न जाने क्यों
मुझे बाज़ार का यह दस्तूर
समझ नहीं आता
कोई दुकानदार कोई खरीदार
समझ नहीं आता
न जाने क्या खरीदना चाहते हैं लोग
न जाने क्या बेचना चाहते हैं लोग
मुझे तो संशय और संभ्रम का
यह संसार ही समझ नहीं आता
मुझे बाज़ार का यह दस्तूर
समझ नहीं आता !
अपने निस्वार्थ प्रेम, त्याग, समर्पण,
निष्ठा का आज तक मुझे
कोई खरीदार ना मिला
और जो बेहद आकर्षक और
सुन्दर पैकिंग में लपेट कर वो बेचते हैं
सजीले सपने, झिलमिल आकांक्षाएं,
उड़ान भरने को तैयार अभिलाषाएं
उनका तो ढेरों मलबा
अरमानों और हसरतों की
चमकदार पन्नियों के साथ
इफरात में मेरे अंतर्मन के
हर कोने में भरा पड़ा है
कहो तो किससे जाकर करूँ मैं गिला !
इसीलिये मुझे तो खरीद फरोख्त का
यह कारोबार ही समझ नहीं आता
मुझे बाज़ार का यह दस्तूर
समझ नहीं आता !
चित्र - गूगल से साभार !
साधना वैद
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी एक रचना शुक्रवार ७ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
नववर्ष मंगलमय हो।
हार्दिक धन्यवाद श्वेता जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०८-०१ -२०२२ ) को
'मौसम सारे अच्छे थे'(चर्चा अंक-४३०३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !
Deleteत्याग, समर्पण,निष्ठा और प्रेम की भावनाएँ अनमोल हैं, इन्हें हवा और धूप की तरह सब के हिस्से में दिया है परमात्मा ने पर अक्सर लोग इन्हें मन की गहराई में छिपाकर भूल ही जाते हैं
ReplyDeleteजी बिलकुल सही कहा आपने ! इस भौतिकवादी दुनिया में इनका खरीदार कोई नहीं मिलता ! आपका बहुत बहुत आभार अनीता जी !
Deleteअत्यंत गहन भावपूर्ण रचना..
ReplyDeleteवाकई जीवन-व्यवहार में उतरती बाज़ार की परिपाटी को समझना बेहद कठिन है...
बहुत सुंदर रचना 🌷
हार्दिक धन्यवाद शरद जी ! आपका बहुत बहुत आभार !
Deleteसुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय ।
ReplyDeleteस्वागत है आपका दीपक जी ! बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका !
Deleteअपने निस्वार्थ प्रेम, त्याग, समर्पण,
ReplyDeleteनिष्ठा का आज तक मुझे
कोई खरीदार ना मिला
और जो बेहद आकर्षक और
सुन्दर पैकिंग में लपेट कर वो बेचते हैं
सजीले सपने, झिलमिल आकांक्षाएं,
उड़ान भरने को तैयार अभिलाषाएं
उनका तो ढेरों मलबा.....!
यही हकीकत है इस जमाने की!
उम्दा सृजन😍💓
हार्दिक धन्यवाद उर्मिला जी ! आपका बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteसुप्रभात
ReplyDeleteउम्दा अभिव्यक्ति |
हार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Delete