Tuesday, January 1, 2013

नया साल मुबारक हो !


चाहा तो बहुत था
कि इस साल
बड़ी उमंग, बड़े उल्लास के साथ  
नव वर्ष तुम्हारा
स्वागत करूँगी !
खूब खिलखिला कर,
खूब चहचहा कर
कोयल की तरह
पंचम सुर में
तुम्हारे लिए
स्वागत गान गाऊँगी !
नूतन वर्ष की पहली
नयी भोर का
उजास आँखों में भर कर
सारी सृष्टि को अपने
आलिंगन में बाँध लूँगी
और भूले से भी कभी
आँखें नम नहीं करूँगी !
लेकिन जाते-जाते
पुराना साल
इतना दर्द दे गया
कि ना जाने कितने दिनों तक
इस टीस को सहना होगा,
बरसने को आतुर
आँसुओं के प्रबल वेग को
आँखों में ही सम्हाल कर
रखना होगा !
अधरों से अनायास
उच्छ्वसित होने को विवश
सिसकियों को
दाँतों तले ही दबा कर
रखना होगा !  
तुम्हारी अभ्यर्थना
करने की लीक तो
निभा रही हूँ नये साल
लेकिन आज वह
उत्साह और उमंग
तिरोहित हो चुकी है
जिसके साथ
भोर की पहली किरण को  
मैं चूमना चाहती थी
और समस्त विश्व को
अपनी मंगलकामना से
आप्लावित कर देना
चाहती थी !
उदासी के साथ ही सही
लेकिन शुभकामना तो फिर
शुभकामना ही है !
आप सभीको
नव वर्ष की हार्दिक
मंगलकामनायें !
नया साल मुबारक हो !

साधना वैद   

9 comments:

  1. उदासी में भरकर उम्मीद
    दुआ करें - प्रभु विघ्न आये तो हर लेना
    शुभकामनायें

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  2. आने वाले हर लम्‍हे से कहना ही होगा
    हर पल को शुभ करना ....
    सादर

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  3. बस उसी दिन नव वर्ष की खुशियाँ सुकून पायेंगी
    जब इंसाफ़ की फ़सल लहलहायेगी
    और हर बेटी के मुख से डर की स्याही मिट जायेगी

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  4. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति ...
    नववर्ष की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें!

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  5. बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    नब बर्ष (2013) की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
    जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
    ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
    इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार.

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति |नव वर्ष हर खुशी लाए |
    आशा

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  7. बीना शर्माJanuary 3, 2013 at 8:36 PM

    नववर्ष में फिर किसी दामिनी का अंचल मिला नहो यही सबसे बड़ी शुभकामना है

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  8. मन तो मेरा भी था लेकिन ऐसा हो नहीं सका ,आपकी ही तरह से शांत मन ही मन सब अच्छा इस कामना से नववर्ष स्वीकार कर लिया

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  9. ♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
    ♥♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
    ♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥



    * नव वर्ष तुम्हारा स्वागत करूँगी !
    * खूब खिलखिला कर, खूब चहचहा कर कोयल की तरह पंचम सुर में तुम्हारे लिए स्वागत गान गाऊँगी !
    * नूतन वर्ष की पहली नयी भोर का उजास आँखों में भर कर सारी सृष्टि को अपने आलिंगन में बाँध लूँगी
    ...और
    * भूले से भी कभी आँखें नम नहीं करूँगी !

    देखिए , कुछ शब्द छोडने से कविता और सुंदर लगने लगी है ...
    :)
    आदरणीया साधना वैद जी !

    भावुक मन की भावुक अभिव्यक्ति बहुत सुंदर है ...

    आपकी लेखनी से सदैव सुंदर , सार्थक , श्रेष्ठ सृजन हो …
    नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार
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