Friday, November 10, 2023

होता चमन दिल

 



सिंहावलोकन विधा में रचना

 

राह तकूँ साजन की निसदिन

निसदिन गीत प्रेम के लिखती

लिखती जी भर प्यारी पतियाँ

पतियाँ जिन्हें मैं खुद ही पढ़ती

पढ़ती, पढ़ कर उड़ती जाऊँ

जाऊँ पिया को संग ले आऊँ

आऊँ जब आ जाना संग

संग जमायेंगे हम रंग !

 

तुमने पुकारा तो कैसे न आते

आते तो साथ अपना माजी भी लाते

लाते साथ अपने माजी के साए

साए रहे संग कोई आये या जाए

जाए वो जिससे निभाना हो मुश्किल

मुश्किल भी ऐसी न निकले कोई हल

हल का निकलना आसाँ जो होता

होता चमन दिल नसीबा न रोता !

 

चित्र - गूगल से साभार 


साधना वैद

 


3 comments:

  1. हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !

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  2. सुंदर पंक्तियाँ। शुभ दीपावली।

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    1. हार्दिक धन्यवाद तिवारी जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! दीपावली की आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं !

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