Tuesday, February 23, 2016

बातों की पोटली






(१)
काम क्रोध मद लोभ सब, हैं जी के जंजाल
इनके चंगुल जो फँसा, पड़ा काल के गाल !

(२)
परमारथ की राह का, मन्त्र मानिये एक
दुर्व्यसनों का त्याग कर, रखें इरादे नेक ! 

(३)
माया ममता मोह से, रहें सदा जो दूर  
निकट रहें प्रभु के सदा, सुख पायें भरपूर !

(४)
रिश्ते ये अनमोल हैं, मत कीजे अपमान 
तोल मोल कर बोलिये, देकर सबको मान !

(५)
जिसका अंतस प्रेम औ' करुणा का आगार 
मानवता हित है वही, एक बड़ा उपहार !

(६)
प्रभुजी मुझको दीजिये, बस इतना वरदान 
नैन भरें पर पीर से, पर दुख कसकें प्राण !

(७)
हँसते-हँसते पी लिये, हमने ग़म हर बार 
ऐसे ही तर जायेंगे, भवसागर के पार ! 

साधना वैद

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