16 मई – अलविदा अगरतला
16 मई का सूर्योदय हो चुका
था ! आज घर वापिसी का दिन था ! यह पूरा सप्ताह बहुत ही सुखद रोमांचक अनुभूतियों से
भरा हुआ था ! अपने देश की वो सुरम्य वादियाँ, वो प्राकृतिक
संपदाएं, वो कुदरत के करिश्मे और ऐसे ऐसे पर्यटन स्थल
देखे जिनके बारे में या तो सिर्फ पुस्तकों और आलेखों में पढ़ा था या जिन्हें केवल
फिल्मों में देखा था ! साक्षात उन्हें देखने का क्या अनुभव होता है यह तो वहाँ
पहुँच कर ही जान सकते हैं ! और हमें यह अवसर मिला अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच
की संस्थापिका आदरणीया संतोष श्रीवास्तव जी के सौजन्य से जिनका उद्देश्य है अपनी
संस्था के माध्यम से हिन्दी भाषा व साहित्य के प्रचार और प्रसार के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, सभ्यता, नृत्यकला, चित्रकला, गायन एवं नाटक जैसी ललित कलाओं एवं पर्यटन को भी बढ़ावा
देना ! इस बार जब पर्यटन आधारित मेघालय और त्रिपुरा का यह कार्यक्रम बना तो हम भी
खुद को रोक नहीं पाए और फ़ौरन साथ जाने के लिए अपनी सहमति दे दी ! आज इस बेहद
उत्साहवर्धक ट्रिप के समापन का दिन आ गया था ! दिन में हमारी फ्लाइट पौने तीन बजे
की थी ! दो घंटे पहले लगभग साढे बारह – पौन बजे तक एयरपोर्ट पर रिपोर्ट करना था !
होटल से एयरपोर्ट की दूरी मुश्किल से दस - पंद्रह मिनिट की होगी ! दिन में होटल से
निकलने का समय १२ बजे का तय किया गया ! सुबह उठने की कोई जल्दी नहीं थी ! कहीं
जाना नहीं था घूमने ! सोचा था खूब देर से उठेंगे ! आराम से पैकिंग करेंगे सामान की
और रिलैक्स करेंगे ! लेकिन आदतें आसानी से कहाँ छूटती हैं ! सुबह पंछियों के
चहचहाने के साथ ही आँख भी खुल गयी ! चाय के साथ टी वी पर प्रमुख समाचार भी देख लिए
! सामान इतना कुछ फैला था ही नहीं जो पैकिंग में देर लगती ! सो नहा धोकर तैयार
होकर जब नीचे डाइनिंग रूम में नाश्ते के लिए पहुँचे और हर कमरे से सारे सदस्य वहाँ
एकत्रित हो गए तो यह तय हुआ कि नाश्ते के बाद एक छोटी सी काव्य गोष्ठी रख ली जाए और
इस ट्रिप की अंतिम सुबह में सुन्दर कविताओं के रंग भर कर इसे और खूबसूरत बना दिया
जाए ! इस बार का यह टूर केवल पर्यटन आधारित था तो किसी साहित्यिक समागम की गुंजाइश
इसमें नहीं थी जैसी कि ताशकंद वाले टूर में साहित्यिक गतिविधियाँ भी हर दिन लगातार
होती रहती थीं ! इस बार 16 तारीख की सुबह बिलकुल खाली थी ! बाहर कहीं घूमने जाने
की गुंजाइश ही नहीं थी तो इससे बढ़ कर उसका सदुपयोग और कुछ हो ही नहीं सकता था !
हम लोगों ने होटल एयर ड्राप के डाइनिंग हॉल में बड़े आनंद के साथ अपना नाश्ता किया
! वहाँ के बेहद विनम्र और शिष्ट स्टाफ ने हम लोगों की फरमाइश पर सभीके लिए गरम गरम
नाश्ता लाकर परोसा और हम सबके साथ-साथ ग्रुप फ़ोटोज़ भी खींचे ! उसके बाद हम सब एक
छोटे से मीटिंग रूम में आ गए और यहाँ सबने संक्षेप में इस यात्रा के सन्दर्भ में
अपने अनुभव एवं विचारों को साझा किया और फिर एक छोटी सी काव्य गोष्ठी हुई जिसमें
राजन और रचना जी को छोड़ कर सबने अपनी रचनाएं सुनाईं ! यामिनी श्रीवास्तव इनकी
वीडियो रिकार्डिंग कर रही थीं ! मुझे संचालन का भार सौंपा गया ! मैं देखती हूँ !
