Monday, February 15, 2010

मजनूमियाँ ( बाल कथा ) - 3

एक थे मजनूमियाँ | मजनूमियाँ छोटे से थे बस एक फुट के लेकिन उनकी दाढ़ी थी उनसे भी लंबी दो फुट की | एक बार मजनूमियाँ ने सुना कि उनके देश के राजा की बेटी बहुत सुन्दर है | बस उन्होंने सोच लिया कि वे उसीसे शादी करेंगे | मन में यह ख़याल आते ही वे राजकुमारी से मिलने के लिए उतावले हो उठे और राजा से मुलाक़ात करने के लिए सफर की तैयारी शुरू कर दी | सबसे पहले उन्होंने सरकंडों को काट कर एक गाड़ी बनाई | और उस गाडी में दो मोटे-मोटे चूहे जोत दिए और राजा से मिलने के लिए चल दिए |
रास्ते में मिली बिल्ली | बिल्ली को देख कर चूहे डर गए लेकिन मजनूमियाँ ने डाँट कर बिल्ली से कहा, “ बिल्ली सामने से हटो |”
बिल्ली बोली , “ तुम हो कौन ?”
मजनूमियाँ बोले ,
“एक फुट के मजनूमियाँ दो फुट की दाढी
चूहे जोत चलाते हैं हम सरकंडे की गाड़ी |
राजा की लड़की से शादी करने जा रहे हैं | “
बिल्ली बोली ,” तो मुझे भी अपने साथ ले चलो | “
मजनूमियाँ बोले , “ठीक है बैठ जाओ मेरे कान में | “
बिल्ली मजनूमियाँ के कान में घुस कर बैठ गयी |
अब आगे जंगल में मिला एक शेर | मजनूमियाँ ने डाँट कर शेर से कहा,” शेर सामने से हट जाओ |”
शेर ने भी पूछा ,” तुम हो कौन ? “
मजनूमियाँ बोले ,
“एक फुट के मजनूमियाँ दो फुट की दाढ़ी
चूहे जोत चलाते हैं हम सरकंडे की गाड़ी |
राजा की लड़की से शादी करने जा रहे हैं | “
शेर बोला, “मुझे भी साथ ले चलो | “
मजनूमियाँ बोले, “ ठीक है तुम भी बैठ जाओ मेरे कान में |”
और शेर भी मजनूमियाँ के कान में घुस कर बैठ गया | गाड़ी और आगे चल पड़ी |
सामने था चींटियों का बिल | चींटियाँ सारे रास्ते को घेरे हुए थीं | मजनूमियाँ ने उनको भी डाँटा,” चींटियों सामने से हटो |”
चीटियों ने पूछा, “ लेकिन यह तो बताओ कि तुम हो कौन ? “
मजनूमियाँ ने फिर वही जवाब दिया ,
“एक फुट के मजनूमियाँ दो फुट की दाढ़ी
चूहे जोत चलाते हैं हम सरकंडे की गाड़ी |
राजा की लड़की से शादी करने जा रहे हैं | “
चींटी बोलीं ,” हमें भी अपने साथ ले चलो |”
मजनूमियाँ ने उन्हें भी कान में बैठा लिया |
अब आगे मिली एक नदी | मजनूमियाँ भी सोच में पड़ गए कि अब इसे कैसे पार किया जाए | उन्होंने नदी से कहा कि वह सामने से हट जाए क्योंकि वे राजा की लड़की से शादी करने जा रहे हैं | यह सुन कर नदी ने भी साथ चलने को कहा | मजनूमियाँ ने नदी को भी दूसरे कान में बैठा लिया और उनकी गाड़ी राजा के महल तक जा पहुँची |
महल के दरवाजे पर पहरेदार खड़े थे | मजनूमियाँ बोले, “मुझे राजा से मिलना है | “
पहरेदारों ने पूछा ,” क्या काम है ? “
मजनूमियाँ बोले ,” मैं उनकी बेटी से शादी करना चाहता हूँ |’
यह सुन कर पहरेदार हँसने लगे | सोचा कोई पागल या सिरफिरा है |
इस पर मजनूमियाँ ने उनको भी डाँटा | डाँट खाकर पहरेदारों ने अंदर जाकर राजा को सारी बात बताई | राजा को बहुत गुस्सा आया | उसने आदेश दिया कि मजनूमियाँ को उठा कर शिकारी चिड़ियों के पिंजड़े में डाल दिया जाए ताकि वे मजनूमियाँ को खाकर सफाचट कर जाएँ | सिपाहियों ने मजनूमियाँ को चिड़ियों के पिंजड़े में डाल दिया | मजनूमियाँ बिलकुल भी नहीं घबराये और बिल्ली को आवाज़ दी ,” बिल्ली बाहर निकलो तुम्हारी दावत है |’
