Thursday, November 26, 2009

यह साल भी आखिर बीत गया

26/11//08 को मुम्बई में हुए आतंकी हमले की बरसी के अवसर पर उन शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए यह कविता प्रस्तुत कर रही हूँ जिन्होंने देश के लिये प्राण न्यौछावर करने में एक पल भी नहीं गंवाया और मातृभूमि के प्रति अपना ऋण चुका कर अपने जीवन को सफल कर लिया |

यह साल भी आखिर बीत गया ।
कुछ खून बहा, कुछ घर उजड़े,
कुछ कटरे जल कर राख हुए,
कुछ झीलों का पानी सूखा,
कुछ सुर बेसुर बर्बाद हुए ।
कुछ माचिस से कुछ गोली से
जल जीवन का संगीत गया ।

यह साल भी आखिर बीत गया ।

कुछ आँचल फट कर तार हुए,
कुछ दिल ग़म से बेज़ार हुए,
कुछ बहनों की उजड़ी माँगें,
कुछ बचपन से लाचार हुए ।
मौसम तो आये गये बहुत
दहशत का मौसम जीत गया ।

यह साल भी आखिर बीत गया ।

कुछ लोगों ने जीना चाहा
कुछ जानों का सौदा करके,
कुछ लोगों ने मरना चाहा
कुछ सिक्कों का सौदा करके ।
कुछ वहशत से कुछ नफरत से
खुशियों का हर पल रीत गया ।
यह साल भी आखिर बीत गया ।

सभी शहीदों को मेरा भावभीना नमन !

साधना वैद

4 comments:

  1. कुछ वहशत से कुछ नफरत से
    खुशियों का हर पल रीत गया ।
    यह साल भी आखिर बीत गया ।
    बहुत सुन्दर रचना है शहीदों को शत शत नमन

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  2. बीना शर्माNovember 26, 2009 at 12:25 PM

    बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना है।यह साल भी अखिर बीत गया"न जाने कितने साल और बीत जायेंग ेपता नहीं पर इन वहशियों के मन कभी बदल भी पायेंगेया नहीं?

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  3. But have learnt any lesson from 26/11?
    Are we better prepared than we were a year ago?

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  4. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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