Wednesday, May 23, 2018

सियासी खेल



ख़तम हुआ 
हार जीत का खेल 
जनता क्षुब्ध


काबिज़ हुए 
जनता के नकारे 
सत्ता पे नेता


जिसे जिताया 
नेताओं की चालों ने 
उसे हराया


कैसे मनाये 
छली गयी जनता 
जीत का जश्न


बनाया गया 
बेवकूफ फिर से 
आम आदमी 


उड़ा मखौल 
लोकतंत्री मूल्यों का 
हारी जनता 


कुर्सी पे कौन 
कैसा था जनादेश 
कैसा है न्याय 


गढ़ें नियम 
रोकेंं दल बदल 
निभायें निष्ठा  


बंद हो चक्र 
ये मौकापरस्ती का  
बचे जनता 


ना खेल पाये
संविद सरकार 
सियासी खेल 



साधना वैद 
















No comments:

Post a Comment