Saturday, February 27, 2010

टुक टुनन टुनन ( बाल कथा ) - 5

एक किसान था ! उसने अपने खेत में गेहूँ बोये थे ! जब दाने पक गये तो उनकी रखवाली के लिये उसने खेत पर जाल लगा दिया ! पास की एक पहाड़ी पर एक चिड़िया का घोंसला था ! घोंसले में चिड़िया के चार नन्हे नन्हे बच्चे थे जिनका पेट भरने के लिये चिड़िया खाने की तलाश में सारे दिन मारी मारी फिरती थी ! एक दिन वह चिड़िया उसी किसान के खेत में दाने चुगने के लिये गयी और जाल में फँस गयी ! सुबह जब किसान ने उस चिड़िया को जाल में फँसा देखा तो बोला,
“अच्छा तो तुम्हीं मेरे खेत के दाने खा जाती हो ! अब तो मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगा ! “ और उसने चिड़िया के पैर में सुतली बाँध कर और उसे एक लकड़ी के खम्भे से लटका दिया ! बेचारी चिड़िया अपने भूखे बच्चों की चिंता से बहुत व्याकुल हो गयी ! वह रो रोकर किसान से कहने लगी ,
”खेत वाले भैया रे टुक टुनन टुनन
बच्चे भूखे पर्वत पर टुक टुनन टुनन
धूप पड़ी जल जायेंगे रे टुक टुनन टुनन
मेह पड़े बह जायेंगे रे टुक टुनन टुनन
मुझे छोड दो मुझे छोड़ दो ! “
किसान बोला , “ मैं तुझे नहीं छोड़ूगा तूने मेरे बहुत दाने खाये हैं ! “
उदास चिड़िया चुपचाप खम्भे पर बैठ गयी ! तभी सामने से टोपी लगाये एक आदमी गुजरा ! चिड़िया ने मदद के लिये उसे पुकारा,
”टोपी वाले भैया रे टुक टुनन टुनन
बच्चे भूखे पर्वत पर टुक टुनन टुनन
धूप पड़ी जल जायेंगे रे टुक टुनन टुनन
मेह पड़े बह जायेंगे रे टुक टुनन टुनन
मुझे छुड़ा दो मुझे छुड़ा दो ! “
टोपी वाले आदमी ने किसान से कहा, “इसे छोड़ दो ! बेचारी रो रही है ! “
किसान बोला, “नहीं छोड़ूंगा ! नहीं छोड़ूंगा ! इसने मेरे बहुत दाने खाये हैं ! “
टोपी वाला आदमी चला गया ! अब आया एक साइकिल वाला ! चिड़िया ने उसे भी आवाज़ लगाई और रो रो कर कहने लगी,
”साइकिल वाले भैया रे टुक टुनन टुनन
बच्चे भूखे पर्वत पर टुक टुनन टुनन
धूप पड़ी जल जायेंगे रे टुक टुनन टुनन
मेह पड़े बह जायेंगे रे टुक टुनन टुनन
मुझे छुड़ा दो मुझे छुड़ा दो ! “
साइकिल वाले ने भी किसान से चिड़िया को छोड़ने के लिये कहा लेकिन किसान नहीं माना ! साइकिल वाला भी अपनी राह चला गया ! थोड़ी देर बाद एक घुड़सवार उधर से निकला ! चिड़िया ने उसे भी मदद के लिये पुकारा,
”घोड़े वाले भैया रे टुक टुनन टुनन
बच्चे भूखे पर्वत पर टुक टुनन टुनन
धूप पड़ी जल जायेंगे रे टुक टुनन टुनन
मेह पड़े बह जायेंगे रे टुक टुनन टुनन
मुझे छुड़ा दो मुझे छुड़ा दो 1”
घुड़सवार ने भी किसान से चिड़िया को छोड़ देने के लिये कहा लेकिन किसान टस से मस नहीं हुआ ! हार कर घुड़सवार भी अपने रास्ते चला गया ! अबकी बार वहाँ का राजा हाथी पर सवार होकर उधर से निकला ! चिड़िया उससे भी रोकर बोली,
”हाथी वाले भैया रे टुक टुनन टुनन
बच्चे भूखे पर्वत पर टुक टुनन टुनन
धूप पड़ी जल जायेंगे रे टुक टुनन टुनन
मेह पड़े बह जायेंगे रे टुक टुनन टुनन
मुझे छुड़ा दो मुझे छुड़ा दो ! “
चिड़िया के रोने की आवाज़ सुन दयालु राजा ने अपने हाथी को रुकवाया और अपने सेवकों से सारी बात पता करने के लिये कहा ! सेवकों ने किसान से पूछा कि उसने चिड़िया को इस तरह से क्यों बाँध रखा है ! किसान ने उन्हें बताया कि यह चिड़िया रोज़ उसके खेत में दाने खाने के लिये आती थी और आज पकड़ी गयी है ! सेवकों से सारी बात सुन कर राजा ने किसान को तुरंत चिड़िया को छोड़ने का आदेश दिया और चिड़िया से कहा,
“ तुम अपने बच्चों के लिये जितने चाहो उतने दाने ले जाओ ! हम किसान का नुक्सान भी पूरा कर देंगे !”
राजा की फटकार सुन क़िसान ने तुरंत चिडिया को छोड़ दिया ! चिड़िया ने अपनी चोंच में खूब सारे दाने भर लिये और अपने घोंसले की तरफ उड़ चली ! घोंसले में उसके भूखे बच्चे अपनी माँ का इंतज़ार कर रहे थे ! चिड़िया को देख कर सारे खुशी के मारे चीं चीं करने लगे ! चिड़िया ने सबकी चोंच में दाने डाले और उन्हें अपने पंखों के नीचे समेट कर खुशी खुशी बैठ गयी !
सब लोगों ने राजा के न्याय की तारीफ की ! राजा की तरह हम सबको भी निरीह पशु पक्षियों पर दया करनी चाहिये !