यदि मेरे पास उपलब्ध होंगी तो उन खूबसूरत रचनाओं का रसास्वादन मैं आपको भी ज़रूर
करवाउँगी ! मैं बहुत आभारी हूँ प्रिय यामिनी श्रीवास्तव जी की जिन्होंने मेरे
अनुरोध पर उस दिन की सारी रिकॉर्डिंग्स मेरे पास भेज दीं हैं ! लेकिन उनके डाउनलोड
होने में समस्या आ रही है !
नाश्ते के बाद हम लोग होटल
के ही छोटे से कॉन्फ्रेस रूम में जाकर बैठ गए ! पहले तो मेघालय त्रिपुरा के इस
ट्रिप के बारे में सबके अनुभवों की जानकारी ली गयी ! उसके बाद काव्य गोष्ठी का
आनंद लिया गया ! विद्या सिंह जी, संतोष जी, प्रमिला जी, अंजना जी, यामिनी जी और मैंने सबने अपनी कवितायेँ सुनाई !
यामिनी सबकी रिकॉर्डिंग करती रहीं ! जब उन्होंने अपनी कविता सुनाई तो रचना जी ने उसे
रिकॉर्ड किया ! बड़ा आनंद आया ! अच्छा समय का सदुपयोग हुआ ! लगभग १२ बजने वाले थे !
गोष्ठी का समापन किया गया !
सब लोगों ने अपने-अपने कमरों की ओर रुख किया और पैकिंग को फिनिशिंग टचेज़ देकर सब
अपना सामान लेकर नीचे आ गये ! होटल का सारा हिसाब किताब निबटा हम लोग अंतिम बार
अपनी अपनी गाड़ियों में सवार हुए ! हमारी गाड़ी के चालक राजा का इस पूरे टूर में बड़ा
सकारात्मक सहयोग रहा था ! उनकी भलमनसाहत थी कि अपना फोन नंबर दिया और अनुरोध किया
कि भविष्य में कभी अगरतला आने का प्रोग्राम बने तो उन्हें ज़रूर कॉल करें ! वो हमें
अगरतला के आस पास के वो स्थान भी दिखाएँगे जो इस बार छूट गए !
अगरतला का महाराजा बीर
बिक्रम एयर पोर्ट बहुत विस्तृत विशाल नहीं है लेकिन सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त
बहुत ही साफ़ सुथरा और सुन्दर बना हुआ है ! हम पाँचों सीनियर सिटीजंस के लिए व्हील
चेयर की सुविधा उपलब्ध थी ! हमारे सामान का टोटल वज़न तो लिमिट में था लेकिन एक
सूटकेस औसत वज़न से कुछ अधिक भारी हो गया था और दूसरा सूटकेस औसत वज़न से हल्का था !
पहले तो चेक इन करते समय वहाँ की इंचार्ज ड्यूटी ऑफीसर ने आपत्ति जताई और कहा कि एक्स्ट्रा
वज़न के लिए अलग से एक्स्ट्रा पेमेंट करना होगा ! हमारा व्हील चेयर का अटेंडेंट, जो
हमारा सामान चेक इन करा रहा था, मेरे पास आया,
“मैडम, एक सूटकेस भारी हो रहा है ! उसके लिए अलग से पेमेंट करना पडेगा !” मुझे बड़ी
कोफ़्त हो रही थी ! यह क्या झंझट हुई ! राजन तो फ़ौरन तैयार हो गए पेमेंट करने के
लिए ! लेकिन मुझे पता था कि वजन लिमिट से अधिक है ही नहीं ! एक सूटकेस खोल कर दो
चार कपड़े दूसरे सूटकेस में डाल दूँगी तो सब बैलेंस हो जाएगा ! राजन मना कर रहे थे
कि पैसे जमा करा दो कहाँ सामान खोलोगी यहाँ पर लेकिन यह फिजूलखर्ची मुझे गवारा
नहीं थी ! ड्यूटी इंचार्ज ने जब मुझे देखा कि मैं व्हील चेयर से उठ कर आई हूँ तो
उसने बिना एक्स्ट्रा पेमेंट लिए उसे वैसे ही चेक इन कर लिया ! पूरे बत्तीस इंच की
मुस्कान के साथ मैंने जैसे ही उसे धन्यवाद दिया वह भी बहुत खुश हो गयी और मुझे
हैप्पी जर्नी विश करने के लिए मेरे पास व्हील चेयर तक आई !
