Friday, August 28, 2020

उसके हिस्से का आसमान

 



असमंजस की भूलभुलैया में

उसकी आँखों पर

दुराग्रहों की काली पट्टी बाँध

चुनौतियों की दोधारी

पैनी तलवार पर तुम उसे

सदा से चलाते आ रहे हो !

उसके हिस्से के सुख,

उसके हिस्से के फैसले,

उसकी आँखों के सपने,

उसके हिस्से की महत्वाकांक्षायें,

सब दुबका के रख लिये हैं

तुमने अपनी कसी हुई

बंद मुट्ठी के अंदर

जिन्हें तुम अपनी मर्जी से

खोलते बंद करते रहते हो !  

लेकिन क्या तुम जानते हो

तुम्हारी इन गतिविधियों के

तूफानी थपेड़े

उसके अंतर की ज्वाला को

धौंकनी की तरह हवा देकर

किस तरह और तेज़

प्रज्वलित कर जाते हैं !

किसी दिन यह आग

जब विकराल दावानल का

रूप ले लेगी तो तुम्हारे

दंभ और अहम का

यह मिथ्या संसार

क्षण भर में जल कर

राख हो जायेगा !

उसे अपना जीवन खुद जीने दो

उसे अपने फैसले खुद लेने दो

उसे अपने सपने खुद

साकार करने दो !

फिर देखना कैसी

शीतल, मंद, सुखद समीर

तुम्हारे जीवन को सुरभित कर

आनंद से भर जायेगी !

उसे अपनी पहचान सिद्ध करने दो

उसे अपने चुने हुए रास्ते पर

अपने आप चलने दो

उसके कमरे की सारी

बंद खिड़कियाँ खोल कर

उसे तुम ताज़ी हवा में

जी भर कर साँस लेने दो  !

उसे बंधनों से मुक्ति चाहिये  

उसकी श्रृंखलाओं को खोल कर

तुम उसे उसके हिस्से का

आसमान दे दो !

और उन्मुक्त होकर नाप लेने दो उसे

अपने आसमान का समूचा विस्तार  

उस पर विश्वास तो करो

जहाज के पंछी की तरह

वह स्वयं लौट कर अपने

उसी आशियाने में

ज़रूर वापिस आ जायेगी ! 




साधना वैद 

 


17 comments:

  1. आशा का संचार करती सुन्दर रचना।

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    1. हार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (30-08-2020) को    "समय व्यतीत करने के लिए"  (चर्चा अंक-3808)    पर भी होगी। 
    --
    श्री गणेशोत्सव की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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    1. गणेशोत्सव की आपको भी सपरिवार हार्दिक मंगलकामनाएं शास्त्री जी ! मेरी रचना का रविवासरीय अंक के लिए चयन करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! सादर वन्दे !

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  3. सार्थक संदेश देती हुई उत्कृष्ट रचना

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  4. आदरणीया साधना वैद्य जी, आपने अपनी अतुकांत रचना के माध्यम से सकारात्मक सन्देश दिया है। आपकी ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी हैः :
    उसे तुम ताज़ी हवा में
    जी भर कर साँस लेने दो !
    उसे बंधनों से मुक्ति चाहिये
    उसकी श्रृंखलाओं को खोल कर
    तुम उसे उसके हिस्से का
    आसमान दे दो !
    मैंने आपको अपने ब्लॉग के रीडिंग लिस्ट में जोड़ दिया है। कृपया मेरे ब्लॉग लिंक : https://marmagyanet.blogspot.com को अपने रीडिंग लिस्ट में ऐड कर दें। मेरी रचनाओं को पढ़कर अपने बहुमूल्य विचारों से अवश्य अवगत कराएं। ह्रदय तल से आभार ! -- ब्रजेन्द्र नाथ

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    1. आपको मेरी रचना अच्छी लगी मेरा श्रम सार्थक हुआ मर्मज्ञ जी ! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !

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  5. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे प्रिय सखी !

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  6. सुन्दर रचना

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    1. हार्दिक धन्यवाद सेंगर जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  8. वाह बेहतरीन सृजन सखी ।सुंदर सृजन।

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुजाता जी ! अभिनंदन प्रिय सखी !

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  9. और उन्मुक्त होकर नाप लेने दो उसे
    अपने आसमान का समूचा विस्तार
    उस पर विश्वास तो करो
    बहुत खूब,सुंदर सीख देती लाज़बाब सृजन दी,सादर नमन

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    1. हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  10. बहुत सुन्दर रचना!

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