प्यार का इत्र
दबा हुआ है
मन की किताब
में
प्यार का इत्र
सूखी पाँखुरी
मोगरे गुलाब की
तुम्हारा चित्र
दबी हुई हैं
जैसे सारी खुशियाँ
सारा सावन
मीठी छुअन
एक अपनापन
पूरा जीवन
इन पन्नों में
इस ग्रन्थ के बीच
मेरे सुमित्र
चाहती छूना
मिला है जो
तुमसे
प्यार का इत्र
साधना वैद
चाहती छूना
ReplyDeleteमिला है जो तुमसे
प्यार का इत्र
अप्रतिम
आभार
सादर वंदे
हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteवाह! अद्भुत सृजन!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शुभ्रा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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