Friday, February 8, 2019

नज़रों की बातें



मिली नज़र 
बजी जल तरंग
धड़का दिल

नज़रों ने की
  मासूम शरारत  
हुए गाफिल

झुकी नज़र
हिजाब की ओट में
शर्माई गोरी

उठी नज़र
खिलखिलाया मन
मुस्काई गोरी

आँखों ने देखा
नज़रों ने सराहा  
प्यार हो गया

भोली नज़र
मीठा सा प्रेम गीत
शुरू हो गया

करने लगे
नज़रों नज़रों में
ढेर सी बातें

काटने लगे
तारों को गिन गिन
आँखों में रातें

खेलने लगे
नज़रों नज़रों में
प्यार का खेल

बिन बोले ही
आँखों ने रच डाली
बातों की भेल

जाने क्या हुआ
फिर गयीं नज़रें
भाया न संग

ऊबी नज़र
फीके पड़ने लगे
प्रेम के रंग

फिरी नज़र
घायल हुआ मन
तड़पे दोनों

बसाया था क्यों
नज़रों में अपनी
जानें न दोनों  

प्रेम कथा का
हो गया पटाक्षेप
दोषी नज़र

नज़रें जानें
नज़रों की कहानी
टूटा क़हर

हुआ क्या ऐसा
गिरे क्यों नज़र से
कोई न जाने  


समझ जाए
जो नज़रों की भाषा
दुनिया माने !


चित्र - गूगल से साभार


साधना वैद







18 comments:

  1. बहुत सुन्दर हाइकु आदरणीया
    सादर

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  2. हार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! आभार आपका !

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/02/2019 की बुलेटिन, " निदा फ़जली साहब को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शिवम् जी !

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-02-2019) को "तम्बाकू दो त्याग" (चर्चा अंक-3243) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. सुप्रभात |बढ़िया हाईकू |

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  7. सुप्रभात जीजी ! हृदय से धन्यवाद !

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  8. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ११ फरवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  9. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका श्वेता जी !

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  10. सुन्दर हाइकु बधाई आदरणीया sadhana vaid ji

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  11. हार्दिक धन्यवाद विकास जी !

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  12. हार्दिक धन्यवाद सुखमंगल सिंह जी !

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  13. समझ जाए
    जो नज़रों की भाषा
    दुनिया माने !
    बहुत खूब....सादर नमन

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  14. बहुत लाजवाब हायकू...

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  15. समझ जाए
    जो नज़रों की भाषा
    दुनिया माने !
    बहुत खूब.......सादर नमन

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  16. वाह! बहुत सुंदर रचना।

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  17. aapki rachna bahut hi sundar ha, ese pad kar mun gad gad ho gaya.

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