Tuesday, April 11, 2017

तू और तेरा ख़याल




सुनाये सिर्फ मोहब्बत के गीत दुनिया को
हम अपने सीने में ऐसा सितार रखते हैं !

तुम्हारा प्यार न ले जाए कहीं जान मेरी
तुम्हीं से मिलने का बस इंतज़ार रखते हैं !

गए परदेस तो फिर लौट कर भी आओगे  
तुम्हारे वादे पे हम एतबार रखते हैं !

बचा सकेंगे तुझे ज़ुल्मते ज़माने से
वफ़ा में अपनी हम इतना मयार रखते हैं ! 

जो ख़त लिखे थे कभी तूने नागवारी में

उनके अल्फ़ाज़ हमें बेक़रार रखते हैं !


भले ही फूल खिले हों तमाम गुलशन में
हम अपने हिस्से में तो सिर्फ खार रखते हैं !

न छू सकेंगी तुझे तोहमतें जहां भर की
तेरे रसूख से इतना तो प्यार रखते हैं !

न तुम बुलाओगे न खुद ही चल के आओगे
खयालो ख़्वाब का हम इंतज़ार रखते हैं !

न कर सकेगा ज़माना कभी हमें रुसवा
जुबां में अपनी हम इतनी तो धार रखते हैं !

जहान भर की नेमतें नसीब हों तुझको
दुआ मनाने का तो अख्तियार रखते हैं !

हमें यकीन है मैयत में आ ही जाओगे
तुम्हारे कौल का हम एतबार करते हैं !

जनाज़ा उठने से पहले चले ही आओगे
तेरे कदमों पे जाँ अपनी निसार करते हैं !

साधना वैद




No comments:

Post a Comment