बिल्ली कूद कर बाहर आयी और सब चिड़ियों को चट कर गयी और फिर से कान में घुस कर बैठ गयी | सिपाही दंग रह गए | उन्होंने सारी बात राजा को बताई | राजा और गुस्सा हुआ और बोला कि मजनूमियाँ को जंगली जानवरों के सामने डाल दिया जाये | सिपाहियों ने मजनूमियाँ को शिकारी जानवरों के बाड़े में डाल दिया | लेकिन इस बार मजनूमियाँ ने शेर को दावत के लिए बाहर बुला लिया | शेर ने सारे जंगली जानवरों का काम तमाम कर दिया और खा पीकर आराम से मजनूमियाँ के कान में घुस कर बैठ गया | डरे हुए सिपाही भागे-भागे फिर से राजा के पास गए | राजा सुन कर दंग रह गया और आदेश दिया कि मजनूमियाँ को पागल हाथी के सामने डाल दिया जाए जो उन्हें कुचल कर मार डाले | सिपाहियों ने ऐसा ही किया | लेकिन मजनूमियाँ ने इस बार चीटियों को बाहर निकाल लिया | चींटियाँ हाथी के सारे बदन पर रेंगने लगीं और उसकी सूँड में घुस कर उसे काटने लगीं | चीटियों के काटने से हाथी मर गया | अपना काम खतम कर चींटियाँ फिर से मजनूमियाँ के कान में घुस कर बैठ गयीं | सिपाही बुरी तरह से डर गए और घबरा कर फिर राजा के पास भागे | इस बार तो राजा भी डर गया | वह मजनूमियाँ को देखने के लिए अपने महल की छत पर आया | मजनूमियाँ को सिपाही महल के दरवाजे पर लेकर आये | मजनूमियाँ ने राजा को सलाम किया और बताया कि वे उनकी बेटी से शादी करना चाहते हैं | सुन कर राजा को फिर से गुस्सा आ गया और वह गरज कर बोला ,” इस पागल को फाँसी पर चढ़ा दो |”
लेकिन मजनूमियाँ के पास तो हर बात का जवाब था | उन्होंने दूसरे कान से नदी को बाहर निकाल लिया | अब तो राजा का महल भी डूबने लगा | इस हंगामे के बीच राजा की लड़की भी महल की छत पर आ गयी | उसने मजनूमियाँ को देखा तो उसको बड़ी जोर की हँसी आ गयी साथ ही वह मजनूमियाँ की हिम्मत और अक्लमंदी की कायल भी हो गयी | वह राजा से बोली ,” पिताजी मैं तो इसीसे शादी करूंगी | “
डरा हुआ राजा भी फ़ौरन मान गया | राजा की रजामंदी की बात सुन मजनूमियाँ ने नदी को वापिस कान में बुला लिया और धूमधाम से दोनों की शादी हो गयी |
सरकंडे की गाड़ी पर राजकुमारी को बैठा कर मजनूमियाँ वापिस घर की ओर चल पड़े | रास्ते में उन्होंने नदी ,चींटी, शेर और बिल्ली को उनके ठिकानों पर उतार दिया और मज़े से राजकुमारी के साथ हँसी-खुशी रहने लगे |
कहानी खतम पैसा हजम |

साधना वैद

7 comments:

  1. एक मजेदार कहानी |
    आशा

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  2. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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  3. बहुत ही मजेदार कहानी ... साथ में एक अच्छा संदेश भी देती है .... किसी का बुरा मत करो ... दोस्ती बना कर रखो ... कोई पता नही कब कोई किसी के कम आ जाए ....

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  4. बहुत बढ़िया कहानी रही, मजा आया.

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  5. कहानी बहुत अच्छी लगी मगर पढते -2 आँखें थक गयी फाँट कुछ बडा करें और बैक ग्राऊँड भी दार्क होने से पढने मे असुविधा रहती है धन्यवाद्

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  6. कहानी तो अच्छी थी ही क्योकि दिमाग को ज्यादा प्रयोग नही करना पडा:).........

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  7. Kahani sach bahut achhi hai ...aap aadarniy Nirmalaji ke sijhav par dhyan de ! kyuki is asuvidha ke karan bhi pathak jyada der pad nahi pate !!
    Saadar
    http://kavyamanjusha.blogspot.com/

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