बोर्डिंग लाउंज में हम लोग
काफी देर बैठे रहे और गप शप लगाते रहे ! मैंने सोवेनिर की शॉप से एक दो फ्रिज
मेग्नेट्स और खरीदे जो शहर में मुझे नहीं मिले थे ! वहाँ की बेहद उम्दा और
खुशबूदार आसाम चाय के कुछ पैकेट्स खरीदे दोस्तों के लिए ! घंटा डेढ़ घंटा कहाँ बीत
गया पता ही नहीं चला कि बोर्डिंग शुरू हो गयी ! सही समय पर हवाई जहाज ने उड़ान भर
ली और शाम को सही समय पर दिल्ली में लैंड भी हो गयी ! एक बहुत ही सुन्दर अध्याय का
आज समापन हो रहा था ! कन्वेयर बेल्ट से अपना-अपना सामान कलेक्ट कर हम लोगों ने एक
दूसरे से विदा ली ! सबके साथ आत्मीयता और अंतरंगता के इतने सुदृढ़ तार जुड़ गए थे कि
इस समय विछोह के ये पल बड़े भारी लग रहे थे ! सरन और रश्मि का फोन मेरे पास आ चुका
था ! वो हम लोगों को रिसीव करने के लिए एयर पोर्ट आ चुके थे ! एग्जिट गेट पर ही
रश्मि मिल गयी ! बच्चों को देखते ही राहत की साँस आई ! इतने समय से सुप्तावस्था
में पड़े हुए दर्द अचानक से जागृत हो गए ! लगा पीठ में बड़ा दर्द हो रहा है ! सरन ने
सहारा देकर हम दोनों को व्हील चेयर से बाहर निकाला ! शाम को लगभग सात बजे तक हम घर
पहुँच कर गरमागरम चाय के साथ अपनी यात्रा के अनुभव सुनाने में मशगूल हो चुके थे !
सरन रश्मि भी दो तीन साल पहले मेघालय की यात्रा पर होकर आये थे और इन सभी स्थानों
को घूम चुके थे ! वो लोग भी अपने अनुभव सुनाते रहे ! रात बहुत देर तक बातें चलती
रहीं ! 17 मई को हमें आगरा के लिए निकल जाना था ! नियत समय पर सुबह 11 बजे गाड़ी
नीचे आ चुकी थी ! बहुत सारी खुशियाँ, बहुत सारी
यादें और ढेर सारे रोमांचक अनुभव लेकर हम 17 तारीख की शाम को पाँच बजे तक आगरा
पहुँच गए थे ! मेघालय त्रिपुरा की यह यात्रा आज यहीं समाप्त हो गयी ! उसके साथ ही
मेरा यह यात्रा संस्मरण भी अब समाप्त होता है ! आपसे विदा लेती हूँ इस वायदे के
साथ कि अगली बार अगर कहीं घूमने गयी तो वहाँ के रोचक संस्मरण भी आप सबके साथ अवश्य
ही शेयर करूँगी ! तो अब इजाज़त दीजिये साथियों ! नमस्कार एवं शुभ रात्रि !
साधना वैद
बहुत सुन्दर लेख आदरणिया जी
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जांगिड जी ! यह 17 किश्तों में मेघालय त्रिपुरा के कुछ हिस्सों का पूरा यात्रा वृत्तांत है आप उन्हें भी पढ़ कर देखिये ! आशा है आपको पसंद आयेगा ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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