Wednesday, December 26, 2018

उधड़ी ज़िंदगी




उधडी ज़िंदगी
ज़िंदगी के बेशकीमती पैरहन से 
जिन खूबसूरत लम्हों को 
ज़िंदगी ने बड़ी आसानी से उधेड़ दिया 
उन्हें लाख जतन करके भी 
मैं कभी पहले सा बुन न सकी 
लेकिन इस उधड़े पैरहन को 
कभी फेंक भी तो ना सकी !



साधना वैद

No comments:

Post a Comment