Sunday, April 6, 2014

जगह ही जगह हो गयी



आज मैं आपको एक बहुत ही रोचक कहानी सुनाने जा रही हूँ ! ज़रा ध्यान से सुनिये ! बाद में मुझे आपके सुझावों की भी ज़रूरत होगी ! कहानी कुछ इस तरह है .......

एक बहुत ही विद्वान महात्मा जी थे ! उनके पास हर प्रकार की समस्या का समाधान मिल जाता था और वे अपने भक्तों को अपनी इस चमत्कारी योग्यता से अक्सर ही चिंतामुक्त भी कर दिया करते थे ! एक दिन उनके पास एक दुखियारा व्यक्ति अपनी समस्या लेकर पहुँचा ! समस्या कुछ विचित्र भी थी और गंभीर भी ! उसके पास मात्र दो कमरे का छोटा सा घर था और परिवार बड़ा ! इस छोटे से घर में वह अपनी पत्नी और चार बच्चों के अलावा अपने माता-पिता, एक छोटी बहन और एक छोटे भाई के साथ रहता था ! बड़े परिवार के साथ घर में कुछ पालतू जानवर भी थे ! जैसे एक कुत्ता, एक बकरी और उसका मेमना, चंद मुर्गे-मुर्गियाँ और एक तोता ! आदमी की समस्या यह थी इतने छोटे से घर में इतने बड़े परिवार के सभी सदस्यों के साथ कैसे रहा जाये वह सामंजस्य नहीं बैठा पा रहा था ! आमदनी बहुत ही सीमित थी इसलिए वह बड़ा घर भी नहीं ले सकता था ! महात्माजी के पास वह अपनी इसी समस्या के समाधान के लिये आया था !

महात्मा जी ने ध्यान से उसकी समस्या सुनी और चंद सवाल किये,

“आजकल कैसे गुजर बसर कर रहे हो ?”

“क्या बताऊँ महाराज माँ बापू एक कमरे में रहते हैं मेरे भाई बहन के साथ और अपने चार बच्चों के साथ हम पति पत्नी दूसरे कमरे में रहते हैं ! बकरी और मुर्गे-मुर्गी बाहर बाड़े में रहते हैं, तोते का पिंजड़ा घर के बाहर टाँग देता हूँ और कुत्ता घर के दरवाज़े के बाहर बँधा रहता है ! बहुत दिक्कत होती है महाराज बच्चे भी बड़े हो रहे हैं ! उन्हें सोने, खेलने कूदने के साथ लिखने पढ़ने को भी जगह चाहिये ! कोई उपाय बताइये मैं बहुत परेशान हूँ !” आदमी कातर स्वर में बोला !

“हूँ .... !” महाराज सोच विचार में डूब गये ! फिर बोले,

“ऐसा कर ! घर जाकर आज से बकरी और उसके मेमने को घर के अंदर ही रखना ! फिर अगले हफ्ते मेरे पास आना !”

आदमी सुन कर चकराया यह कैसा उपाय बताया महाराज ने ! लेकिन आज्ञा मानने के लिये वह बाध्य था ! सो घर जाकर उसने ऐसा ही किया !

अगले सप्ताह जब महात्मा जी के पास पहुँचा तो वह पहले से भी अधिक परेशान था ! दुखी स्वर में बोला !

“महाराज ये कैसा उपाय बताया आपने ! अब तो मुश्किल और भी बढ़ गयी है ! रात भर बकरी मिमियाती है ! उसके चारे भूसे की बदबू घर में भरी रहती है ! मेमना भी घर भर में कूदता रहता है ! अब तो जगह की और भी किल्लत हो गयी है !”

महात्मा जी ने अप्रसन्न होकर आदमी को फटकार लगाई, “जब मेरी बात माननी ही नहीं है तो मेरे पास आया ही क्यों ? जा भाग जा यहाँ से ! मैं तुझे कुछ नहीं बताउँगा !”

