Wednesday, July 3, 2024

जल ही जीवन है

 



जल जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटक है ! जल के बिना जीवन की कल्पना ही असंभव है ! इसलिए जल की कीमत और महत्त्व को समझना हमारे लिए परम आवश्यक है ! अभी तक वैज्ञानिकों द्वारा जितने भी ग्रह नक्षत्रों के बारे में जानकारी जुटाई गयी है उसके अनुसार केवल हमारी पृथ्वी पर ही पानी मिला है ! किसी और ग्रह पर पानी मिलने के संकेत नहीं मिले हैं इसीलिये जीवन भी पृथ्वी पर ही है ! सारे ही प्राणियों का जीवन, जिनमें हम मनुष्य भी शामिल हैं, जल के बिना असंभव है ! इसलिए यह बात स्वयं सिद्ध हो जाती है कि जल है तो जीवन है !   

यूँ तो हमारी पृथ्वी का तीन चौथाई हिस्सा पानी है और एक चौथाई हिस्सा ज़मीन है लेकिन यह सारा पानी पीने योग्य नहीं है ! इस जल का ९७% हिस्सा बिलकुल खारा है और जो तीन प्रतिशत पानी पीने योग्य है उसमें भी दो प्रतिशत पानी बर्फ व ग्लेशियर के रूप में जमा हुआ है ! इस तरह केवल एक प्रतिशत पानी ही हमें पीने के लिए उपलब्ध हो पाता है ! इस बात को समझना बहुत ज़रूरी है कि बढ़ती जनसंख्या के साथ इस सीमित पेयजल के इस्तेमाल के लिए अनेकों प्राणी प्रतिदिन और जन्म ले रहे हैं ! इसलिए यह बहुत ज़रूरी हो जाता है कि हम इस सीमित मात्रा में मिलने वाले पेयजल का समझदारी के साथ उपयोग करें और इसे बर्बाद तो बिलकुल भी न होने दें ! अक्सर हम देखते हैं कि लोग नल खुले छोड़ देते हैं और कोई ध्यान नहीं देता ! सार्वजनिक स्थानों पर लगे पेयजल के नलों की टोंटियाँ खराब हो जाती हैं और पानी बेवजह बहता रहता है ! ये नल राहगीरों की सुविधा के लिए लगाए गए हैं ! अगर इनकी देखभाल नहीं की जायेगी तो इनको लगाने का उद्देश्य ही ख़त्म हो जाएगा ! एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारा दायित्व है कि उचित विभाग में सम्बंधित अधिकारी के संज्ञान में इसे लाया जाए और पानी की बर्बादी को रोका जाए ! 

पानी की आवश्यकता पशु पक्षियों को भी होती है ! उनके लिए पेय जल की व्यवस्था की जानी चाहिए !  हमें याद है पहले शहरों में जगह-जगह पर सड़क के किनारे पानी की हौदियाँ बना दी जाती थीं जिन्हें सुबह शाम मशक से भरा जाता था ! उन दिनों ताँगे, इक्के और शिकरम चला करते थे ! सामान को इधर उधर बैलगाड़ियों से या टट्टू से ले जाया जाता था ! यातायात के आधार स्तम्भ इन घोड़ों, बैलों और टट्टुओं की प्यास बुझाने के लिए ये हौदियाँ बहुत काम आती थीं ! 

मनुष्य हो या जानवर पानी तो सभीके लिए जीने का आधार है ! बचपन में एक कविता खूब सुनी थी- मछली जल की रानी है 

जीवन इसका पानी है 

हाथ लगाओ डर जायेगी 

बाहर निकालो मर जायेगी ! 

हमारा भी वही हाल हो जाएगा अगर हमें दो दिन पानी न मिले ! इंसान खाने के बिना जीवित रह सकता है लेकिन पानी के बिना नहीं ! इसीलिये समझदारी इसीमें है कि हम पानी का इस्तेमाल किफायत से करें और यह कभी भी न भूलें कि जो पानी बेवजह बह रहा है उससे किसी प्यासे व्यक्ति की पानी की ज़रुरत पूरी हो सकती है ! 

साधना वैद 


10 comments:

  1. मछली जल की रानी है
    जीवन इसका पानी है
    हाथ लगाओ डर जायेगी
    बाहर निकालो मर जायेगी !
    हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं
    उपरोक्त पंक्तियां
    जानदार रचना

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    1. हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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    1. हार्दिक धन्यवाद आलोक जी ! आभार आपका !

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  3. समझदारी इसीमें है कि हम पानी का इस्तेमाल किफायत से करें और यह कभी भी न भूलें कि जो पानी बेवजह बह रहा है उससे किसी प्यासे व्यक्ति की पानी की ज़रुरत पूरी हो सकती है !
    सही कहा आपने...काश सभी समझें इस बात को..
    उपयोगी एवं सार्थक लेख ।

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    1. हृदय से धन्यवाद आपका सुधा जी ! बहुत बहुत आभार !

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  4. अच्छा रिमाइंडर, साधना जी. नमस्ते.

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    1. धन्यवाद नूपुर जी ! दिल से आभार !

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  5. सुन्दर सृजन

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    1. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! आभार आपका !

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