Monday, October 1, 2012

कहाँ हो तुम बापू


बापू के पुण्य जन्म दिवस २ अक्टूबर पर उन्हें एक भावभीनी श्रद्धांजलि एवं एक सविनय प्रार्थना !

बापू तब तुमने जिनके हित बलिदान दिया,
अपने सुख, अपने जीवन को कुर्बान किया,
अब देख पतन उनका दिल तो दुखता होगा,
अपने सपनों का यह दुखांत चुभता होगा !
सच को अपने जीवन में तुमने अपनाया,
सच पर चलने का मार्ग सभी को दिखलाया,
पर भटक गए हैं बापू तेरे शिष्य सभी,
वो भूल चुके हैं जो शिक्षा थी मिली कभी !
है उनका इष्ट आज के युग में बस पैसा,
वह काला हो या फिर सफ़ेद बस हो पैसा,
जो सत्ता की कुर्सी पर जम कर बैठे हैं,
वो आदर्शों की चिता जला कर बैठे हैं !
सच की अवहेला उनका पहला धर्म बना,
हिंसा के पथ पर चलना उनका कर्म बना,
अब नहीं रहे वो वैष्णव पर दुःख कातर जो,
वो नहीं बाँटते पीर पराई कुछ भी हो !
भोली जनता है फिर से शोषित आज हुई,
वह अपनों के ही हाथों फिर से गयी छली,
भारत है फिर से वर्ग भेद में बँटा हुआ ,
पैसे वाला औ धनी, गरीब गरीब हुआ !
है जनता संकटग्रस्त कहाँ हो तुम बापू,
हैं भ्रष्ट हमारे नेता, तुम आओ बापू,
क्या जात पाँत का भेद भाव सह पाओगे ?
हिंसा का तांडव देख सहम ना जाओगे ?
अपने स्व;राज में भी जनता है शोषित क्यों,
जैसी तब थी उसकी हालत है ज्यों की त्यों,
बापू है जनता हिंसक और अराजक गर,
इसको विरोध का ढंग सिखाओ तुम आकर !
पर हित तुमने सुख अपने सब बिसराए थे,
तन ढँक सबका खुद एक वस्त्र में आये थे,
पर खुद से आगे नहीं देख ये पाते हैं,
मानवता की बातें भी ना सुन पाते हैं !
जब करते हैं विकास की नकली सी बातें,
जब शतरंजी चालों की हैं बिछती बीसातें,
जब आम आदमी प्यादे सा मारा जाता,
जब मँहगाई की मार नहीं वह सह पाता !
जब धर्म जाति के नाम लहू है बह जाता,
जब निज लालच के हित इमान है बिक जाता,
जब आधा भारत भूखा ही है सो जाता,
जब टनों नाज गोदामों में है सड़ जाता !
जब घटती है थाली में सब्जी की गिनती,
जब सुनता कोई नहीं गरीबों की विनती,
तब याद तुम्हारी आती है प्यारे बापू,
तुम होते तो कर देते कुछ ऐसा जादू !
सब जोर जुल्म का विलय दिलों में हो जाता,
छल कपट ह्रदय का पल में ओझल हो जाता,
तुम सत्य, अहिंसा, प्रेम, त्याग का पाठ नया,
फिर से सिखला दो और दिखा दो मार्ग नया !
भारत का गर्त हुआ गौरव दिखता होगा,
इस धूमिल छवि को देख ह्रदय जलता होगा,
तुम आओ बापू, एक बार फिर आ जाओ,
अपने भारत को फिर से मान दिला जाओ !
तुम आओ बापू, एक बार फिर आ जाओ,
अपने भारत को फिर से मान दिला जाओ !

साधना वैद

8 comments:

  1. बापू तो सोचते होंगे कि नथुराम ने उन्हें एक बार ही मारा है लेकिन इतने वर्षों से जो लोग रोज़ उनको तिल तिल कर मार रहे हैं उनसे कैसे पार पाया जाये ...
    1974 में अपने कॉलेज में बापू जयंती पर यह रचना लिखी थी ....तब से हालात और बदतर ही हुये हैं ...
    चले गये तुम क्यों बापू
    ऐसे उँचे आदर्श छोड़ कर
    इन आदर्शों की चिता जली है
    आदर्शवाद का खोल ओढ़ कर ।

    तुमने सपने में भारत की
    करी कल्पना कैसी थे
    ये जो भारत की हालत है
    क्या कुछ - कुछ ऐसी ही थी ?

    तुमने आंदोलन - हड़तालों से
    विश्व में क्रांति मचा दी थी
    इस क्रांति के द्वारा ही
    भारत को आज़ादी दिला दी थी।

    जब स्वतंत्र हुआ था भारत
    जनता कितनी उत्साहित थी
    घर - घर दीप जले खुशी के
    तेरी जय- जयकार हुई थी ।

    अब सुन लो बापू तुम
    तेरे भारत की कैसी हालत है
    तेरे उन आदर्शों की
    कैसे चिता जल रही है ? आगे
    ..चले गए तुम क्यों बापू .

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  2. बहुत भाव पूर्ण सुन्दर रचना |
    "भारत का गर्त हुआ गौरव ----फिर से मान दिला जाओ "
    अच्छा शब्द चयन |
    आशा

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  3. Nice post.
    See
    http://mushayera.blogspot.in/2012/10/anjum-rahbermp4.html

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  4. पहले जैसे हालात हैं,क्योंकि बापू ने अंग्रेजों से मुक्ति दिलाई...बिके ज़मीर को बदलना आसान नहीं

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  5. गांधी जयंती पर बहुत सटीक रचना।



    सादर

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  6. सटीक रचना के माध्यम से गाँधी जी को सुंदर श्रद्धांजली,,,,

    RECECNT POST: हम देख न सके,,,

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  7. बहुत भाव पूर्ण सुन्दर रचना | बापू को नमन..

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  8. bahut sashakt abhivyakti hai...

    dukh hota hai aaj ke haalaton par...shayad bapu bhi sharma jaye aur dukhi hokar is jami par ab aana n chahen.

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