Saturday, October 25, 2014

शुक्रिया तेरी रहमत का


ज़िंदगी का सफर तो

तन्हा कटना ही है

शुक्रिया है ऊपर वाले  

तेरी रहमत का

कि थके बदन को

आराम देने के लिये

एक खाली बेंच

और बेरहम मौसमों की

मार झेलने के लिये

एक सूखा दरख़्त तो

कम से कम तूने

हमें बख्शा ही है !



साधना वैद

1 comment:

  1. सुप्रभात
    शानदार अभिव्यक्ति |

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