Tuesday, April 2, 2019

क्या है कविता



कभी मन में धधकते दावानल की 
चिंगारी है कविता तो कभी 
सुलगते अंगारों पर पड़ी 
शीतल फुहार है कविता ! 
कभी वर्षों के मौन को 
मुखर करती 
कुछ कहती कुछ सुनती 
बातों की लड़ी है कविता 
तो कभी अनर्गल प्रलाप पर 
सहसा लगा एक 
पूर्णविराम भी है कविता !
तुम्हारी चुप्पी है कविता 
तो मेरी बकबक भी है कविता ! 
कभी फूलों की खुशबू है कविता 
तो कभी काँटों की चुभन है कविता !



साधना वैद

10 comments:

  1. व्वाहहह..
    सादर नमन...

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (03-04-2019) को "मौसम सुहाना हो गया है" (चर्चा अंक-3294) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. वाह बहुत ही सुन्दर
    ऐसे ही होती है कविता....

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  4. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

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  5. हार्दिक धन्यवाद रीना जी ! बड़े दिनों के बाद आना हुआ आपका ! हृदय से स्वागत है आपका !

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  6. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 02/04/2019 की बुलेटिन, " २ अप्रैल को राकेश शर्मा ने छुआ था अंतरिक्ष - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  7. बेहतरीन रचना ,अनगिनत समस्या -समाधान और भावों का संगम संग्रह है कविता

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  8. हार्दिक धन्यवाद शिवम् जी ! आभार आपका !

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  9. हार्दिक धन्यवाद ज्योति जी !

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