साधना वैद

Thursday, February 18, 2010

“चना न चब्बूँ क्या ? ” ( बाल कथा ) - 4

एक थी नन्हीं सी चिड़िया | उसे कहीं से एक चना मिल गया | चना चोंच में दबा कर वह एक खूँटे पर बैठ गयी | खूँटा बीच से फटा था | उसकी चोंच से छूट कर चना उसमें गिर गया | चिड़िया की चोंच थी छोटी सी | वह चना नहीं निकाल पाई | तब उसने खूँटे से कहा,
“ खूँट खूँट मेरा चना दे दे | चना न चब्बूँ क्या ? ”
खूँट बोला,” मैं तो ज़मीन में गढ़ा हुआ हूँ ! मैं क्या कर सकता हूँ ! “
तुरंत चिड़िया जा पहुँची एक बढ़ई के पास गयी और उससे बोली ,
“ बढ़ई बढ़ई खूँट उखाड़, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या ? ”
बढ़ई ने कहा, “ चल हट ! मेरे पास टाइम नहीं है | “
अब चिड़िया राजा के पास पहुँची और बोली,
“ राजा राजा बढ़ई को डाँट, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या |”
राजा ने भी उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और कहा,
“ चल हट ! मेरे पास टाइम नहीं है | ”
अब चिड़िया रानी के पास जा पहुँची और बोली ,
“ रानी रानी राजा रूठ, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या ?“
उस समय रानी अपनी सुन्दर सुन्दर साड़ियाँ सम्हाल रही थी ! बोली,
“ मैं क्यों राजा से रूठूँ | चल भाग यहाँ से | मेरे पास टाइम नहीं है | “
अब चिड़िया मदद के लिए जा पहुँची एक चूहे के पास और उससे बोली,
“ चूहा चूहा कपड़े काट, रानी राजा रूठे नईं, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या ? “
चूहे ने भी उसे भगा दिया,
“ चल हट ! मेरे पास टाइम नहीं है | “
अब चिड़िया गयी बिल्ली के पास और बोली,
“ बिल्ली बिल्ली चूहा मार, चूहा कपड़े काटे नईं, रानी राजा रूठे नईं, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या ? “
बिल्ली भी बोली,
“ चल भाग यहाँ से ! मेरे पास टाइम नहीं है | “
चड़िया अब कुत्ते के पास पहुँची और उससे विनती की,
“ कुत्ते कुत्ते बिल्ली मार, बिल्ली चूहा खाये नईं, चूहा कपड़े काटे नईं, रानी राजा रूठे नईं, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या ? “
कुत्ते ने भी चिड़िया को भगा दिया,
” चल हट ! मेरे पास टाइम नहीं है | “
भूखी चिड़िया मदद के लिए अब कोने में खड़े एक डंडे के पास जा पहुँची और उससे बोली,
“ डंडे डंडे कुत्ता मार, कुता बिल्ली काटे नईं, बिल्ली चूहा खाए नईं, चूहा कपड़े काटे नईं, रानी राजा रूठे नईं, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या ? “
डंडे ने भी कहा,
“ चल हट ! मेरे पास टाइम नहीं है | “
चिड़िया अब मदद के लिए चूल्हे की आग के पास जा पहुँची और उससे बोली,
“ आग आग डंडा जला, डंडा कुत्ता मारे नईं, कुत्ता बिल्ली काटे नईं, बिल्ली चूहा खाये नईं, चूहा कपड़े काटे नईं, रानी राजा रूठे नईं, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या? “
