Monday, September 3, 2012

रीता आँचल


एक पल
जीने की चाह में
हर पल मैंने
जाने कितनी
साँसें खोई हैं !

एक स्मित
पल भर को
अधरों पर खेल जाये
इसके लिये
जाने कितने घूँट
आँसुओं के
कण्ठ के नीचे  
उड़ेले हैं ! 

मात्र पल भर को
उल्लसित हो मन मयूर
झूम कर नाच ले
इसके लिये
सावन की पहली फुहार
की प्रतीक्षा में   
ना जाने कितने दिन
मैंने अपने कोमल पंख
ज्येष्ठ अषाढ़ की
तपती धूप में  
झुलसाये हैं ! 

इन क्षणिक उपलब्धियों
के खुमार को
मैंने सदा सँजो कर
अपने आँचल से
बाँध लेने की
निरर्थक चेष्टा की है ! 

क्योंकि जब-जब मैंने
सघन पीड़ा के पलों में
अपने आँचल की 
गाँठ खोल 
उन गिने चुने 
सुख के पलों को 
छू कर
अपने सुखी होने के 
भ्रम को 
मैंने जीने की 
कोशिश की है
अपने आँचल को 
तब-तब
रीता ही पाया है !

साधना वैद 

19 comments:

  1. अपने सुखी होने के
    भ्रम को
    मैंने जीने की
    कोशिश की है
    अपने आँचल को
    तब-तब
    रीता ही पाया है !

    ..भ्रम जब भी टूटता है तो यूँ ही अंतर्मन कराह उठता है
    बहुत बढ़िया मनोभाव..

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  2. अंतर्मन की वेदना ....
    बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति साधना जी ...

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  3. छोटी सी आशा ... प्रभावी रचना

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  4. बहुत सुन्दर साधना जी.....
    मन की कही मन ने पढ़ ली.....

    सादर
    अनु

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  5. बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति .........

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  6. संजोने का भ्रम तब तक ही सुख देता है , जब तक उसे खोला न जाए .... बेहतर है जीने के लिए कुछ भ्रम ही पाला जाए !

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  7. अंतर्मन की प्रभावी अभिव्यक्ति !!

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  8. सुन्दर भावपूर्ण रचना...

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  9. क्यों ना भ्रम को भ्रम ही रहने दिया जाये, रीता आँचल बहुत दुखदाई होता है...

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  10. भ्रम सुखदाई होत्ता है टूटना मन को कष्ट पहुचाता है,,,,

    RECENT POST-परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,

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  11. एक पल जीने के लिए न जाने कितनी साँसों को खोना ॥भ्रम बना ही रहने दीजिये .... ज़िंदगी बीत जाती है भ्रम में ...कम से कम आँचल तो रीता नहीं लगेगा ।

    बहुत संवेदनशील रचना

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  12. अपने सुखी होने के
    भ्रम को
    मैंने जीने की
    कोशिश की है
    अपने आँचल को
    तब-तब
    रीता ही पाया है !
    व्याकुल मनोदशा को दर्शाती रचना !

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  13. athaah koshishon ke baad bhi bhram toot jayen to us reete-pan ka dukh a-sahay hota hai. man ki peeda ko sashakt shabd diye hain.

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  14. uf ...........bhram mukt jane kab honge hum

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  15. क्षणिक उपलब्धियां भी आखिर कितनी हमदर्द होंगी ...कुछ पल का ही तो साथ देंगी फिर आँचल रीता का रीता ...
    मगर हमने तो सुना कुछ पल की ख़ुशी पूरे जीवन का सबब हो जाती है :)

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  16. संवेदनशील रचना बहुत सुन्दर साधना जी

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  17. कभी चेष्टा निरर्थक नहीं होती |वैसे भी दुखों के बीच कभी कभी ही सुख मन समझाने को हल्की सी झलक दिखा जाता है |
    भावपूर्ण प्रस्तुति सुन्दर शब्द संयोजन |
    आशा

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