Thursday, July 8, 2010

दिल दरिया

लम्हा-लम्हा ज़िंदगी,
तिनका-तिनका नशेमन,
कतरा-कतरा हर खुशी,
रेशा-रेशा पैरहन !

जो कुछ है बस
ये ही मेरी पूँजी है,
दो सुर की सरगम से
दुनिया गूँजी है !

यह मेरे सारे
जीवन की बाज़ी है,
इस दौलत पर
दिल भी मेरा राजी है !

अगर तुम्हारे मन को
कुछ भी भाता है,
मुझे किफायत से भी
रहना आता है !

नहीं हटूँगी पीछे
आज कसम ले लो,
चाहो तो इसमें से
आधा तुम ले लो !

साधना वैद

9 comments:

  1. अगर तुम्हारे मन को
    कुछ भी भाता है,
    मुझे किफायत से भी
    रहना आता है !

    वाह...बहुत सुन्दर ..

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  2. जो कुछ है बस
    ये ही मेरी पूँजी है,
    दो सुर की सरगम से
    दुनिया गूँजी है !
    सुन्दर भाव

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  3. दो सुर की सरगम पर नाचती झूमती जिंदगी ...
    मेरे सारे जीवन में कमाई इस दौलत से बड़ा कुछ नहीं ...

    जीवन के लिए यह आत्मसंतोष बहुत आवश्यक है ...
    सुन्दर !

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  4. बीना शर्माJuly 9, 2010 at 10:12 AM

    अगर तुम्हारे मन को कुछ भी भाता है
    मुझे किफायत से भी रहना आता है
    यही तो है मन का संतोश जिससे जिन्दगी की जंग जीती जाती है ।
    बहुत सुन्दर पंक्तिया

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  5. बीना शर्माJuly 9, 2010 at 10:12 AM

    अगर तुम्हारे मन को कुछ भी भाता है
    मुझे किफायत से भी रहना आता है
    यही तो है मन का संतोश जिससे जिन्दगी की जंग जीती जाती है ।
    बहुत सुन्दर पंक्तिया

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  6. बीना शर्माJuly 9, 2010 at 10:12 AM

    अगर तुम्हारे मन को कुछ भी भाता है
    मुझे किफायत से भी रहना आता है
    यही तो है मन का संतोश जिससे जिन्दगी की जंग जीती जाती है ।
    बहुत सुन्दर पंक्तिया

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  7. बीना शर्माJuly 9, 2010 at 10:12 AM

    अगर तुम्हारे मन को कुछ भी भाता है
    मुझे किफायत से भी रहना आता है
    यही तो है मन का संतोश जिससे जिन्दगी की जंग जीती जाती है ।
    बहुत सुन्दर पंक्तिया

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  8. बहुत भाव समेटे रचना |सुन्दर शब्द चयन |
    आशा

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  9. जो कुछ है बस
    ये ही मेरी पूँजी है,
    दो सुर की सरगम से
    दुनिया गूँजी है !
    बस ये दोनों सुर एक साथ लग जाएँ....फिर किसी और पूँजी की क्या जरूरत...
    सुन्दर नज़्म

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