Friday, February 8, 2013

मेरा प्यार



सदियों से
अपने प्यार के
नन्हे से छौने को
विछोह के बिछौने पर
विरह की लय में स्वरबद्ध
वेदना भरी लोरियाँ गाकर
मैं आज तक
सुलाती आई हूँ !
कितना सयाना
हो गया है मेरा प्यार,
बिलकुल शांत, चुपचाप,
संयत हो
इसी तरह वह भी
सदियों से
विस्फारित नयनों से
टुकुर-टुकुर मेरा मुख
निहारता रहता है,
मेरे अवरुद्ध गले से निकली
लोरी की धुन पर
हुलस कर 
साथ कुछ गाने की 
कोशिश भी
करता है !
भावातिरेक में बह आये
मेरे आँसुओं को
अपनी नन्ही हथेली से
पोंछने का उपक्रम भी
करता है !
और फिर धीरे-धीरे
आश्वस्त हो
मेरे सीने से लिपट
गहरी मीठी नींद में
सो जाता है !
मुझे कितना अभिमान है
अपने इस प्यार पर !
मैंने देखा है
औरों के प्यार को
कितने जिद्दी और 
हठीले होते हैं !
हर वक्त कुछ न कुछ
माँगते ही रहते हैं !
ना मिले तो
उपद्रव मचा देते हैं,
लड़ते हैं ,
झगड़ते हैं ,
आक्रामक और हिंसक
भी हो जाते हैं !
और कभी-कभी तो
क्रुद्ध होकर
अपने वर्षों पुराने
प्यार से
नाता भी तोड़ लेते हैं !
लेकिन मेरा प्यार !
मेरा प्यार
कितना प्यारा
और भोला है,
कितना निश्छल
और निष्पाप है
कितना पावन
और अनुपम है !
अपने उर अंतर की
सारी संवेदनाओं को
समेट कर मैंने
उसका निर्माण किया है !
मेरा प्यार संसार में
सबसे अनोखा और
अप्रतिम है !
इसलिए भी
क्योंकि यह आदि काल से
एक दिव्य शिशु
के रूप में मुझे
उस परम पिता से
वरदान में मिला है
और अनादिकाल तक
यह इसी रूप में
मेरे ह्रदय पर
राज्य करेगा !
क्योंकि यह मेरा प्यार है !  


साधना वैद

15 comments:

  1. अपने उर अंतर की
    सारी संवेदनाओं को
    समेट कर मैंने
    उसका निर्माण किया है !tabhi itna pyara bana hai......ekdam dil se nikli hui kavita hai.

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  2. धन्यवाद मृदुला जी !

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  3. प्यार हमेशा ऐसा ही होता है
    जो हठी हो जाये , हिंसक हो जाये - वह प्यार नहीं

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  4. बहुत ही बढ़िया , एकदम ह्रदय से निकली हुयी कविता , कविता में ताजगी है और सबसे प्यारी खुशबू है बधाई साधना जी

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  5. बहुत सशक्त और सार्थक सुंदर बात ....!!
    सच मे प्यार तो यही है ......

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  6. आपके प्यार को ढेर सारी शुभकामनायें ........

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  7. निश्छल प्यार ऐसा ही होता है |सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति |
    आशा

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  8. क्योंकि यह आपका प्यार है ...और निश्छल प्यार ऐसा ही होता है ....
    शुभकामनायें!

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  9. क्योंकि यह आदि काल से
    एक दिव्य शिशु
    के रूप में मुझे
    उस परम पिता से
    वरदान में मिला है
    और अनादिकाल तक
    यह इसी रूप में
    मेरे ह्रदय पर
    राज्य करेगा !
    क्योंकि यह मेरा प्यार है !

    निश्छल प्यार का सुन्दर चित्रण

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  10. बहुत सुंदर है आपका ये निश्छल दिव्य प्यार......
    ~सादर!!!

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  11. आज्ञाकारी बना दिया अपने प्यार को .... तभी न अप्रतिम बन गया .... बहुत सुंदर रचना

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  12. बहुत सुन्दर व् भावात्मक प्रस्तुति .सराहनीय अभिव्यक्ति ये क्या कर रहे हैं दामिनी के पिता जी ? आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस

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  13. संवेदनाओं का बहाव....
    बस प्यार ऐसा ही होता है....!
    बहुत सुन्दर...

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  14. अभिमान क्यों ना होगा अपने उर अंतर की सारी संवेदनाओं को समेट कर आपने उसका निर्माण किया है... सचमुच अप्रतिम है आपका प्यार... शुभकामनायें

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