दीपों
की माला 
आस्था
के मोती 
फूलों
के हार 
अर्पित
हैं तुझको
हे माँँ
लक्ष्मी 
खड़ा हूँ
तेरे द्वार !
भर दे
झोली 
सँँवार
दे जीवन 
नतशिर
हूँ आज 
कर दे
अनुकम्पा 
पूरी कर
आशा 
 बना दे काज !   
हे माता
लक्ष्मी
धन
धान्य, 
सुख
समृद्धि,  
वैभव की
दाता
यह माया
दो न दो 
बस इतना
वर दे दो
किसी
दीन के समक्ष 
मैं
स्वयं ही 
इतना
दीन न बन जाऊँँ 
कि उस
पीड़ित की  
व्यथा
ही न देख सकूँ,
किसी
अबोध के सामने 
इतना
बधिर न हो जाऊँ 
कि उसकी कातर 
पुकार
ही न सुन सकूँ
किसी
असहाय वृद्ध के सामने 
इतना
वज्र न बन जाऊँ कि
उसको सहारा भी न दे सकूँ
! 
हे माँँ
लक्ष्मी 
आज दया
करुणा के 
इन
सद्गुणों से 
मेरा
अंतर कर दो 
मालामाल 
उदारता
और मानवता की 
दौलत
देकर 
कर दो
मुझे निहाल ! 
साधना
वैद 

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