Tuesday, May 12, 2020

छन्न पकैया छन्न पकैया



छन्न पकैया छन्न पकैया 
कठिन हो गया जीना 
कोरोना के डरने सबसे 
छीना खाना पीना !

छन्न पकैया छन्न पकैया 
सूनी हैं सब गलियाँ
ना मिलते फल फ्रूट हाट में 
ना मिलतीं औषधियाँ !

छन्न पकैया छन्न पकैया 
हर सुख इसने छीना 
कहाँ जाएँ है कौन सुने जो 
दुखते मन की बीना ! 

छन्न पकैया छन्न पकैया
भूखे श्रमिक बिचारे  
काम काज सब बंद हो गया 
फिरते दर दर मारे ! 

छन्न पकैया छन्न पकैया 
आ जाओ गिरिधारी 
संकट में हैं ग्वाल बाल सब 
हर लो विपदा सारी ! 




साधना वैद 

5 comments:

  1. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  2. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद जी ! बहुत बहुत आभार आपका जी !

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 13 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिग्विजय जी ! सादर वन्दे !

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