Thursday, March 14, 2024

आभासी मित्र

 



ये आभासी मित्र बड़े अच्छे होते हैं
हँसते संग में और हमारे संग रोते हैं !
होती नहीं हमारी उनसे कभी लड़ाई
करते नहीं किसी दूजे की कभी खिंचाई !
कभी न खोलें फरमाइश की लम्बी सूची
कभी न माँगें पिट्जा बर्गर छोले लूची !
जब जी चाहे उनसे हँस हँस बातें कर लो
जब जी चाहे हफ़्तों उनकी छुट्टी कर दो !
कभी न होती उनसे बक झक रूठा रूठी
कभी न लगता डोर प्रेम की अब है टूटी !
देखा नहीं कभी पर हमको लगते सुन्दर
हर लड़की ज्यों ‘सुधा’ और हर लड़का ‘चंदर’ !
सबको उनका साथ बड़ा अच्छा लगता है
अपने घर का हाल बड़ा कच्चा लगता है !
घर के जोगी ‘जोगड़ा’ और लगते वो ‘सिद्ध’
इनमें ‘सारस’ कौन है और कौन है ‘गिद्ध’ !
इसकी जाँच परख भी बहुत ज़रूरी भाई
होती नहीं स्वास्थ्य के हित में अधिक ‘मिठाई’ !
बातों ही बातों में उठ जाती रचनाएं
लिखते हम और मेवा वो सारी ले जाएं !
किसे कहें, है कौन, करेगा जो सुनवाई
दूजे हित क्यों मोल भला वो लें रुसवाई !
इसीलिये चौकस रहना अच्छा होता है
अधिक भरोसा जो करता है वह रोता है !
जब तक इनकी भली तरह पहचान न होवे
रहें सतर्क सचेत न अपनी बुद्धि खोवें !

साधना वैद
चित्र - गूगल से साभार

6 comments:

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    1. हार्दिक धन्यवाद हरीश जी ! आभार आपका !

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  2. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद आलोक जी ! आभार आपका !

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  3. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! आभार आपका !

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