आग ने भी चिड़िया को भगा दिया और बोली,
“ मैं क्यों डंडा जलाऊँ ! चल हट ! मेरे पास टाइम नहीं है |”
अब चिड़िया जा पहुँची पानी के पास और उससे बोली,
“ पानी पानी आग बुझा, आग डंडा जलाए नईं, डंडा कुत्ता मारे नईं, कुत्ता बिल्ली काटे नईं, बिल्ली चूहा खाये नईं, चूहा कपड़े काटे नईं, रानी राजा रूठे नईं, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या? “
पानी ने भी मना कर दिया,
“ चल भाग यहाँ से ! मेरे पास टाइम नहीं है | “
चिड़िया हर तरफ से इनकार सुन दुखी हो गयी थी | तभी वहाँ आया एक हाथी | चिड़िया खुश हो गयी ! सोचा यह तो मेरी मदद ज़रूर करेगा | हाथी से बोली,
“ हाथी हाथी पानी पी, पानी आग बुझाए नईं, आग डंडा जलाए नईं, डंडा कुत्ता मारे नईं, कुत्ता बिल्ली काटे नईं, बिल्ली चूहा खाये नईं, चूहा कपड़े काटे नईं, रानी राजा रूठे नईं, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या? “
पर हाथी भी बोला, “ चल भाग यहाँ से ! मेरे पास टाइम नहीं है !
अब चिड़िया निराश होकर रोने लगी | सोचने लगी जब इतने बड़े हाथी ने मेरी मदद नहीं की तो अब कौन मेरा चना निकलवायेगा | उसके रोने की आवाज़ सुन कर एक चींटी वहाँ आयी | उसने चिड़िया से पूछा,
“ तुम क्यों रो रही हो ?”
चिड़िया ने सारी बात चींटी को बताई !
चींटी बोली,
“ अच्छा तो ये बात है ! मैं अभी जाकर हाथी की सूँड में घुस कर उसकी अक्ल ठीक करती हूँ !”
और चींटी हाथी की सूँड में घुस कर उसे ज़ोर ज़ोर से काटने लगी ! हाथी घबरा कर बोला,
“ अरे अरे तुम मुझे क्यों काट रही हो ? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ? “
चींटी ने कहा, ” तुमने चिड़िया की मदद क्यों नहीं की ? वह बेचारी कितनी भूखी है ! “
हाथी बोला ,” बस इतनी सी बात ! मैं अभी जाकर सारा पानी पी लेता हूँ !”
यह सुन कर पानी बोला, “ नहीं नहीं मैं अभी आग बुझाता हूँ ! “
आग बोली, “ मैं अभी डंडा जलाती हूँ ! “
डंडा बोला, “ मैं अभी कुत्ते को मारता हूँ ! “
कुत्ता बोला, “ मैं अभी बिल्ली को काटता हूँ ! “
बिल्ली बोली, “ मैं अभी चूहे को खाती हूँ ! “
चूहा बोला, “ मैं अभी रानी के कपड़े काटता हूँ ! “
रानी बोली, “ मैं अभी राजा से रूठती हूँ !”
राजा बोला, “ मैं अभी बढ़ई को डाँटता हूँ !”
बढ़ई बोला, “ नहीं नहीं राजाजी ! मैं अभी खूँटा उखाड़ कर चना निकाल देता हूँ ! ”
बढ़ई ने खूँटा उखाड़ कर जैसे ही उसे उलटा किया चना लुढ़क कर बाहर आ गया ! बढ़ई ने खूँटे को दोबारा ज़मीन में पहले की तरह ही गाढ़ दिया ! चिड़िया ने खुश होकर सबको धन्यवाद दिया और अपना चना चोंच में दबा कर फुर्र से उड़ कर अपने घोंसले में चली गयी !
सब्र और मेहनत से मुश्किल काम भी आसान हो जाते हैं !