फटकार खाकर आदमी शर्मिन्दा हो गया ! क्षमा याचना कर उनकी हर बात मानने के लिये उसने वचन दिया और चुप होकर बैठ गया ! महात्मा जी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए बोले, “घर जा ! और आज से कुत्ते को भी घर के अंदर ही बाँध कर रखना ! फिर अगले हफ्ते मेरे पास आना !”

आदमी चकराया हुआ घर गया ! लेकिन महात्मा जी की बात तो उसे माननी ही थी ! नतीजतन अगली बार जब वह महात्मा जी के पास पहुँचा तो वह पहले से भी अधिक परेशान था ! लेकिन इस सबसे बेपरवाह महात्मा जी ने इस बार उसे तोते के पिंजड़े को भी अंदर ही टाँगने का मशवरा दे डाला ! आदमी की दिक्कतें कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही थीं ! और जैसा कि होना लाजिमी था वह और दुखी और परेशान होता जा रहा था ! अगले हफ्ते महात्मा जी ने आदमी को सारे मुर्गे मुर्गियों को भी कमरे में ही रखने का सुझाव दे डाला !

सारे पालतू जानवरों को अपने घर में ही रहने की जगह देने के बाद इस बार जब आदमी महात्मा जी के पास पहुँचा तो वह फूट-फूट कर रो रहा था !

“महाराज ! अब तो बहुत बुरा हाल है ! घर के अंदर तो सारे जानवर रह रहे हैं और हम सब परिवार वालों को घर से बाहर निकलने की नौबत आ गयी है ! कुत्ता बच्चों के पास चिपक कर सोता है ! रात भर मुर्गे मुर्गी सारे घर में सोते लोगों पर कूदते रहते हैं ! कोई भी सो नहीं पाता ! तोता टाँय-टाँय कर दिन भर शोर मचाता रहता है ! बकरी और मेमना घर में गन्दगी करते हैं ! घर एकदम नर्क सा हो गया है ! कोई सही उपाय बताइये महाराज नहीं तो जीना मुश्किल हो जायेगा !”

महात्मा जी ने उपाय बताया, “जा ! आज घर जाकर मुर्गे मुर्गियों को बाहर बाड़े में बंद कर देना और अगले हफ्ते आकर मुझे बताना कि क्या फर्क पड़ा !”

अगले सप्ताह आदमी के चहरे पर कुछ राहत के चिन्ह थे ! महात्मा जी को उसने बताया कि मुर्गे मुर्गियों के बाहर कर देने से कुछ आराम हो गया और घर वाले कम से कम कुछ देर तो सो पाये ! महात्मा जी मुस्कुराये ! इस बार उन्होंने सुझाव दिया कि तोते का पिंजड़ा बाहर टाँग दो और अगले हफ्ते आकर मुझसे मिलो ! अगले सप्ताह आदमी के चहरे पर प्रसन्नता दिखाई दे रही थी ! खुश होकर उसने बताया कि तोते की टाँय-टाँय सुनाई नहीं देने से बच्चे कुछ देर पढ़ भी पाये और सब लोगों को नींद भी ठीक से आई ! सुबह जब सब सोकर उठे तो खुश भी थे और तरो ताज़ा भी !

महात्मा जी की मुस्कराहट कुछ और बढ़ गयी ! इस सप्ताह उन्होंने कुत्ते को बाहर निकालने का सुझाव दिया ! नतीजतन आदमी की सहूलियत में भी कुछ और इजाफा हुआ ! अंतिम सप्ताह में उन्होंने बकरी और उसके मेमने को भी घर से बाहर बाड़े में बाँधने का परामर्श उस आदमी को दिया ! सारे पालतू जानवरों को बाहर निकालने के बाद जब आदमी महात्मा जी के पास पहुँचा तो उसकी खुशी का कोई अंत नहीं था ! हालचाल पूछने के बाद बेसाख्ता उसके मुँह से निकला, “अब तो जगह ही जगह हो गई महाराज ! अब कोई दिक्कत नहीं है ! बाल बच्चे भी आराम से हैं ! माँ बापू भी खुश हैं ! जानवर भी बाहर चैन से हैं ! आपका बड़ा उपकार महाराज मेरी चिंता दूर कर दी !” और वह खुशी-खुशी अपने घर चला गया ! महाराज के चहरे पर भी रहस्यमयी मुस्कराहट फ़ैल गयी !

