Saturday, June 4, 2011

कब होता है


मेरा सोचा तुम सुन लो कब होता है ,
मेरा चाहा तुम चुन लो कब होता है ,
हम दो अलग-अलग राहों पर चलते हैं ,
हमराही बन साथ चलें कब होता है !

सपने तो मेरी आँखों ने देखे हैं ,
हाथों में मेरी किस्मत के लेखे हैं ,
सपने सारे कब किसके सच होते हैं ,
किस्मत मेरी तुम लिख दो कब होता है !

कितनी साध फुँकी दिल में तुम क्या जानो ,
कितना दग्ध हुआ अंतर तुम क्या जानो ,
चिर तृष्णा से शुष्क चटकते अधरों पर ,
स्वाति बूँद बन तुम बरसो कब होता है !

निर्जल गागर सा रीता जीवन मेरा ,
भीषण ज्वाला से झुलसा उपवन मेरा ,
उर प्रदेश की तप्त तृषित इस धरिणी पर ,
उमड़-घुमड़ रह-रह बरसो कब होता है !

दूर क्षितिज तक सिर्फ अँधेरा छाया है ,
मन परअवसादों का गहरा साया है ,
मेरे जीवन के सूने नीलांगन में
इन्द्रधनुष बन कर दमको कब होता है !



साधना वैद

22 comments:

  1. मेरे जीवन के सूने नीलांगन में
    इन्द्रधनुष बन कर दमको कब होता है
    bahut sundar bhav abhivyakt kiye hain is kavita ke dwara .aabhar

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  2. जो चाहो उसकी आकांक्षा ...उम्मीद ...कितनी गहरी चाहत है ...!!
    मैं डूब ही गयी हूँ इस रचना के भावों में ...
    बहुत सुंदर ,उत्कृष्ट अभिव्यक्ति है ...!!
    badhai .

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  3. बहुत सुंदर शब्द चयन और भाव |इस भाव पूर्ण मन को छूती रचना के लिए हार्दिक बधाई |
    आशा

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  4. मेरे जीवन के सूने नीलांगन में
    इन्द्रधनुष बन कर दमको कब होता है

    बहुत सुंदर गीत और गीत के माध्यम से अभिव्यक्त होती सुंदर भावनाएं. बहुत बढ़िया आभार.

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  5. कितनी साध फुँकी दिल में तुम क्या जानो ,
    कितना दग्ध हुआ अंतर तुम क्या जानो ,
    चिर तृष्णा से शुष्क चटकते अधरों पर ,
    स्वाति बूँद बन तुम बरसो कब होता है !

    जो मन चाहता है वो कब मिलता है ...इन भावों की पृष्ठभूमि पर सुन्दर रचना ...और यही नियति को स्वीकार कर बिता देते हैं ज़िंदगी ..

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  6. होता वही है जो जीवन में लिखा होता है.

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  7. सपने तो मेरी आँखों ने देखे हैं ,
    हाथों में मेरी किस्मत के लेखे हैं ,
    सपने सारे कब किसके सच होते हैं ,
    किस्मत मेरी तुम लिख दो कब होता है !

    सारा सच उतर आया है शब्दों में
    सुन्दर कविता

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  8. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 07- 06 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    साप्ताहिक काव्य मंच --- चर्चामंच

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  9. "कितनी साध फुँकी दिल में तुम क्या जानो ,
    कितना दग्ध हुआ अंतर तुम क्या जानो ,
    चिर तृष्णा से शुष्क चटकते अधरों पर ,
    स्वाति बूँद बन तुम बरसो कब होता है !"



    सुन्दर अभिव्यक्ति...!!

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  10. जो मन चाहा वो कब होता है ...
    मनमयूर नाच उठता है , जब होता है ...

    बेहद सुन्दर भाव ...उदासी होकर भी दिल नहीं दुखते ..सुन्दर !

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  11. साधना जी इस प्रस्तुति के लिए सिर्फ एक शब्द ही काफी है - "गज़ब"

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  12. बेहतरीन....वाह!

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  13. सुन्दर अभिव्यक्ति्…..…. ह्र्दय से निकली सार्थक रचना……. धन्यवाद

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  14. निर्जल गागर सा रीता जीवन मेरा ,
    भीषण ज्वाला से झुलसा उपवन मेरा ,..

    कुछ उदासी लिए ये भाव .. मन को दस्तक देते . ... सुंदर प्रस्तुति ...

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  15. सच है जो चाहो वह कब होता है.................भावभीनी प्रस्तुति

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  16. निर्जल गागर सा रीता जीवन मेरा ,
    भीषण ज्वाला से झुलसा उपवन मेरा ,
    उर प्रदेश की तप्त तृषित इस धरिणी पर ,
    उमड़-घुमड़ रह-रह बरसो कब होता है !


    ओह....क्या बात कही है...

    इस गहन भावमय प्रवाहमय कविता ने तो बस मन ही बाँध लिया...

    अतिसुन्दर अद्वितीय...क्या भाव क्या प्रवाह और क्या शिल्प...

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  17. दूर क्षितिज तक सिर्फ अँधेरा छाया है ,
    मन परअवसादों का गहरा साया है ,
    मेरे जीवन के सूने नीलांगन में
    इन्द्रधनुष बन कर दमको कब होता है !

    बहुत सुन्दर प्रवाहमयी प्रस्तुति..शब्दों और भावों का सुन्दर संयोजन...हर पंक्ति अंतर्मन को छू जाती है...आभार

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  18. मेरे जीवन के सूने नीलांगन में
    इन्द्रधनुष बन कर दमको कब होता है
    सुन्दर भावाव्यक्ति।
    बधाई हो आपको - विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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