साधना वैद

Monday, February 15, 2010

मजनूमियाँ ( बाल कथा ) - 3

एक थे मजनूमियाँ | मजनूमियाँ छोटे से थे बस एक फुट के लेकिन उनकी दाढ़ी थी उनसे भी लंबी दो फुट की | एक बार मजनूमियाँ ने सुना कि उनके देश के राजा की बेटी बहुत सुन्दर है | बस उन्होंने सोच लिया कि वे उसीसे शादी करेंगे | मन में यह ख़याल आते ही वे राजकुमारी से मिलने के लिए उतावले हो उठे और राजा से मुलाक़ात करने के लिए सफर की तैयारी शुरू कर दी | सबसे पहले उन्होंने सरकंडों को काट कर एक गाड़ी बनाई | और उस गाडी में दो मोटे-मोटे चूहे जोत दिए और राजा से मिलने के लिए चल दिए |
रास्ते में मिली बिल्ली | बिल्ली को देख कर चूहे डर गए लेकिन मजनूमियाँ ने डाँट कर बिल्ली से कहा, “ बिल्ली सामने से हटो |”
बिल्ली बोली , “ तुम हो कौन ?”
मजनूमियाँ बोले ,
“एक फुट के मजनूमियाँ दो फुट की दाढी
चूहे जोत चलाते हैं हम सरकंडे की गाड़ी |
राजा की लड़की से शादी करने जा रहे हैं | “
बिल्ली बोली ,” तो मुझे भी अपने साथ ले चलो | “
मजनूमियाँ बोले , “ठीक है बैठ जाओ मेरे कान में | “
बिल्ली मजनूमियाँ के कान में घुस कर बैठ गयी |
अब आगे जंगल में मिला एक शेर | मजनूमियाँ ने डाँट कर शेर से कहा,” शेर सामने से हट जाओ |”
शेर ने भी पूछा ,” तुम हो कौन ? “
मजनूमियाँ बोले ,
“एक फुट के मजनूमियाँ दो फुट की दाढ़ी
चूहे जोत चलाते हैं हम सरकंडे की गाड़ी |
राजा की लड़की से शादी करने जा रहे हैं | “
शेर बोला, “मुझे भी साथ ले चलो | “
मजनूमियाँ बोले, “ ठीक है तुम भी बैठ जाओ मेरे कान में |”
और शेर भी मजनूमियाँ के कान में घुस कर बैठ गया | गाड़ी और आगे चल पड़ी |
सामने था चींटियों का बिल | चींटियाँ सारे रास्ते को घेरे हुए थीं | मजनूमियाँ ने उनको भी डाँटा,” चींटियों सामने से हटो |”
चीटियों ने पूछा, “ लेकिन यह तो बताओ कि तुम हो कौन ? “
मजनूमियाँ ने फिर वही जवाब दिया ,
“एक फुट के मजनूमियाँ दो फुट की दाढ़ी
चूहे जोत चलाते हैं हम सरकंडे की गाड़ी |
राजा की लड़की से शादी करने जा रहे हैं | “
चींटी बोलीं ,” हमें भी अपने साथ ले चलो |”
मजनूमियाँ ने उन्हें भी कान में बैठा लिया |
अब आगे मिली एक नदी | मजनूमियाँ भी सोच में पड़ गए कि अब इसे कैसे पार किया जाए | उन्होंने नदी से कहा कि वह सामने से हट जाए क्योंकि वे राजा की लड़की से शादी करने जा रहे हैं | यह सुन कर नदी ने भी साथ चलने को कहा | मजनूमियाँ ने नदी को भी दूसरे कान में बैठा लिया और उनकी गाड़ी राजा के महल तक जा पहुँची |
महल के दरवाजे पर पहरेदार खड़े थे | मजनूमियाँ बोले, “मुझे राजा से मिलना है | “
पहरेदारों ने पूछा ,” क्या काम है ? “
मजनूमियाँ बोले ,” मैं उनकी बेटी से शादी करना चाहता हूँ |’
यह सुन कर पहरेदार हँसने लगे | सोचा कोई पागल या सिरफिरा है |
