Sunday, August 29, 2021

जन्मे कन्हैया

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की सभी को हार्दिक बधाई 


कब आओगे 
इस कलयुग में 
कृष्ण कन्हाई 

आ जाओ अब 
मुरली मनोहर 
लो बाधा हर 

राह निहारें 
अनगिन अर्जुन
आज तुम्हारी 

हुई स्वीकृत
हमारी मनुहार 
जन्मे कन्हैया 

जन्मे कन्हाई 
नन्द यशोदा घर 
बजी बधाई 

झूमी धरती 
झूमा अम्बर सारा 
प्रजा हर्षाई 

जीतेगा प्रेम 
बजेगी बाँसुरिया 
सृष्टि सजेगी 

होगी स्थापना 
जगत में धर्म की 
आशा जगाई  !

मंगल गाओ 
गूँजी किलकारियाँ
जन्मा मोहन 

अल्हड़ नदी
छूकर प्रभु पग  
हुई निहाल 

आनंद छाया 
हर जन हर्षाया 
गोकुल धाम 

है जन्माष्टमी
सब मिल मनाओ 
भक्ति भाव से 

साधना वैद

Friday, August 27, 2021

गोल्डन चांस

 


हमारे देश की कई दुखी आत्माओं के लिए अत्यंत हर्ष का विषय है ! दुनिया में इसी ज़मीन पर एक और जन्नत का अवतरण हुआ है ! एक और नितांत पाक साफ़ देश अस्तित्व में आ गया है जहाँ सारे कायदे क़ानून शरीया के लागू होते हैं, तीन तलाक पर कोई पाबंदी नहीं है, चार चार निकाह को जायज़ माना जाता है ! न परिवार नियोजन का कोई झंझट है न उदारवादिता के नाम पर खातूनों को फ़िज़ूल की आज़ादी दी जाती है ! समाज बिलकुल पाक साफ़ रहे और उसमें कोई अनुशासनहीनता न आने पाए इसके लिए को - एजूकेशन पर ही पाबंदी लगा दी गयी है ! जीवन भी तो देखिये कितना आसान और सस्ता है ! पेट्रोल सिर्फ पचास रुपये लीटर है, बीफ खाने पर भी कोई रोक नहीं है, फल फ्रूट मेवों के बाग़ ही बाग़ हैं ! जन्नत और किसे कहते हैं ! और फिर ऐसा सुअवसर और कब मिलेगा ! इन दिनों रोज़ खाली जहाज़ इस जन्नत में जा रहे हैं और वहाँ से भर भर कर भारतीय मूल के लोगों को वापिस स्वदेश ला रहे हैं ! मेरी गुज़ारिश उन सभी भाई बहनों से है जो इस मुल्क में खुद को असुरक्षित और असहज मानते हैं, जिन्हें लगता है उनके धार्मिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है और उन्हें उनके धर्म के अनुसार नहीं रहने दिया जा रहा है वे इस गोल्डन चांस का फ़ायदा ज़रूर उठायें क्योंकि जीवन में ऐसे शानदार मौके बार बार नहीं आते ! 


साधना वैद

Friday, August 20, 2021

आतंकी राज


 


चीखती रूहें 

खौफनाक मंज़र

भागते लोग 


शर्मिंदा खुदा

ग़मज़दा आयतें

धर्म का सोग


इंसानियत 

हो गई शर्मसार

बहरा खुदा 


अपने बंदे

भटकें इंसाफ को 

सबसे जुदा 


पर्दों के पीछे 

धकेली गई स्त्री

कैसा इंसाफ


आधी आबादी

कर जग रौशन

हुई बर्बाद 


आतंकी आका 

खौफजदा जनता 

ज़िंदगी जेल


बचा ले मौला

तेरे ही तो बंदे हैं 

रोक ये खेल 


साधना वैद

Monday, August 16, 2021

स्वतन्त्रता दिवस

 



