Wednesday, November 23, 2011

कुछ कह न पायेंगे



किस्सा कहा जो दर्द का वो सह न पायेंगे ,
हर इक बयाँ पे रोये बिना रह न पायेंगे !
हर रंग है जफा का मेरी दास्ताँ में दोस्त ,
इलज़ाम खुद पे एक भी वो सह न पायेंगे !
सदियों से जिन किलों में मेरी रूह कैद है ,
छोटे से एक छेद से वो ढह न पायेंगे !
फौलाद में तब्दील जिन्हें वक्त कर चुका ,
आँसू हमारी आँख से वो बह न पायेंगे !
बर्दाश्त हैं ज़ुल्म-ओ-सितम दुनिया के सब हमें ,
इक अश्क उनकी आँख में हम सह न पायेंगे !
हर लफ्ज़ है रूदाद मेरे दर्द की ए दोस्त ,
ना पूछिये कुछ और हम कुछ कह न पायेंगे !


साधना वैद

33 comments:

  1. बर्दाश्त हैं ज़ुल्म-ओ-सितम दुनिया के सब हमें ,
    इक अश्क उनकी आँख में हम सह न पायेंगे !

    वाह ...बहुत खूब ।

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  2. एक अश्क उनकी आँख में हम सह न पाएगे
    यह पंक्ति मन को छू गयी |
    बहुत भाव पूर्ण रचना
    आशा

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  3. बेहतरीन भावपूर्ण रचना.....

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  4. हर रंग है जफा का मेरी दास्ताँ में दोस्त ,
    इलज़ाम खुद पे एक भी वो सह न पायेंगे !

    भाव पूर्ण रचना

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  5. फौलाद में तब्दील जिन्हें वक्त कर चुका ,

    आँसू हमारी आँख से वो बह न पायेंगे !

    ...बहुत खूब! बेहतरीन अभिव्यक्ति..

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  6. बहुत ही सुंदर भाव की रचना

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  7. kya baat hai aaj to lekhni ki syahi ka rang hi badla hua hai.

    aji janaab kahiye to sahi ....vo na ashk bahayenge...
    jafa karte the jo ab tak ....vafa pe utar aayenge.

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  8. नमस्ते मौसीजी, आपकी गजल दिल के बेहद करीब है,बिना कहे सब कह दिया आपने...................

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  9. आदरणीया साधना मौसी जी
    सादर प्रणाम !

    अरे ! इतनी मुकम्मल ग़ज़ल !
    … आनंद आ गया …

    हर शे'र काबिले-ता'रीफ़ …
    सदियों से जिन किलों में मेरी रूह कैद है ,
    छोटे से एक छेद से वो ढह न पायेंगे !

    फ़ौलाद में तब्दील जिन्हें वक़्त कर चुका ,
    आंसू हमारी आंख से वो बह न पायेंगे !

    वाह वाऽऽह्… ! क्या बात है !

    अब तो आपके यहां भी ग़ज़लियात पढ़ने को मिलेगी …
    अब आप भी एक मुकम्मल शायरा बन चुकी हैं :)
    हार्दिक बधाई !

    मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  10. फौलाद में तब्दील जिन्हें वक्त कर चुका ,
    आँसू हमारी आँख से वो बह न पायेंगे !

    कितना सच....दिल के बहुत करीब लगी , यह कविता....

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  11. फौलाद में तब्दील जिन्हें वक्त कर चुका ,
    आँसू हमारी आँख से वो बह न पायेंगे !


    -बहुत उम्दा रचना...

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  12. फौलाद में तब्दील जिन्हें वक्त कर चुका ,
    आँसू हमारी आँख से वो बह न पायेंगे !

    सभी शेर बीस हैं... बहुत ही उम्दा ग़ज़ल...
    सादर बधाई....

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  13. बर्दाश्त हैं ज़ुल्म-ओ-सितम दुनिया के सब हमें ,
    इक अश्क उनकी आँख में हम सह न पायेंगे !
    दिल को छू गयी बहुत करीब से आपकी रचना...

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  14. फौलाद में तब्दील जिन्हें वक्त कर चुका ,

    आँसू हमारी आँख से वो बह न पायेंगे !

    बहुत खूब ... खूबसूरत गज़ल ...

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  15. बहुत सुन्दर भावो को संजोया है।

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  16. Bahut khub...

    http://www.poeticprakash.com/

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  17. हर पंक्तियाँ लाजबाब एवं उम्दा !
    बहुत सुन्दर ...!

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  18. बर्दाश्त हैं ज़ुल्म-ओ-सितम दुनिया के सब हमें ,

    इक अश्क उनकी आँख में हम सह न पायेंगे !
    बहुत सुंदर भाव से लिखी शानदार रचना /एक एक शेर काबिले तारीफ है /बहुत बधाई आपको /
    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /जरुर पधारें /

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  19. हर रंग है जफा का मेरी दास्ताँ में दोस्त ,
    इलज़ाम खुद पे एक भी वो सह न पायेंगे !
    बहुत खूब साधना जी ! दिल की तह तक जाती पंक्तियाँ.

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  20. बहुत ही सुंदर रचना.....

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  21. साधना जी,आपने सुन्दर मार्मिक भावों को
    खूबसूरती से संजोया है,
    इसीलिए संगीता जी ने आपकी प्रस्तुति को
    अपनी हलचल में भी पिरोया है.

    बहुत बहुत आभार आपका और
    संगीता जी का भी.

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  22. सदियों से जिन किलों में मेरी रूह कैद है ,
    छोटे से एक छेद से वो ढह न पायेंगे !

    फौलाद में तब्दील जिन्हें वक्त कर चुका ,
    आँसू हमारी आँख से वो बह न पायेंगे !

    सुन्दर भाव संजोये हैं आपने.....!!!

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  23. बहुत सुन्दर रचना!

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  24. सदियों से जिन किलों में मेरी रूह कैद है ,
    छोटे से एक छेद से वो ढह न पायेंगे
    itni sunder pangti hai.....wah.....

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  25. .... प्यारी रचना..बधाई !!

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  26. ग़ज़ल की तरफ आपके बढ़ते क़दम देख कर मन ख़ुश हो गया.
    ऐसी ही धारदार रहे आपकी ग़ज़ल.

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  27. मेरे मन की बात कुँवर कुसुमेश जी कह गए हैं। अब तो इंतज़ार है उस घड़ी का जब सहज, सरस, कोमल और धारदार कथ्यों से सजी ग़ज़लें पढ़वाएंगी आप हमें।

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  28. सभी सुधीजनों की ह्रदय से आभारी हूँ की आपने मेरे प्रयास को प्रोत्साहन दिया एवं पसंद किया ! भविष्य में भी ऐसे ही अनुग्रह बनाएं रखें यही निवेदन है !

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  29. ....हर इक बयाँ पे रोये बिना रह न पायेंगे
    बेहतरीन अभिव्यक्ति.

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  30. अभिव्यक्ति पसंद आयी,....! अच्छी रचना का आभार !

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