ! आपका हृदय से बहुत बहुत आभार !
Deleteतभी तो सैनिक वन्दनीय होता है
ReplyDeleteजी बिलकुल सत्य कहा आपने ! हमारे देश के ये शूरवीर सैनिक निश्चित रूप से सम्माननीय, वन्दनीय एवं स्तुत्य होते हैं ! ये सीमा के प्रहरी सजग न हों तो न जाने क्या हाल हो देशवासियों का ! आपको लघुकथा अच्छी लगी आपका बहुत बहुत आभार !
Deleteजी ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteबहुत सुंदर लघुकथा
ReplyDeleteबड़ी अच्छी प्रेरणास्पद कथा है यह आपकी साधना जी । अभिनंदन आपका ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जितेन्द्र जी ! आपका बहुत बहुत आभार !
Deleteदेशप्रेम के भावों से आपूरित सुन्दर लघुकथा ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मीना जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteमाँ के सच्चे सपूत
ReplyDeleteजी गगन जी ! ये वो सच्चे अर्थों में बहादुर और शूरवीर नायक हैं जो जान पर खेल कर बिना किसी डबल के अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हैं और देश की खातिर अपनी जान भी कुर्बान कर देते हैं मगर फिर भी गुमनाम ही रह जाते हैं ! लोग उन्हीं नायकों के दीवाने होते है जो नकली फाईट के लिए भी डबल का इस्तेमाल करते हैं और अपने शरीर पर एक भी खरोंच नहीं आने देते ! आपको लघुकथा अच्छी लगी आपका बहुत बहुत आभार !
Deleteदेश प्रेम से ओतप्रोत रचना |
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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