भारत वर्ष
वर्षों की दासता से
उन्मुक्त हुआ
टूटी श्रंखला
ख़त्म हुई गुलामी
स्वाधीन हुआ
राष्ट्रीय पर्व
स्वतंत्रता दिवस
हमारा मान
विश्व भर में
सशक्त भारत की
है पहचान
लाल किले पे
लहराता तिरंगा
गर्वित हम
अभिभाषण
देश के प्रधान का
हर्षित हम
उद्बोधन में
संघर्ष चुनौती की
कितनी बातें
कुटिल शत्रु
आतंकी दुश्मन की
कितनी घातें
जूझे उबरे
हर बार शत्रु को
धूल चटा के
चाल अरि की
भटकाना सबको
ध्यान बँटा के
वीर सेनानी
सिरमौर देश के
हमारी शान
रक्षण करें
जान पर खेल के
वीर जवान
सदा रखेंगे
सकल जगत में
देश का मान
जय भारत
जय जय भारत
जय भारती



साधना वैद

Saturday, August 14, 2021

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा

 


स्वाधीनता दिवस की हीरक जयन्ति के उपलक्ष्य में विशिष्ट प्रस्तुति

मस्ती में झूमे
सातों गगन चूमे
 तिरंगा प्यारा !

मिली आज़ादी
विहँसी माँ भारती
 प्रफुल्ल देश !

झूमे मगन
लहराए तिरंगा
 हर्षित धरा !

जिये आन से
सीमा की सुरक्षा में
मरे शान से !

देश महान
तुझ पर कुर्बान
 है मेरी जान !

बुलंद नारे
गर्वित लाल किला
 जोश में प्रजा !

देश की शान
भारत के गौरव
 वीर जवान !

संकल्प लेंगे
अपने भारत का
 मान रखेंगे !

वीर सैनिक
सीमा के रखवाले
 माँ के दुलारे !

ऋणी रहेगा
तुम्हारी कुर्बानी का
 भारत सारा !

जोड़ा है रिश्ता
तोप बन्दूक संग
किया विवाह
देश की सुरक्षा से
 सीमाएं ससुराल !

निज रक्त से
करते अभिषेक
सजाते भाल
ऐसे वीर सपूत
 डरे जिनसे काल !

कहो शान से
शायर ने भी कहा
दिलो जान से
सारे जहाँ से अच्छा
 हिन्दोस्तान हमारा !

आन रखेंगे
अपने भारत का
मान रखेंगे
सूर्य से भी ऊपर
 तेरा नाम रखेंगे !

सुनो न देव
बार-बार जनमूँ
इसी देश में
और फिर मिलूँ भी
 वतन की माटी में !


साधना वैद

सभी  पाठकों को स्वतन्त्रता दिवस की हीरक जयन्ति पर हार्दिक शुभकामनायें !

Sunday, August 8, 2021

यादें


 


कुछ यादे हैं जो गुदगुदाया करती हैं

कभी अधरों पर बन मुस्कुराहट

तो कभी आँखों में बन बदली

छा जाया करती हैं,

हमें तो जीने का हुनर

सिखाया है इन यादों ने ही

कभी दोधारी तलवार पर

चला देती हैं

तो कभी आसमान में परिंदों सी

उड़ा जाया करती हैं !

मन के किसी कोने में

दबी छुपी ये यादें ही कभी

आज की ठहरी हुई ज़िंदगी को

रवानी दे जाया करती हैं

तो कभी उम्रदराज़ होती

दिल की थकी हुई

लस्त तमन्नाओं को

नयी जवानी और नया जोश देकर

फिर से जी उठने का

नायाब सलीका

सिखा जाया करती हैं !

 

साधना वैद

 


Wednesday, August 4, 2021

मेरी फितरत

 



मैं तो चल पडी थी 

सपनों की डोर थामे

दूर फलक की राह पर 

लेकिन मेरा यह सुख भी 

तुझे कहाँ बर्दाश्त हुआ नियति 

फोड़ ही दिया ना तूने 

मेरी ख्वाहिशों का गुब्बारा

लेकिन देख मेरी चाल 

और देख मेरा हौसला

कभी नहीं तोड़ पायेगी तू

मेरा विश्वास और 

मेरी जिजीविषा 

क्योंकि जीतना ही 

मेरी फितरत है !

 


साधना वैद