Monday, September 18, 2023

हाइकु दोहे

 


प्यासा सावन

व्यथित मन सूखे

पोखर ताल

फसलें सूखीं

शुष्क वन जग में

पड़ा अकाल !

 

आकर बूझो

मोहना जन गण

मन की बात

हरण करो

विपदा सभी दूर

करो संताप ! 

 

मोहन तेरी

मुरलिया हरती

मन की पीर

ठगी हुई सी

फिर रहीं सखियाँ

यमुना तीर !

 

भोला है जग

साँवरे, नटखट

नंद किशोर

देखत लीला   

थम गए दिवस   

रैन औ भोर  

 

 

साधना वैद

 


4 comments:

  1. हाइकु दोहे

    अभिनव प्रयोग

    अति सुन्दर

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  2. हार्दिक धन्यवाद गोपेश जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  3. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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