इस पर मजनूमियाँ ने उनको भी डाँटा | डाँट खाकर पहरेदारों ने अंदर जाकर राजा को सारी बात बताई | राजा को बहुत गुस्सा आया | उसने आदेश दिया कि मजनूमियाँ को उठा कर शिकारी चिड़ियों के पिंजड़े में डाल दिया जाए ताकि वे मजनूमियाँ को खाकर सफाचट कर जाएँ | सिपाहियों ने मजनूमियाँ को चिड़ियों के पिंजड़े में डाल दिया | मजनूमियाँ बिलकुल भी नहीं घबराये और बिल्ली को आवाज़ दी ,” बिल्ली बाहर निकलो तुम्हारी दावत है |’
बिल्ली कूद कर बाहर आयी और सब चिड़ियों को चट कर गयी और फिर से कान में घुस कर बैठ गयी | सिपाही दंग रह गए | उन्होंने सारी बात राजा को बताई | राजा और गुस्सा हुआ और बोला कि मजनूमियाँ को जंगली जानवरों के सामने डाल दिया जाये | सिपाहियों ने मजनूमियाँ को शिकारी जानवरों के बाड़े में डाल दिया | लेकिन इस बार मजनूमियाँ ने शेर को दावत के लिए बाहर बुला लिया | शेर ने सारे जंगली जानवरों का काम तमाम कर दिया और खा पीकर आराम से मजनूमियाँ के कान में घुस कर बैठ गया | डरे हुए सिपाही भागे-भागे फिर से राजा के पास गए | राजा सुन कर दंग रह गया और आदेश दिया कि मजनूमियाँ को पागल हाथी के सामने डाल दिया जाए जो उन्हें कुचल कर मार डाले | सिपाहियों ने ऐसा ही किया | लेकिन मजनूमियाँ ने इस बार चीटियों को बाहर निकाल लिया | चींटियाँ हाथी के सारे बदन पर रेंगने लगीं और उसकी सूँड में घुस कर उसे काटने लगीं | चीटियों के काटने से हाथी मर गया | अपना काम खतम कर चींटियाँ फिर से मजनूमियाँ के कान में घुस कर बैठ गयीं | सिपाही बुरी तरह से डर गए और घबरा कर फिर राजा के पास भागे | इस बार तो राजा भी डर गया | वह मजनूमियाँ को देखने के लिए अपने महल की छत पर आया | मजनूमियाँ को सिपाही महल के दरवाजे पर लेकर आये | मजनूमियाँ ने राजा को सलाम किया और बताया कि वे उनकी बेटी से शादी करना चाहते हैं | सुन कर राजा को फिर से गुस्सा आ गया और वह गरज कर बोला ,” इस पागल को फाँसी पर चढ़ा दो |”
लेकिन मजनूमियाँ के पास तो हर बात का जवाब था | उन्होंने दूसरे कान से नदी को बाहर निकाल लिया | अब तो राजा का महल भी डूबने लगा | इस हंगामे के बीच राजा की लड़की भी महल की छत पर आ गयी | उसने मजनूमियाँ को देखा तो उसको बड़ी जोर की हँसी आ गयी साथ ही वह मजनूमियाँ की हिम्मत और अक्लमंदी की कायल भी हो गयी | वह राजा से बोली ,” पिताजी मैं तो इसीसे शादी करूंगी | “
डरा हुआ राजा भी फ़ौरन मान गया | राजा की रजामंदी की बात सुन मजनूमियाँ ने नदी को वापिस कान में बुला लिया और धूमधाम से दोनों की शादी हो गयी |
सरकंडे की गाड़ी पर राजकुमारी को बैठा कर मजनूमियाँ वापिस घर की ओर चल पड़े | रास्ते में उन्होंने नदी ,चींटी, शेर और बिल्ली को उनके ठिकानों पर उतार दिया और मज़े से राजकुमारी के साथ हँसी-खुशी रहने लगे |
कहानी खतम पैसा हजम |

साधना वैद