तो कहानी कैसी लगी आपको ! क्या यही कहानी हम देशवासियों के साथ नहीं दोहराई जा रही ? तात्पर्य यह है कि यदि हालात अत्यधिक खराब हो जायें और कष्ट बहुत अधिक बढ़ जाये तो छोटी छोटी राहतें भी सुखद लगने लगती हैं और लगता है कि सब कुछ ठीक हो गया ! इसीको फील गुड फैक्टर भी कहते हैं ! आज देश के हालात और जनता की तकलीफें इतनी बढ़ चुकी हैं कि इससे खराब स्थिति और कुछ हो ही नहीं सकती ! चुनाव के बाद इस बार जो भी सरकार बनेगी वह यदि छोटे-छोटे अच्छे काम भी करेगी उनसे ही जनता बहुत राहत महसूस करेगी और उसीको सरकार की गुड गवर्नेंस मानेगी !

खाने पीने की बुनियादी वस्तुएँ जैसे अनाज, दूध, खाद्य तेल, चीनी, साग सब्जियों और ईंधन आदि की कीमत मंडियों और ट्रांसपोर्ट के बेहतर प्रबंधन और जमाखोरों पर सख्ती करने से बहुत कम की जा सकती हैं जिसके लिये कुछ खर्च करने की भी ज़रूरत नहीं है !

अस्पताल आज की तारीख में जितने भी हैं उन्हें सुचारू प्रबंधन से इस लायक बनाया जा सकता है कि गरीब जनता के कष्ट तो मिट ही जायेंगे ! दवाओं की बेतहाशा बढ़ी हुई कीमतों की पोल हर दवा का व्यापारी, डॉक्टर, मेडिकल रिप्रेंजेंटेटिव अच्छी तरह से समझता है ! ३०% दाम तो एक ही झटके में कम हो सकते हैं ! यहाँ दवाओं पर एम आर पी (मैक्ज़ीमम रिटेल प्राइस) लिखने का रिवाज़ तुरंत समाप्त होना चाहिये ! उन पर (मिनिमम सेलिंग प्राइस)  लिखी होनी चाहिये ताकि लोगों को पता चल सके कि उन दवाओं पर कितना मुनाफ़ा कमाया जा रहा है !

नये स्कूल जब बनेंगे तब बनेंगे ! फिलहाल जितने भी स्कूल वर्तमान में अस्तित्व में हैं उन्हें दो या, यदि संभव हो तो, तीन शिफ्ट्स में चला कर विद्यार्थियों के लिये शिक्षा तथा अध्यापकों के लिये नौकरी की व्यवस्था की जा सकती है और अशिक्षा व बेरोजगारी की समस्या पर काबू पाया जा सकता है !  

सफाई और कचरे के प्रबंधन के लिये जो भी वर्तमान व्यवस्था है उसीको सही तरह से लागू करके अपने शहर और गाँव को काफी हद तक साफ़ व सुंदर बनाया जा सकता है !

वर्तमान सरकार हमारी समस्याओं को बढ़ाने के लिये बकरी, कुत्ते, तोता, व मुर्गे मुर्गियों को हमारे घरों में अंदर घुसा चुकी है ! चुनाव के बाद आने वाली सरकार को तो बस इन्हें एक-एक करके बाहर ही निकालना है ! इन कुछ बुनियादी ज़रूरतों के पूरे हो जाने से ही उपरोक्त कहानी के नायक की तरह हर आम आदमी को महसूस होने लगेगा कि बहुत सी राहत मिलने लगी है और इस फील गुड फैक्टर की वजह से उन्हें अपने देश की सुजलाम, सुफलाम भूमि पर शीतल मलय पवन बहती हुई वास्तव में महसूस होने लगेगी ! आपका क्या विचार है ?



साधना वैद


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