Sunday, October 17, 2021

सच्चा दशहरा

 



स्वागत है राम तुम्हारा

तुम्हारी अपनी अयोध्या में !

दशहरे के पावन अवसर पर

लंकाधिपति रावण को पराजित कर

तुम सगर्व सीता को अपने घर

सुरक्षित लौटा तो लाये हो !

लाखों दीप प्रज्वलित कर अयोध्यावासियों ने

दीवाली भी मना ली है !

लेकिन सच कहना राम क्या तुम

वास्तव में पूरी तरह से आश्वस्त हो कि

रावण का वध हो गया है ?

अब इस संसार में कोई भी रावण शेष नहीं ?

अगर ऐसा है राम तो वह कौन था

जिसने अप्रत्यक्ष रूप से

गर्भवती सीता का हरण कर लिया ?

तुम्हारे ही हाथों उसे निष्कासित करवा

दर दर जंगलों में भटकने के लिए और

दुष्कर जीवन जीने के लिए विवश कर दिया ?

क्या वह रावण का प्रतिरूप नहीं था ?  

नहीं राम तुम भ्रमित हो !

रावण एक शरीर नहीं जिसका वध कर

तुम आश्वस्त हो जाओ कि

अब इस संसार में कोई रावण नहीं बचा !

रावण तो एक दूषित मानसिकता है

एक भ्रमित विचारधारा है

जिसने नारी को केवल भोग्या ही माना

न कभी उसका सम्मान किया

न ही कभी उसे उचित संरक्षण दिया !

यह दूषित विचारधारा हर युग में

हर समाज में पैदा होती रहती है !

और इसके विनाश के लिए राम तुम्हें

हर घर में हर परिवार में

अपना एक प्रतिरूप पैदा करना होगा

ताकि समाज के कोने कोने में साँस ले रहे

रावणों का खात्मा हो सके और नारी को

उसकी गरिमा के अनुकूल उचित

संरक्षण और सम्मान प्राप्त हो सके !

जिस दिन समाचार पत्र में

किसी भी स्त्री के शोषण का समाचार नहीं होगा

उसी दिन मेरे लिए सच्चा दशहरा होगा राम

और तब ही तुम्हारे स्वागत में

पूरी श्रद्धा से मैं दीवाली के दीप जला पाउँगी !  

 

साधना वैद  


3 comments:

  1. सुप्रभात
    बहुत शानदार रचना |

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    1. हार्दिक धन्यवाद जी ! बहुत बहुत आभार आपका जीजी !

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